IndiGo नहीं असली खतरा ‘डुओपॉली’, मोबाइल रिचार्ज से लेकर खाना-टैक्सी तक, सब लपेटे में...
IndiGo क्राइसिस सिर्फ एक झलक है भारतीय मार्केट में मोनोपॉली और डुओपॉली बिजनेस की. बाजार के हर तकरीबन हर हिस्से पर दो कंपनियों का कब्जा है. पेमेंट करना है तो Google Pay और PhonePe. कैब चाहिए तो Ola और Uber. खुल जा सिम-सिम करना टो एयरटेल और जियो.

पिछले हफ्ते इंडिगो ने क्या किया वो हम सभी ने देखा. मतलब कहने को कहा जा सकता है कि DGCA के संशोधित नियमों की वजह से इंडिगो को पायलटों और दूसरे स्टाफ मेंबर्स की कमी हुई, जिसकी वजह से उसकी हजारों उड़ानें रद्द हुई थीं. लेकिन भारतीय एविएशन के इतिहास के सबसे बड़े संकट की एक वजह डुओपॉली (duopoly) भी है. कई लोग तो इसे मोनोपॉली भी कह रहे मगर भारत के आसमान में इंडिगो के साथ एयरइंडिया भी है. हालांकि आसमान का 65 फीसदी हिस्सा इंडिगो के पास है. इतना पढ़कर अगर आपको लग रहा है कि हम फिर इंडिगो का राग अलापने वाले हैं तो जरा अपनी कल्पना की 'उड़ान' को रोक दीजिए.
हम तो आपको बाजार की उस कड़वी हकीकत से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो आपके सामने है मगर दिख नहीं रही. इंडिगो तो बस झांकी है, असली पिक्चर अभी बाकी है. डुओपॉली हर सेक्टर में आ गई है. ऐसे में अगर कोई कंपनी ने अपनी मनमानी की तो आपका चिल्लाना तय है.
Airtel-Jioटेलिकॉम मार्केट का 75 फीसदी हिस्सा एयरटेल और जियो के पास है. वैसे कहने को तो बीएसएनएल और वोडाफोन-आइडिया भी है मगर उनकी हालत सभी को पता है. बीएसएनएल अभी 4G ही सही तरीके से डेवलप नहीं कर पाया है तो Vi के यूजर लगातार कम हो रहे हैं. वहीं जियो और एयरटेल का यूजरबेस लगातार बढ़ रहा है. आपको लगेगा कि इससे क्या दिक्कत.
दिक्कत अभी नहीं है मगर जल्द कॉल करेगी. रिचार्ज प्लान महंगे होंगे. पिछले साल जो बढ़ोतरी हुई वो एक झलक थी. आगे मामला महंगा होगा. सिर्फ दो कंपनियां हैं तो कोई भी दाम बढ़ा ले. दूसरी को कोई दिक्कत नहीं. वो भी बढ़ा लेगी. अगले कुछ सालों में आप रिचार्ज के लिए जेब खाली करने को तैयार रहिए.
Flipkart-Amazonहर सेल के मौसम में हम और आप फ्लिपकार्ट को कोसते हैं. फ्लॉपकार्ट और स्कैमकार्ट कहते हैं. मगर अगले साल फिर उसकी बिग बिलियन सेल का इंतजार करते हैं. वजह साफ है क्योंकि देश के ई-कॉमर्स बाजार पर दो कंपनियों का कब्जा है. फ्लिपकार्ट और अमेजन. हालत कोई अमेजन की भी अच्छी नहीं. सोशल मीडिया पर आपको हजारों लोग शिकायत करते मिल जाएंगे. दोनों कंपनियों की इसी डुओपॉली का नतीजा है कि दोनों कंपनियां कुंभकर्ण बनी हुई हैं. कितनी भी शिकायत कर लो. कोई समाधान नहीं मिलता है.
Uber-Olaकैब चाहिए तो बस दो ऑप्शन हैं. Ola या Uber और इसका परिणाम है गंदी कारें, बदतमीजी करते ड्राइवर और मनमर्जी का किराया. आप कितना भी शिकायत कर लीजिए. कुछ भी नहीं होता है. इनके डार्क पैटर्न भी अपने आप में बड़ा सवाल हैं. एंड्रॉयड में किराया कम तो आईफोन में ज्यादा. ऊलजलूल चार्जेस की तो गिनती ही खत्म नहीं होती है. इनके किराया पैटर्न को लेकर सरकार जांच भी कर रही है.
Zomato-Swiggyघर पर आपके पसंद के होटल से खाना एक सिंगल क्लिक में आ जाता है. पड़कर ही मजा आ जाता है मगर ऑप्शन के नाम पर सिर्फ दो नाम. Zomato से मंगाओ या फिर Swiggy का रुख करो. पहले पहल तो सब अच्छा था मगर अब 100 का खाना 200 का पड़ता है. डिलेवरी चार्जेस, पॅकिंग चार्जेस, तेज बारिश चार्जेस, हल्की धूप चार्जेस. चार्जेस चार्जेस चार्जेस. कई बार टोटल इतना ज्यादा होता है कि उस होटल से जाकर खाना लाना सस्ता पड़ता है. डुओपॉली के चक्कर में मुंह का स्वाद कड़वा और जेब हल्की हो रही है. 5 मिनट वाली डिलेवरी में भी Blinkit और Zepto का राज है. 50 का दूध का पैकेट 113 रुपये में खरीदा जा रहा है.
वाईफाई लेना हो तो JioFiber और Airtel Xstream के अलावा बाकी ऑप्शन कम नजर आते हैं. दूध खरीदना तो तो अमूल और मदर डेयरी. नौकरी खोजना हो तो Naukri और LinkedIn. UPI पेमेंट करना है तो GooglePay और PhonePe. लगता है जैसे बस दो ऑप्शन हैं. कहां जाओगे. हमने अभी मोनोपॉली बिजनेस की बात तो की ही नहीं. जैसे अगर रेल टिकट निकालना है तो सिर्फ IRCTC है. परेशान होने को तैयार रहिए. इंडिगो और दूसरी कंपनियां आपको जमीन पर पटकती रहेंगी.
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