जब सचिन ने अज़हर से कहा, 'एक मौका दे दो, आज फेल हुआ तो लौटकर नहीं आऊंगा'
और क्रिकेट का 'भगवान' फेल हुआ भी नहीं.
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Diamond Jubilee Six Nations Tournament जीतने के बाद ट्रॉफी के साथ Sachin Tendulkar और Azhar (रॉयटर्स फाइल)
सचिन तेंडुलकर. बस नाम ही काफी है. और ये नाम बनाने में सचिन द्वारा सालों तक वनडे क्रिकेट में की गई ओपनिंग का बड़ा रोल है. कम ही लोगों को पता होगा कि सचिन ने अपना करियर मिडल ऑर्डर बैट्समन के रूप में शुरू किया था. न्यूज़ीलैंड टूर पर नवजोत सिंह सिद्धू के अनफिट होने के बाद सचिन को ओपनिंग का मौका मिला. जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
अब सचिन ने इस बात का खुलासा किया है कि कैसे उन्होंने कैप्टन अज़हर और मैनेजर अजित वाडेकर को मनाया था. इसके साथ ही सचिन ने उस मैच के लिए अपनी स्ट्रैटेजी का भी खुलासा किया.
Sachin Tendulkar recalls his memory of opening for the first time. He said Azhar and Wadekar were in the dressing room discussing about whom they should open with as Sidhu was unfit, he said give me chance as he was confident and said if he fails he'll never come back for chance.
— Mufaddal Vohra (@mufaddal_vohra) April 2, 2020
# दांव पर सबकुछ
अपने पर्सनल ऐप 100MB पर सचिन ने कहा,'जब मैं सुबह होटल से निकला, मुझे नहीं पता था कि मैं ओपन करूंगा. हम ग्राउंड पर पहुंचे. अज़हर और वाडेकर सर ड्रेसिंग रूम में थे. उन्होंने कहा कि सिद्धू अनफिट है, क्योंकि उसकी गर्दन अकड़ गई है. अब हम किसके साथ ओपन करें. तभी मैंने कहा कि मुझे एक मौका दिया जाए. मुझे पक्का यकीन था कि मैं वहां जाकर उन सारे बोलर्स को पीट सकता हूं. मेरी बात पर उनका पहला रिएक्शन था कि मैं क्यों ओपन करना चाहता हूं?लेकिन मैं बहुत ज्यादा कॉन्फिडेंट था कि मैं कर सकता हूं. और यह ऐसा भी नहीं था कि मैं जाऊंगा, थोड़े बड़े शॉट खेलूंगा और वापस आ जाऊंगा. मैंने सोच रखा था कि मैं खेलता रहूंगा और अपना नॉर्मल अटैकिंग गेम खेलूंगा. उस वक्त तक सिर्फ एक बार, 1992 वर्ल्ड कप मैं मार्क ग्रेटबैच ने यह किया था.दरअसल उस दौर में नॉर्मल ट्रेंड था कि पहले 15 ओवर, जब तक बॉल नई है, संभलकर खेलो. एक बार बॉल की चमक चली जाए फिर धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाओ और आखिरी के सात-आठ ओवर्स में जितने ज्यादा रन बना पाओ बना लो. इसलिए मैंने सोचा कि अगर मैं पहले 15 ओवर्स में ही ये काम कर देता हूं तो सामने वाली टीम पर काफी प्रेशर हो जाएगा.मैंने उनसे कहा कि अगर आज मैं फेल हुआ तो कभी भी आपके पास नहीं आऊंगा, लेकिन मुझे एक चांस दीजिए प्लीज. और यह काम कर गया.'सचिन ने उस मैच में सिर्फ 49 बॉल्स में 82 रन मारे थे, जिसमें 15 चौके और दो छक्के शामिल थे. इस इनिंग के बाद सचिन का करियर आगे ही बढ़ता गया. उन्होंने अपना वनडे करियर 18,426 रनों के साथ खत्म किया. इसमें 49 शतक और 96 पचासे शामिल थे.
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