चाइनीज कंपनी अपने सस्ते मोबाइल में 'वायरस' डाल रही थी, कोर्ट ने धर लिया
फ़ोन में ऐड दिखने के लिए डाला था ट्रोजन हॉर्स मालवेयर
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जियोनी को अपने फ़ोन में मालवेयर डालने पर कोर्ट ने सज़ा सुनाई है.
चाइनीज पब्लिकेशन cnBeta.com के मुताबिक, जियोनी ने दिसंबर 2018 से लेकर अक्टूबर 2019 के बीच इस काम को अंजाम दिया था. ये मालवेयर मोबाइल फ़ोन में ‘Story Lock Screen’ ऐप के अपडेट के ज़रिए भेजा गया था. इस मालवेयर को जियोनी की सब्सिडिएरी The Shenzhen Zhipu Technology ने भेजा था. इसका इस्तेमाल यूजर को जबरन ऐडवर्टाइज़ दिखाने के लिए किया गया था.
बता दें, ट्रोजन हॉर्स ऐसी चीज़ है, जो देखने में तो सही प्रोग्राम लगता है लेकिन आपके डिवाइस का कंट्रोल किसी और को दे देता है. असल में ये किसी और ऐप या प्रोग्राम के अंदर छिपकर आता है और अपना काम कर जाता है.

कुछ इसी तरह का ट्रोजन हॉर्स का मामला है.
cnBeta के मुताबिक, करीब 9 महीने के अंदर ही इस गोलमाल से जियोनी ने करीब 4.2 मिलियन अमेरिकन डॉलर कमाए हैं. रुपये में कन्वर्ट करने पर ये रकम करीब 31 करोड़ रुपए बनती है.
फ़ोन में ऐड दिखाने वाले मालवेयर डालने पर क्या सज़ा मिली?
कोर्ट ने इस केस में Shenzen Zhipu Technology को गैरकानूनी तरीके से कंप्यूटर इन्फॉर्मेशन सिस्टम को कंट्रोल करने का दोषी माना. कोर्ट ने कंपनी पर 4 लाख युआन का जुर्माना लगाया, जो करीब 45 लाख रुपए बनते हैं. इसके साथ ही, दोषी पाए गए Xu Li, Zhu Ying, Jia Zhengqiang और Pan Qi को अलग से भी सज़ा सुनाई. इन चारों को कोर्ट ने तीन से साढ़े तीन साल के लिए जेल भेजने के आदेश दिए हैं. हरेक पर 2-2 लाख युआन यानी 22-22 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
गिज़्मोचाइना की रिपोर्ट के मुताबिक, डिवाइस में ऐड दिखाने का काम बहुत से सस्ते-मद्दे चाइनीज फ़ोन में हो रहा है. इनमें इनफीनिक्स और टेक्नो के बनाए हुए सस्ते फ़ोन शामिल हैं.

इंडिया में शाओमी के फ़ोन में बहुत ऐड देखने को मिलते हैं.
स्मार्टफ़ोन में ऐडवर्टाइज़ दिखने का काम इंडिया में भी चल रहा!
स्मार्टफ़ोन इंडस्ट्री में कॉम्पिटिशन बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते फ़ोन कंपनियां कम से कम दाम पर फ़ोन बेचने को मजबूर हैं. जहां ऐपल जैसी कंपनियां मोटा तगड़ा मुनाफ़ा उठाती हैं, शाओमी जैसी कंपनियां तो बस 1% से 5% प्रॉफ़िट पर ही फ़ोन बेच डालती हैं. इतने कम दाम पर डिवाइस बेचने के बाद प्रॉफ़िट कमाने के लिए इन्हें अपने फ़ोन में पड़े हुए सॉफ़्टवेयर की मदद लेनी पड़ती है.
पहले ये कमाई फ़ोन में इंस्टॉल किए हुए ऐप्स, वेब-ब्राउजर में सेट किये हुए डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन और बुकमार्क वग़ैरह करके देते थे, मगर अब बहुत से चाइनीज फ़ोन अपने डिवाइस में ऐडवर्टाइज़ दिखा-दिखा कर पैसा कमाते हैं. चाइनीज कंपनियों के साथ कॉम्पिटिशन करने के लिए साउथ कोरिया की कंपनी सैमसंग ने भी अपने फ़ोन में ऐडवर्टाइज़ देना शुरू कर दिया है. चाइना में तो जियोनी पर कार्यवाही हो गई. पता नहीं इंडिया में ऐसा कुछ हो पाएगा या नहीं.