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डार्क पैटर्न: ई-कॉमर्स कंपनियों का वो 'स्याह खेल' जिसे लेकर कोर्ट भी खरी-खोटी सुना चुका है

आज बात करेंगे ई-कॉमर्स कंपनियों के 'डार्क पैटर्न' की. प्लेटफॉर्म्स का कस्टमर को बरगलाने का तरीका या तरीके. ये प्रैक्टिस इतनी स्याह है कि CCPA ने बाकायदा इसको रोकने के लिए आदेश जारी किया हुआ है. सब जानेंगे मगर पहले ‘डार्क पैटर्न’ पर प्रकाश डालते हैं.

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E-commerce companies in India will face penalties for using 'dark patterns' to trick users into unintended actions, according to guidelines issued by the Central Consumer Protection Authority
'डार्क पैटर्न' का स्याह सच
29 फ़रवरी 2024 (Updated: 29 फ़रवरी 2024, 10:07 IST)
Updated: 29 फ़रवरी 2024 10:07 IST
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फ्लिपकार्ट (Flipkart) और वनप्लस (OnePlus) को कल यानी 27 फरवरी 2023 को चंडीगढ़ के कंज्यूमर कोर्ट (Consumer Court) ने कस कर रगड़ दिया. जुर्माना भी लगाया और तीखी टिप्पणी भी की. वजह दोनों ने एक ग्राहक को यूज किया हुआ OnePlus 11R 5G डिवाइस भेज दिया था. आपको लगेगा ये खबर तो हमने कल बताई थी. अब क्या हुआ. हुआ दरअसल ये है कि कोर्ट ने अपने फैसले में दोनों कंपनियों को 'डार्क पैटर्न' (e-commerce dark patterns) बंद करने को कहा. उस कॉपी में बताना मुश्किल था. मगर बताना भी जरूरी ताकि आपका नुकसान नहीं हो. इसलिए

आज बात करेंगे ई-कॉमर्स कंपनियों के 'डार्क पैटर्न' की. प्लेटफॉर्म्स का कस्टमर को बरगलाने का तरीका या तरीके. ये प्रेक्टिस इतनी स्याह है कि The Central Consumer Protection Authority (CCPA) ने बाकायदा इसको रोकने के लिए आदेश जारी किया था. साल 2023 में जारी हुए इस आदेश में 13 ऐसे पॉइंट बताए गए हैं. जहां कंपनियां ऐसे खेल करती हैं. सब जानेंगे मगर पहले ‘डार्क पैटर्न’ पर प्रकाश डालते हैं.

ये भी पढ़ें: फ्लिपकार्ट और वनप्लस ने बेच दिया पुराना फोन, पता है कोर्ट ने क्या किया?

क्या है डार्क पैटर्न

वेबसाइट या ऐप के यूजर इंटरफ़ेस के साथ ऐसा महीन खेल जिसमें यूजर कब फंस जाता है, उसे पता ही नहीं चलता. और जब तक पता चलता है तब तक जेब खाली हो चुकी है. आसान करते हैं. फर्ज कीजिए आप एक ऐप पर जूते सर्च करने गए. ऐप ने आपके मन मुताबिक प्रोडक्ट दिखा दिए. मगर इसी दरमियान उसी जूते के साथ या उसी पैटर्न वाले जूते के साथ आपको कोई अच्छी ड्रेस वाला प्रोडक्ट भी स्क्रीन पर नजर आ जाए. ये सिर्फ एक उदाहरण हैं.

हो सकता है जो प्रोडक्ट आप देख रहे हों उसका दाम कुछ ज्यादा नजर आए और उससे मिलते-जुलते प्रोडक्ट का दाम एकदम कम हो. मतलब पूरे चांस हैं कि आप इस एक से दिखने वाले पैटर्न में फंस जाओ. और आपकी हालत,

गए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास वाली हो जाए.

मतलब जो खरीदना था वो लिया नहीं और कुछ का कुछ खरीद लिए. बात सिर्फ यूजर इंटरफ़ेस तक नहीं है. झोल कहीं भी हो सकता है. जैसे बिल में कोई छोटा सा चार्ज जोड़ देना. चंडीगढ़ वाले ग्राहक के केस में यही हुआ. बिल में 49 रुपये हैंडिलिंग चार्जेस के जोड़े गए थे. कोर्ट ने इसी को लेकर खूब लताड़ा था. आसान भाषा में कहें तो अपना माल टिपाने का तरीका ‘डार्क पैटर्न’ कहलाता है.  अब जरा बाकी तरीके भी जान लेते हैं.

# “false urgency"  मतलब डराने वाला काम. 2 मिनट में खरीद लो नहीं तो डील गई टाइप. 

# “basket sneaking" मतलब आपके कार्ट में अभी ये प्रोडक्ट और जोड़ लो तो डिस्काउंट बढ़ जाएगा या फिर ऑफर मिल जाएगा. 

# “subscription trap" मतलब इस सर्विस या प्रोडक्ट को सब्सक्राइब कर लो. ऑटो डेबिट कर लो तो डिस्काउंट अच्छा दे देंगे.

# “only 2 rooms left" आपके साथ 10 और लोग इस प्रॉपर्टी को देख रहे. जल्दी-जल्दी करो. 

# “exclusive” मतलब सेल सिर्फ आपके लिए है.

# “pre-ticked box” मतलब कोई सर्विस या प्रोडक्ट अपने आप ही सिलेक्ट हो रखा हो.

# “confirm shaming" मतलब ये तुम्हारे बूते की बात नहीं. बहुत महंगा प्रोडक्ट है और तुम नहीं ले पाओगे. 

# “Forced action" मतलब कैसे भी आपको प्रोडक्ट लेने के लिए मजबूर करना. जैसे आपने कोई प्रोडक्ट देखा और फिर नहीं लिया तो कंपनी से कॉल या मैसेज आ जाना.

# "Benefits" ये प्रोडक्ट के इतने फायदे हैं.

# "login now" मतलब अपने ईमेल से या मोबाइल से लॉगिन करो तभी ऑफर पता चलेगा.

ये सारी हरकतें डार्क पैटर्न हैं और इनकी मनाही है. हालांकि कड़वा सच ये है कि कंपनियां किसी ना किसी तरीके से ऐसा करती ही हैं. मतलब कान इधर से नहीं तो उधर से पकड़ लो. लेकिन ऐसा भी नहीं हैं कि इनके कान उमेठने का कोई तरीका नहीं.

कोरट है ना बाबू. जुर्माना भी लगाएगा और लताड़ेगा भी. 
 

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