कैसे डिप्रेशन से निकलकर टीम इंडिया के सुपरस्टार बने श्रेयस अय्यर?
अय्यर के करियर की पूरी कहानी.
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आठ साल का एक लड़का. इंडियन जिमखाना टीम की तरफ से हाथ में बल्ला थामे मैदान पर उतरता है. इस देश के हर उस लड़के की तरह जिसका सपना है कि एक दिन इंडिया के लिए खेलना है. ऐसे ही सपने के साथ वो लड़का सिर्फ 46 गेंदों में शतक लगा जाता है. वो लड़का उन गेंदबाजों की गेंद पर छक्के मारता है, जो उससे लंबाई और उम्र में दोगुने हैं. भले ही ऐसी पारियों को बहुत ज़्यादा लाइमलाइट नहीं मिलती. ऐसी पारियों को अखबारों में सुर्खियां भी नहीं मिलती. लेकिन क्रिकेट को समझने वाले मानेंगे कि ये एक हिम्मत वाली पारी रही होगी.
इस कहानी को आगे बढ़ाते हैं. सिर्फ 46 गेंदों में शतक लगाने के बाद इंडियन जिमखाना में ये लड़का स्टार बन जाता है. वाह-वाही होने लगती है. हर कोई कहने लगता है,
'वाह क्या पारी खेली है.'घर जाकर पिता को बताता है कि आज क्या झंडे गाड़े हैं. घर में भी सब खुश हो जाते हैं. खुशी इसलिए और दोगुनी होती है क्योंकि उस लड़के की कहानी में कोई बगावत नहीं है और ना ही घर से लड़-झगड़कर क्रिकेट के मैदान पर पहुंचने की ज़िद है. इस कहानी में तो उस लड़के के पिता खुद ही अपने बेटे का टैलेंट परख कर शिवाजी पार्क जिमखाना लेकर गए थे. उस लड़के नाम है श्रेयस अय्यर. वो श्रेयस अय्यर जिन्हें भारत का 303वां टेस्ट क्रिकेटर बनने का मौका मिला है. श्रेयस के पिता संतोष अय्यर के मन में ये चीज़ शुरुआत से ही चलने लगी थी कि अपने बेटे को कैसे तैयार करें. हालांंकि 11 साल की उम्र में उसे ये कहकर लौटा दिया जाता है कि
'अभी तुम्हारी उम्र कम है. अगले साल आना.'अब सवाल ये कि अगले एक साल करे तो क्या करें. क्योंकि पिता संतोष अय्यर, श्रेयस का एक दिन भी ज़ाया नहीं जाने देना चाहते थे. तो श्रेयस को वर्ली स्पोर्ट्स क्लब ज्वाइन करवा देते हैं. और अगले साल फिर श्रेयस शिवाजी पार्क जिमखाना पहुंच जाते हैं. जहां श्रेयस की मुलाक़ात होती है प्रवीण आमरे से. फैज़ साहब का एक मशहूर शेर है..
'फ़ैज़' थी राह सर-ब-सर मंज़िलहम जहाँ पहुँचे कामयाब आए.श्रेयस के लिए ये शेर बिल्कुल फिट बैठता है. प्रवीण आमरे ही उनकी असली मंज़िल थे. वैसे भी प्रवीण आमरे की देखरेख में जो भी खिलाड़ी आया. वो निखर गया. चाहे अजिंक्य रहाणे हो या फिर रॉबिन उथप्पा. अब नंबर था इंडिया के लिए एक नया खिलाड़ी तैयार करने का. ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि श्रेयस फ्रंट फुट और बैक फुट पर तेज गेंदबाजों को बेख़ौफ़ होकर शॉट लगाते थे. ज़िगरा था. ज़िगरा भी ऐसा कि वीरेंद्र सहवाग से तुलना होने लगी. चर्चा होने लगी कि मुंबई को एक नया सहवाग मिला है. # डिप्रेशन से लड़ाई जूनियर क्रिकेट में खूब कमाल करने वाले श्रेयस अय्यर ( Shreyas Iyer) के लिए साल 2009 बुरा होने वाला था. महज़ 16 साल की उम्र में फॉर्म ने साथ छोड़ा. ट्रायल्स में रिजेक्शन मिला. और श्रेयस को लगने लगा कि अब क्रिकेट हाथ से फिसल रहा है. ये अय्यर के करियर का वो फेज़ था कि वो क्रिकेट को भूल हार मान बैठे थे. श्रेयस का बल्ला नहीं चला तो वो डिप्रेशन में जाने लगे. लेकिन शुरुआत से ही जिस बच्चे पर पिता का इतना प्रभाव रहा. वो पिता उस बच्चे को ऐसे हाल में कैसे छोड़ देते. संतोष अय्यर ने श्रेयस के चेहरे पर उदासी देखी. और झट से उन्हें स्पोर्ट्स साइकोलोजिस्ट के पास लेकर चले गए. इस वक्त अगर श्रेयस को समय रहते नहीं संभाला जाता तो देश एक टैलेंटिड क्रिकेटर को खो देता. लेकिन साइकोलोजिस्ट के पास इलाज के बाद धीरे-धीरे श्रेयस का कॉन्फिडेंस वापस आने लगा. और वो इस कदर लौटा कि देखते ही देखते वो मुंबई U-19 टीम के कप्तान बन गए. सफ़र और आगे बढ़ा तो श्रेयस को भारत की अंडर-19 टीम में भी चुन लिया गया. साल 2014 में UAE में आयोजित वर्ल्ड