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पंजाब की इकलौती मुस्लिम मंत्री, जिन्हें उनका भाई भी नहीं हरा पाया

पंजाब में इस बार सिर्फ 5 महिलाएं चुनाव जीती हैं, जिनमें से ये सबसे धाकड़ हैं.

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रजिया सुल्ताना (बाएं) और अरुणा चौधरी (दाएं)
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17 मार्च 2017 (Updated: 17 मार्च 2017, 06:22 PM IST) कॉमेंट्स
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कैप्टन अमरिंदर सिंह दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बन गए हैं. कांग्रेस के कुछ सीनियर नेताओं को भी मंत्रीपद अलॉट हो चुके हैं. हर तरफ एक ही बात चल रही है. नवजोत सिंह सिद्धू को डिप्टी सीएम न बनाया जाना. बीच में रिपोर्ट्स आई थीं कि सिद्धू डिप्टी सीएम पद मिलने के वादे पर ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं. कांग्रेस तो जीत गई, लेकिन सिद्धू डिप्टी सीएम नहीं बनाए गए. उन्हें मिला ‘टूरिज़्म और कल्चरल अफेयर डिपार्टमेंट’. खैर, राजनीति है. ऊपर-नीचे होता रहता है.

उधर यूपी जैसे बड़े स्टेट में ऐसा पहली बार होगा कि कोई मुस्लिम मंत्री नहीं होगा. बीजेपी ने किसी मुस्लिम को टिकट ही नहीं दिया था. लेकिन, पंजाब का मसला अलग है. यहां कैबिनेट चुनते समय सभी धर्मों की भावनाओं का ख्याल रखा गया है. पंजाब कैबिनेट में 7 सिख नेताओं को (जिनमें से 2 दलित हैं), 2 हिन्दू नेताओं और एक मुस्लिम विधायक को मंत्री बनाया गया है. कैबिनेट में महिलाएं सिर्फ दो ही शामिल की गई हैं. दीना नगर सीट की विधायक अरुणा चौधरी और मलेरकोटला सीट से जीतने वाली रज़िया सुल्ताना.

इस बार पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 5 सीटों पर ही महिलाएं जीतीं हैं. रज़िया सुल्ताना इकलौती मुस्लिम कैंडिडेट हैं, जो अपना चुनाव निकाल सकीं. जानते हैं इनके बारे में...


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अपनी समर्थकों के बीच रजिया सुल्ताना

रज़िया मलेरकोटला सीट से तीसरी बार विधायक चुनी गई हैं. इससे पहले 2002 और 2007 में उन्होंने इस सीट से चुनाव जीता था. मलेरकोटला मुस्लिम बहुल इलाका है. यही वजह थी कि इस बार सभी पार्टियों ने यहां मुस्लिम कैंडिडेट उतारा था. 2012 में अकाली दल ने फरज़ाना आलम को इनके खिलाफ उतारा था और फरज़़ाना जीतीं भी. रजिया 2002 की कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रह चुकी हैं.

वह मुस्लिम समुदाय से पंजाब कांग्रेस की इकलौती बड़ी नेता हैं. इनके पति मुहम्मद मुस्तफा 1985 बैच के आईपीएस हैं और कैप्टन अमरिंदर के करीबी माने जाते हैं. 2016 में मुस्तफा डीजीपी (ह्यूमन राइट कमीशन) बने.

पंजाबी सिनेमा के जाने-माने एक्टर और गायक अरशद अली, रज़िया के भाई हैं. अरशद की चुनाव लड़ने की इतनी जबर ख्वाहिश थी कि अपनी बहन के खिलाफ ही पर्चा भर दिया. टिकट मिला था आम आदमी पार्टी से. एक इंटरव्यू में रजिया बताती हैं कि भाई के खिलाफ चुनाव लड़ना भावनात्मक था, लेकिन उन्हें अपनी जीत की पूरी उम्मीद थी. रज़िया ने अकाली दल के मोहम्मद ओवैस को 12,702 वोटों से हराया, जबकि उनके भाई अरशद अली सिर्फ 17,635 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे.

पंजाब में कुरान की बेअदबी पर रज़िया सुल्ताना ने ही आवाज़ उठाई थी. इस बार उन्हें PWD (B&R), महिला और परिवार कल्याण विभाग दिया गया है.

दीना नगर सीट से विधायक अरुणा चौधरी को भी कैबिनेट में जगह मिली है. जानते हैं इनके बारे में...


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सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अरुणा

अरुणा गुरदासपुर डिस्ट्रिक्ट की दीना नगर सीट से तीसरी बार विधायक बनी हैं. अपना पहला चुनाव उन्होंने साल 2002 में इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था, जिसमें वो जीती थीं. फिर 2012 और अब 2017 में जीतीं. अरुणा ने इस बार का चुनाव 30,000 से ज्यादा वोटों से जीता, जो पंजाब में किसी भी महिला नेता की सबसे बड़ी जीत है. उन्होंने बीजेपी के बिशन दास को 31,917 वोटों से हराया.

वह 2004 से 2007 तक पंजाब सिविल सप्लाइज़ डिपार्टमेंट की चेयरपर्सन रही हैं. इनके ससुर चौधरी जय मुनि 25 साल तक दीना नगर सीट से ही विधायक रहे हैं. हालांकि, इस बीच वो हारे भी.

अरुणा चौधरी कांग्रेस के उन 42 विधायकों में से हैं, जिन्होंने SYL (सतलुज यमुना लिंक) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस्तीफ़ा दे दिया था. कैप्टन की कैबिनेट में उन्हें एजुकेशन मिनिस्टर बनाया गया है.




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ये स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रहे भूपेंद्र सोनी ने लिखी है.

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