चेन्नई टेस्ट : जब 'ख़ुदा' ने चुना पाकिस्तान का दामन और रो पड़ा क्रिकेट का भगवान
जिस मैच को याद कर आज भी दुखी हो जाते हैं हम.
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सत्य व्यास
सत्य व्यास लल्लनटॉप के पुराने साथी हैं, हाल के सालों में हिंदी के उदीयमान लेखक के रूप में उभरे हैं. बेस्टसेलर बिना कहे ही समझ लीजिए. सत्य व्यास ने ‘बनारस टॉकीज’ से नया पाठक वर्ग बनाना शुरू किया तो शहर बदल दिल्ली पहुंचे. ‘दिल्ली दरबार’ से कुछ बरस पीछे बोकारो लौटे और ‘चौरासी’ से होते हुए ‘बाग़ी बलिया’ लिखी-पढ़ाई. क्रिकेट के किस्सों में डूबे रहते हैं और कहानियां यूं सुनाते हैं कि जलन हो.
सुनिए सत्य व्यास से चेन्नई के मशहूर टेस्ट का किस्सा जब सचिन के साथ पूरा देश रोया था.
पाकिस्तान और उस पर तबलीगी जमात के असर पर लिख ही रहा था कि सकलैन मुश्ताक़ ने इन्स्टाग्राम लाइव के जरिये ठीक दुखती हुई वही नस दबा दी जहां दुख तवील वक्त से छुपा बैठा था. 1999 चेन्नई टेस्ट की हार का दुख. 1999 – एक अकेले पड़ गए योद्धा के सिर उठाकर आंसुओं को आंखों के कटोरे में वापस मोड़ लेने का दुख. 1999-पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मे भारत की पराजय का दुख.
ऐसा नहीं है कि यह दुख कुछ नया था. क्रिकेट के शैदाई सरहद के दोनों जानिब ही इस दुख से परिचित हैं. खेल हार-जीत का ही नाम है. मगर यह हार कुछ खास थी. देर तक, दशकों तक की टीस दे जाने वाली.
# सकलैन वर्सेज सचिन
शुरुआत सकलैन से करते हैं. अपने घर की छत पर अपने भाइयों को टेबल टेनिस की प्लास्टिक गेंद फेंकते हुए इस बच्चे ने गौर किया कि गेंद को अंगूठे से धकेल देने पर गेंद ऑफ स्पिन के एक्शन में ही दूसरी ओर घूम जा रही है. पहले तो उसे लगा कि यह हवा के कारण हो गया. मगर दो-चार बार ऐसा करने पर उसने देखा कि यह कुछ अलग है. बच्चे ने इसे जलेबी नाम दिया (बाद में जब मोइन ने इसे ‘दूसरा’ कह कर पुकारा तो सकलैन ने अपनी अगली खोज का नाम जलेबी दिया)जलेबी गेंद इतनी अलग थी कि 18 साल की उम्र में ही सकलैन को ग्रीन कैप पहनने का सौभाग्य मिल गया. सकलैन कहर बरसाने लगे.
गैर-परंपरागत ऑफ स्पिन सचिन की जान का बवाल रही ही है, इसकी तसदीक सचिन की क्रिकेट को ध्यान से देखने समझने वाले करते हैं. सकलैन और बाद में सईद अजमल ने उन्हे बारहा तंग किया है. यह रिकॉर्ड में है. सचिन और सकलैन की भिड़ंत दिलचस्प होती रही थी. याद आता है कि शारजाह के एक मुक़ाबले ने सचिन को आउट करने के बाद सकलैन ने उन्हे बाहर का रास्ता दिखाया था.
लंबी चली थी Saqlain Mushtaq और Sachin की अदावत (AFP)
फिर दूसरी पारी में पाकिस्तान के अंतिम विकेट के लिए जब सकलैन बैटिंग करने आए. तो सचिन ने अजहर से लगभग गेंद छीनकर बौलिंग की थी. और सकलैन को न सिर्फ LBW किया था बल्कि धराशायी भी कर दिया था. बाद में सचिन ने सकलैन को नसीहत देते हुए कहा,
‘पियक्कड़ मछेरों की भाषा छोड़ दो, बहुत आगे जाओगे.’इसके बाद सकलैन ने पियक्कड़ मछेरों की भाषा छोड़ दी थी और बहुत आगे गए.
# अकेले लड़े सचिन
चेन्नई टेस्ट की आखिरी पारी में भारत को जीत के लिए 271 रन की दरकार थी. सकलैन पहली पारी में भी कहर बरपा चुके थे. उनके पांच विकेट में शून्य पर लौटे सचिन भी शामिल थे. दूसरी पारी जब शुरू हुई तो अपना पहला टेस्ट खेल रहे सदगोपन रमेश ने पांच रन के स्कोर पर राहुल द्रविड़ के आने का रास्ता साफ कर दिया. फिर छह रन के स्कोर पर लक्ष्मण ने वही काम सचिन के लिए किया.271 के स्कोर का पीछा करते हुए भारत जैसे तैसे 50 तक पहुंचा ही था कि स्विंग सुल्तान वसीम अकरम ने ‘द वॉल’ कही जाने वाली दीवार के सरिये उखाड़ दिये. भारत 50 पर तीन.
मोहम्मद अजहरुद्दीन उन दिनों या तो गुस्से में सत्तर गेंदों पर शतक पीट जाते थे या फिर विरोधी टीम को कैच प्रैक्टिस कराते थे. इस मैच में नज़ारा थोड़ा सा बदला, उन्होंने सकलैन के सामने LBW होने की प्रैक्टिस की और सात के व्यक्तिगत स्कोर पर वापस हुए. सकलैन उन दिनों क्रिकेट की सिलेबस के बाहर का सवाल थे. ऐसे में वह कॉपीबुक क्रिकेट खेलने वालों को क्या ही समझ आते? सो दो रन बनाकर दादा गांगुली भी पवेलियन रवाना हो गए.
