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जयंत यादव : पहला मौका कभी न गंवाने वाला छोरा

बड़ी दूर तक जाएगा ये.

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29 नवंबर 2016 (Updated: 29 नवंबर 2016, 10:29 AM IST) कॉमेंट्स
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ऑल राउंडर्स के लिए लंबे समय तक तरसी टीम इंडिया में अब एक साथ 3-4 ऑल राउंडर हो गए हैं. टॉप 10 ऑल राउंर्स में अश्विन नंबर 1 पर हैं. जडेजा नंबर 6 पर. इसी सूची में बहुत ज़ल्द एक नाम और जुड़ने वाला है – जयंत यादव. अपने पहले ही मैच में जयंत ने जाहिर कर दिया कि उनके पास वो पोटाश है जो उन्हें लंबे समय तक क्रिकेट में बनाए रखेगा. अपने करियर में कभी भी पहला मौका न गंवाने वाले जयंत का ग्राफ ऐसा है कि वो टेक-ऑफ करते ही टूट पड़ते हैं. सामने वाले पर.

जयंत यादव ने अपने सीनियर करियर की शुरूआत एक ऐसे मैच से की जिसमें हरियाणा की टीम को लेने थे या देने थे. दिसंबर 2011 में गुजरात के खिलाफ अगर हरियाणा टीम हार जाती तो लोअर डिवीज़न में भेज दी जाती. अमित मिश्रा और यजुवेंद्र चहल का खेलना तय माना जा रहा था. तभी हरियाणा क्रिकेट के अनिरूद्ध चौधरी ने एक जोखिम उठाया और जयंत यादव को खिलाया. इस मैच में जयंत ने 6 विकेट लिए और टीम हरियाणा जीत गई. मोहित शर्मा ने भी इसी मैच में डेब्यू किया था. जयंत ने दूसरे मैच में भी अपना कमाल जारी रखा और हरियाणा की टीम को बोनस के साथ जीत दिलाने में मदद की.


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सौजन्य : ट्विटर अनिरूद्ध चौधरी

मूलत: हरियाणा, गुड़गांव के रहने वाले जयंत यादव ने पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से की है और आर्ट साइड में ग्रेजुएशन स्टूडेंट हैं. लेकिन स्पिन की आर्ट में ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहते. आमतौर पर कहा जाता है वैराइटी भली चीज़ है. लेकिन फिंगर स्पिनर जयंत यादव का साफगोई से कहना है, 'मैंने कभी भी दूसरा नहीं डाली है और डालूंगा भी नहीं. मुझे लगता है हाथ को मरोड़े बिना दूसरा नहीं फेंकी जा सकती. मेरी स्टॉक बॉल ऑफ स्पिनर है.' जयंत का सूत्र है सीधी और टाइट गेंदबाज़ी के साथ बल्लेबाज़ को खराब शॉट खिलाया जाए और बल्लेबाज़ का काम तमाम. ऑफ स्पिनर जयंत यादव ने अपने क्रिकेट की शुरूआत लेग स्पिनर के तौर पर की थी. लेकिन घर में दो भाई भी लेग स्पिनर थे. बस घरेलू वैराइटी के लिए ऑफ स्पिन शुरू कर दी.

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चूंकि जयंत यादव पहला मौका नहीं गंवाते इसलिए अपने पहले ही टेस्ट मैच में उतरे जयंत यादव मैन ऑफ द मैच तो नहीं बन पाए लेकिन खोज ऑफ द मैच ज़रूर बन गए. इत्तेफाकन जयंत यादव को अपना पहला टेस्ट अमित मिश्रा की जगह खेलने को मिला जिनके साथ जयंत यादव ने बैटिंग और बॉलिंग का 'क ख ग' सीखा. इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापट्टनम टेस्ट में जयंत ने 4 विकेट तो लिए ही, पहली पारी में 35 और दूसरी पारी में बिना आउट हुए 27 रन बनाए. वो भी नंबर 9 पर आकर. पहली पारी में जयंत यादव ने अश्विन के साथ 64 रन जोड़े और दूसरी पारी में जयंत ने यही काम किया शमी के साथ 42 रन जोड़कर. इंग्लैंड और भारत में यही बड़ा फासला बना. जयंत यादव लोअर ऑर्डर में बल्लेबाज़ी ज़रूर करते हैं लेकिन लोअर ऑर्डर के बल्लेबाज़ नहीं हैं. इनके नाम करियर के भोरे-भोरे एक दोहरा शतक है. जयंत यादव ने कर्नाटक के खिलाफ अमित मिश्रा के साथ मिलकर 8वें विकेट लिए 392 रन जोड़ लिए थे. उस मैच में अमित मिश्रा ने 202* और जयंत यादव ने 211 रन बनाए थे. 35, 27* और 55 की तीन पारियों के दम पर जयंत फिलहाल 113 की औसत के साथ डॉन ब्रैडमैन से भी आगे हैं. खैर एक आध-बार आउट होने के बाद ये औसत कम हो ही जाएगी. लेकिन अगर ऐसे ही सब्र के साथ बैटिंग करते रहे तो जडेजा से पहले ज़रूर आने लगेंगे.

पहला मौका न गंवाने की आदत जयंत ने बचपन में ही डाल ली थी. 2004 में बाल जयंत ने अपने सबसे पहले मैच में अंडर-15 में जम्मू कश्मीर के खिलाफ 7 विकेट लिए थे. अंडर-15, अंडर-17, अंडर-19, अंडर-22 खेलते-खेलते 10 साल बाद 2014-15 के सीज़न में जयंत के करियर में वह सीज़न आया जिसने सारा मौसम बदल दिया. हम सबकी ज़िंदगी में एक सीज़न ऐसा आता है जब कुदरत मेहनत की बेशुमार बरकत देती है. जयंत ने उस सीज़न की शुरूआत 6 विकेट के साथ की और राजकोट में सौराष्ट्र के खिलाफ 13 विकेट लिए. दोनों पारियों में 97 और 35 के साथ टॉप स्कोरर रहे.

मौका मिला इंडिया ए टीम में – साउथ अफ्रीका-ए और बांग्लादेश-ए के खिलाफ. उसी साल जयंत ने रणजी चैंपियन और शेष भारत के खिलाड़ियों के बीच होने वाले ईरानी कप में मुंबई के खिलाफ 8 विकेट लिए. उस सीज़न जयंत गुच्छों में विकेट ले रहे थे और ठोक कर रन बना रहे थे.

यह सब देखकर आईपीएल वाले भी खिंचे चले आए और दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने जयंत के साथ करार कर लिया. ज़िम्बाव्वे दौरे के साथ सीनियर इंडिया टीम में पहला मौका मिला लेकिन खेलने का मौका मिला हरियाणा के साथी यज़ुवेंद्र चहल को. स्पिन गेंदबाज़ यज़ुवेंद्र चहल ही जयंत के अंडर-15 में पहले कप्तान थे. किसी भी खिलाड़ी को सबसे बुरा तब लगता है जब वो टीम के साथ तो हो लेकिन खेल न पा रहा हो. लेकन इस निराशा का भी अंत हो ही गया.

आखिरकार आया वह मौका जिसके लिए भारत में हर खिलाड़ी खेलता है. टीम इंडिया की जर्सी में खेलने का सपना न्यूज़ीलैंड के खिलाफ इंटरनेशनल डेब्यू के साथ पूरा हुआ. इस मैच में जयंत को सिर्फ 4 ओवर मिले. इनमें जयंत ने 8 रन देकर कोरी एंडरसन का विकेट ले लिया. 5वां गेंदबाज़ हमेशा थोड़ा-सा कम इस्तेमाल होता है. हरियाणा के ही दिल्ली के खिलाड़ी विस्फोटक वीरेंद्र सहवाग भी जयंत की तरह के ऑल राउंडर थे लेकिन गेंदबाज़ के तौर पर इतने कम इस्तेमाल हुए कि इतिहास में सिर्फ महान ओपनर के तौर पर याद किए जाएंगे.


खैर, इस मैच के बाद जयंत से जुड़े एक और किस्से का पता चला. अपनी मां के नाम की जर्सी पहन कर आई टीम इंडिया में जयंत चाह रहे थे कि उनकी पीठ पर एक नहीं दो मांओं के नाम हों. जयंत की जैविक मां का नाम लक्ष्मी था. और यही नाम उनकी शर्ट पर लिखा गया था. एक प्लेन क्रैश में 17 साल पहले उनकी मौत हो गई थी. उनकी दूसरी मां ज्योति यादव ने उनको पाला है. उन्होंने ही जयंत को हमेशा संभाला, सपोर्ट किया, आगे बढ़ाया. टीम की जर्सी में लक्ष्मी का नाम था, वो चाहते थे ज्योति का भी नाम हो. वो आज जहां भी हैं, अपनी कामयाबियों के पीछे ज्योति का हाथ भी उतना ही मानते हैं.

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हरियाणा के खिलाड़ियों के साथ एक परिपाटी जुड़ी हुई है वो या तो बहुत लंबा खेलते हैं या बहुत कम खेल पाते हैं. कपिल देव बहुत लंबे समय तक खेले, रणजी के सबसे कामयाब बॉलर राजिंदर गोयल को कभी मौका ही नहीं मिला, जोगिंदर शर्मा और अमित मिश्रा. शायद कपिल देव के बाद के बाद एक लंबे दौर का ऑलराउंडर भारत की टीम में आ गया है. जानने वाले बताते हैं बॉलिंग, बैटिंग के साथ-साथ क्रिकेट के चौथे आयाम फिटनेस पर भी जयंत यादव एकदम फिट बैठते हैं. बस एक-दो विदेशी दौरों के बाद पता चल जाएगा कि उनमें भरा पोटाश कितना विस्फोटक है. लेकिन इतना तो कम से कम तय है कि जयंत लंबे समय तक टीम में बने रहने वाले हैं. उनके आने से ज़रूरत पड़ने पर एक बैट्समैन कम खिलाया जा सकता है. और फिल्डिंग का तो कोई मसला ही नहीं है. खुद अश्विन का कहना है, 'मेरा और जयंत का पुराना परिचय है. 2-3 साल पहले जयंत चेन्नई आया था और कोई 15 दिनों के लिए मेरे घर के पास रुका था. उसने मेरे साथ प्रैक्टिस की. वह ऐसा शख्स है जो समझता है मेरे क्या विचार हैं. हम दोनों में अच्छा तालमेल है.'

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