कप U-19 में श्रेयस अय्यर ने तीन मैचों में दो पचासे की मदद से 161 रन बनाए. अंडर-19 वर्ल्डकप के अलावा उसी साल श्रेयस यूके दौरे पर गए. ट्रेंट ब्रिज टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन किया. तीन मैच खेले और 99 की बैटिंग एवरेज से 297 रन ठोक दिए. एक मैच में तो उन्होंने 171 रनों की पारी भी खेली. बस यहां से चढ़ा ग्राफ अब चढ़ता ही गया. अब श्रेयस को मुंबई के लिए फर्स्ट क्लास डेब्यू करवाया गया. यहां भी 50 प्लस की एवरेज से 809 रन ठोके और ये साफ हो गया कि अब वर्ल्ड क्रिकेट में एंट्री के लिए मुंबई की दिशा से इंडियन टीम के दरवाज़े पर दस्तक दी जा रही है. #कामयाब रणजी सीजन पहले सीज़न में तो सिर्फ दस्तक थी, लेकिन अगली बार से दरवाज़े पर मार करनी थी. अय्यर ने इसके बाद सबसे ज्यादा 1321 रन ठोके. 95 रन और बना लेते तो वीवीएस लक्ष्मण के एक सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने के रिकॉर्ड को भी तोड़ देते. खैर, श्रेयस ने 73 की बेमिसाल एवरेज से चार शतक और सात अर्धशतक लगाए. और मुंबई को 41वां रणजी ट्रॉफी टाइटल भी दिलवाया. रणजी में रन कूटने के बाद श्रेयस को दिल्ली डेयरडेविल्स ने साल 2015 में 2.6 करोड़ की बड़ी रकम देकर अपनी टीम में शामिल किया. अपने पहले ही सीजन में 14 मैच खेलते हुए चार अर्धशतक की मदद से यहां भी श्रेयस ने 439 रन बनाए. और इमर्जिंग प्लेयर का अवॉर्ड भी मिला. # Team India Debut1 नवंबर 2017. ये वो तारीख थी जब पहली बार श्रेयस को भारत की कैप मिली. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ़ डेब्यू किया. लेकिन बल्लेबाज़ी का मौका नहीं मिला. अगले महीने दिसंबर में श्रेयस ने धर्मशाला वनडे में श्रीलंका के खिलाफ डेब्यू किया. 9 रन बनाए. लेकिन दूसरे वनडे में ही उन्होंने 70 गेंदों में 88 रन की धुआंधार पारी खेली. इसके बाद साउथ अफ्रीका दौरे पर भी गए. लेकिन ज्यादा मौके नहीं मिले. बाद में टीम से ड्रॉप हुए. श्रेयस के इंटरनेशनल करियर का बेस्ट साल 2019 और 2020 रहा. 2019 में छह मुकाबले खेले. पांच पारियों में 53 की औसत से 266 रन बनाए. अगले साल नौ पारियों में एक शतक और दो अर्धशतक की मदद से 331 रन बनाए. बता दें कि श्रेयस अय्यर के नाम वन-डे के एक ओवर में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन ठोकने का रिकॉर्ड दर्ज है. वाइज़ैग वनडे में रोस्टन चेज़ के ओवर में 31 रन बने, जिसमें 28 रन श्रेयस के थे. IPL में अय्यर: श्रेयस अय्यर IPL में भी छाए. बतौर कप्तान भी वो कामयाब रहे. साल 2018 में दिल्ली को लीड करने का मौका मिला. तब अय्यर सिर्फ 23 साल के थे. कप्तानी डेब्यू के पहले ही मैच में उन्होंने 40 गेंदों में 93 रन की धमाकेदार पारी खेली. 2019 और 2020 में दिल्ली की कप्तानी करते हुए श्रेयस अय्यर ने टीम को प्लेऑफ तक पहुंचाया. 2012 के बाद ये पहला मौका था. जब दिल्ली ने प्लेऑफ में जगह बनाई थी. चोट की वजह से छह महीने तक क्रिकेट से दूर रहने के बाद अब फिर से कानपुर टेस्ट में उन्हें डेब्यू करने का मौका मिला है. महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने उन्हें डेब्यू कैप दी.
बता दें कि श्रेयस इस समय 26 साल के हैं. उन्हें कप्तान मैटेरियल भी माना जाता है. श्रेयस के पास पूरा करियर है. उम्मीद है कि आने वाले सालों में श्रेयस सबकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे. वैसे भी चार साल की उम्र में जिस बल्लेबाज़ ने कोचिंग लेनी शुरू की, डिप्रेशन से लड़ा, चोट से लड़ा, मैदान पर वापसी की और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ पहली टेस्ट सीरीज़ में ही दूसरे सबसे अधिक रन बनाकर छा गया.Congratulations to @ShreyasIyer15 who received his maiden Test cap from the legendary Sunil Gavaskar 👏#WTC23 | #INDvNZ pic.twitter.com/YrUMFr3d6d
— ICC (@ICC) November 25, 2021