आधी भारतीय टीम लंच के थोड़ी देर बाद तक ड्रेसिंग रूम में थी. 82 पर पांच. जीत से 189 रन दूर. लेकिन यहां से जीत तो दूर की बात थी, अब बस हार का अंतर कम करना था. क्रीज पर बस एक एक योद्धा बचा था. सचिन तेंदुलकर. सचिन को चौतरफा हमले का सामना करना था. पाकिस्तान की तेज तिकड़ी, सकलैन की फिरकी, चेन्नई की गर्मी और दूसरी तरफ से तेजी से गिरते जा रहे विकेट. उन्होंने भरसक कोशिश करी कि मोंगिया को स्ट्राइक से दूर रखा जाये. हालाकि मोंगिया अपनी तरफ से कहीं कमजोर नहीं पड़े. उन्होंने तीन घंटे से ऊपर खड़े रहकर 52 रन बनाए.#OnThisDay
— Pakistan Cricket (@TheRealPCB) January 31, 2019
in 1999, Pakistan edged the first Test played against India for over nine years, winning by 12 runs in a thriller in Chennai. pic.twitter.com/2x5XCxqGTs
# तकलीफ में योद्धा
रन बने तो पारी बनने लगी. 100 लगे. 150 लग गए. दोनों खिलाड़ी अच्छे ताल मेल से आगे बढ़ने लगे. मगर तभी सचिन पर एक तगड़ा आघात हुआ. पीठ का दर्द. सचिन की पीठ में दर्द का पहला प्रवेश इसी मैच में हुआ. उनकी पीठ और ऊपरी कंधे में दर्दीली जकड़न आ गयी. उन्हें फिजियोथेरेपी के लिए बाहर जाने की नसीहत दी गई. मगर आज यह खिलाड़ी कुछ अलग ही सोच कर बैठा था. उसने दर्द को धता बताया और खेलना जारी रखा. रन 218 तक पहुंच गए थे. अब पाकिस्तानी टीम के चेहरे पर परेशानी दिखने लगी थी. जीत के लिए महज 53 रन की जरूरत थी और विकेट 5 बचे हुए थे.मगर यहीं किस्मत ने पलटी खाई. सकलैन के शब्दों में कहें तो – उस दिन अल्लाह हमारे (पाकिस्तान के) साथ था.
नयन मोंगिया, सचिन पर से दबाव हटाने के चक्कर में शॉट लगा बैठे और वकार के हाथों कैच हुए. छठा विकेट गिरा. अभी भी चाय के बाद का पूरा खेल बचा हुआ था. इस बीच सचिन अब समझ गए थे कि खेल जल्द न खत्म किया गया तो या तो ये पीठ दर्द जीत जाएगा, या फिर बाकी के तीन पुछल्ले बल्लेबाजों को आउट कर पाकिस्तान. यानी दोनों सूरतों में जीत पाकिस्तान की होनी थी.
यहीं से सचिन ने दूसरा तेवर दिखाया. अपना स्टांस बदला और ताबड़तोड़ क्रिकेट खेलने लगे. अगले पांच ओवर में 34 रन जोड़ लिए. यानी स्कोर 254 पहुंचा दिया. अब जीत के लिए महज 17 रनों की जरूरत थी.#OnThisDay
— Pakistan Cricket (@TheRealPCB) January 31, 2018
in 1999, Pakistan snatched victory from the jaws of defeat in the classic Indo-Pak Chennai Test. It was the first meeting of two neighbours in a Test match in more than 9 years. @Saqlain_Mushtaq
and @SAfridiOfficial
starred in the historic win. pic.twitter.com/LOkkIhz2ku
सचिन थक चुके थे. उन्हें खेल खत्म करने की जल्दी थी. सकलैन गेंदबाजी पर आए, मगर अपना सबसे मारक हथियार, दूसरा फेंकने से डर रहे थे. उन्हें सचिन के तेवर का अंदाजा था. मगर कप्तान वसीम ने उन्हें अपना यही अस्त्र इस्तेमाल करने की ताकीद की. पांचवी गेंद को सीमा रेखा से बाहर पहुंचाने के चक्कर में सचिन गेंद को मिस टाइम कर गए. गेंद दूसरी तरफ जाकर वसीम अकरम के सुरक्षित हाथों मे समा गयी. जीत के लिए वांछित 17 रनों से दूर सचिन आंखो मे निराशा लिए लौटे. हालांकि लौटते हुए उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं रहा होगा जिस बात को सोच वसीम अकरम हाथ में कैच पकड़े मुस्कुराते हुए सकलैन की ओर बढ़े आ रहे थे.
सचिन के जाने के बाद खेल 20 मिनट भी नहीं चला. पाकिस्तानी टीम ने बचे हुए तीन विकेट महज चार रनों के भीतर समेत दिये. जोशी, कुंबले और श्रीनाथ ने मिलकर ये 4 रन जोड़े. भारत वह टेस्ट 12 रनों से हार गया.
Chennai Test 1999 में Team India को हराने का जश्न मनाती Pakistan Cricket Team (AFP)
अब बात वसीम की मुस्कुराहट की.
वसीम ने एक दफा भारतीय ड्रेसिंग रूम में मज़ाक में एक बात कही थी- बस सचिन आउट हो जाये. बाकी की पूरी टीम हम 50 रनों मे समेट देंगे. यहां तो फिर भी 3 विकेट ही समेटने थे. विकेट समेट दिये गए.
पाकिस्तान क्रिकेट टीम में तबलीगी जमात के आने के मज़ेदार किस्सों की पहली किश्त