जिन्ना ने मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग भी नहीं की थी. मुसलमानों के लिए अलगदेश की मांग जिन्ना 1940 के पाकिस्तान रिज़ॉल्यूशन में उठाते हैं. यशपाल को पता थाकि सावरकर बंधुओं ने हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने की ठान ली है. लेकिन साथ हीउन्हें पता था कि ये भी अंग्रेज़ों को देश से खदेड़ना चाहते हैं. यशपाल काम की बातपर आए. बाबाराव से मदद मांगी. उन्हें भरोसा था कि बाबाराव उनकी मदद ज़रूरकरेंगे. यशपाल ने बाबाराव का ऑफर ठुकरा दिया. बाबाराव ने भी ‘ठुकरा के मेरा प्यार,मेरा इंतक़ाम देखेगी’ वाला एटीट्यूड नहीं पाला. यशपाल को लौटती के लिए खर्चा-पानीदेकर रवाना कर दिया. घर लौटते हुए यशपाल डरकर सोच रहे थे कि जिन्ना की सुपारी काऑफर ले लिया होता देश में खून-खराबा मच जाता. कुछ दिन बाद यशपाल के खुद के नाम कीसुपारी निकल जाती है. और ये सुपारी निकाली थी चंद्रशेखर आज़ाद ने.