रणजी फाइनल: जिस नियम से मुंबई फाइनल में पहुंची, वही उससे ट्रॉफी छीन सकता है!
रजत पाटीदार को मिला जीवनदान मुंबई को भारी पड़ेगा?

23 साल बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची है मध्य प्रदेश. लेकिन अब इस टीम के प्लेयर्स और फ़ैन्स इतिहास रचने के सपने देख रहे होंगे. तीसरे दिन के खेल के बाद मध्य प्रदेश ने तीन विकेट खोकर बोर्ड पर 368 रन चढ़ाए. मुंबई ने टॉस जीत कर पहली इनिंग्स में बैटिंग करते हुए 374 रन बनाए हैं. यानी फिलहाल, मुंबई के पास महज छह रन की लीड बची है. जिस तरह की बैटिंग मध्य प्रदेश ने की है, उसे परफेक्ट कहा जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि मुंबई को चांसेज नहीं मिले. आइए आपको बताते हैं कि रणजी ट्रॉफी के फाइनल के तीसरे दिन क्या-क्या हुआ.
दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक मध्य प्रदेश ने 123 रन बना लिए थे. हिमांशु मंत्री को तुषार देशपांडे ने 31 रन पर आउट कर दिया था. इसके बाद यश दुबे और शुभम शर्मा ने अच्छी बैटिंग जारी रखी. तीसरे दिन दोनों ही बल्लेबाज़ों ने सेंचुरी लगाई. शर्मा ने 15 चौके और एक छक्के की मदद से 116 रन बनाए. मुंबई के बैट्समैन अरमान जाफर ने 55 रन पर शुभम का कैच ड्रॉप किया. मोहित अवस्थी ने उनका विकेट लिया. इसके बाद यश ने भी अपना शतक पूरा किया. उन्होंने 133 रन की पारी में 14 चौके लगाए थे. इनके इतर, रजत पाटीदार ने भी बैटिंग में अपना जलवा बिखेरा. IPL प्लेऑफ्स में सेंचुरी लगाने के बाद रजत पर फ़ैन्स की नज़र रही है.
शुभम के आउट होने के बाद क्रीज पर आए रजत ने टेस्ट को वनडे बनाकर रख दिया. उन्होंने 44 बॉल में 50 रन ठोक दिए. इसके बाद वो हुआ, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. पाटीदार 52 रन पर खेल रहे थे. शम्स मुलानी ने एक गुडलेंथ बॉल डाली और पाटीदार से एज लगवाया. हार्दिक तमोरे ने आसान-सा कैच पकड़ा. पाटीदार पविलियन लौट गए. इसके बाद का ड्रामा देखने लायक था. थर्ड अंपायर ने फील्ड अंपायर को बताया कि मुलानी का पैर बोलिंग क्रीज से बाहर था. नो बॉल. मुंबई के चेहरे उतर गए. पाटीदार को जीवनदान मिल गया.
इसके बाद पाटीदार ने अपने बैटिंग करने के लहजे को बदला. 53 बॉल में 52 रन बनाने के बाद पाटीदार ने अपनी पारी के अगले 15 रन 53 बॉल में बनाए. तीसरे दिन के खेल का खत्म होने तक पाटीदार का साथ MP के कप्तान अदित्य श्रीवास्तव निभा रहे थे. उन्होंने 33 बॉल पर 11 रन बनाए.
क्या मध्य प्रदेश ये मैच जीत चुकी है?अब आपको बताते हैं कि क्या मुंबई अपनी 42वीं रणजी ट्रॉफी हार चुकी है. टूर्नामेंट का नियम है कि नॉकआउट मैच के दौरान अगर टेस्ट ड्रा होता है, तो वो टीम जीतेगी जिसने पहली इनिंग्स में लीड ले ली हो. यानी ये कि मुंबई को अगले दो दिन में मध्य प्रदेश को दो बार आउट करना होगा. या फिर पहली पारी के आखिरी सात विकेट छह रन के पहले गिरा दे. मध्य प्रदेश की बैटिंग देखते हुए ये लगभग नामुमकिन होगा. मुंबई के कैप्टन पृथ्वी शॉ चाहेंगे कि उनके बोलर्स चौथे दिन तेजी से विकेट्स निकालें, दूसरी पारी में उनकी टीम जल्दी बैटिंग करे और एक बार फिर, उनके बोलर्स मध्य प्रदेश को ऑलआउट करें.
आपको ऐसा लग सकता है कि इस नियम से मुंबई को नुकसान हो रहा है. लेकिन आपको बता दें कि सेमीफाइनल में उत्तर प्रदेश के खिलाफ इसी नियम के बूते मुंबई फाइनल में पहुंची थी. वो टेस्ट मैच ड्रॉ हुआ था, पर मुंबई के पास पहली इनिंग्स में लीड थी और उसने फाइनल के लिए क्वालिफाई किया था.
बहरहाल, हमने कई बार देखा है कि क्रिकेट में जैसा हम सोचते हैं, वैसा नहीं होता है. फिलहाल स्थिति उस टीम के पलड़े में है, जिसने कभी रणजी ट्रॉफी नहीं जीती है. क्या वो इस सीजन बदलेगा?