साल 1937. ताक्तसेर गांव. तिब्बत के सुदूर पूर्वोत्तर में बसा एक छोटा-सा गांव.खेती-किसानी वाला एक घर. आंगन में एक बच्चा ल्हामो धोन्डुप एक थैले में अपना ज़रूरीसामान भर रहा था. मानो किसी बड़े सफ़र पर निकलने की तैयारी हो रही हो. मां ने देखा,तो प्यार से पूछ लिया – बेटा, कहां जा रहे हो? बच्चे ने अपनी तोतली ज़ुबान मेंउत्तर दिया – मां! मैं ल्हासा जाऊंगा. इतना बोलकर दो साल का वो बच्चा अपने काम मेंजुट गया. मां ने बच्चे की बात को हंसी में टाल दिया. लेकिन ये बात हंसी की थी नहीं.देखिए वीडियो. कहानी का दूसरा पार्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें.