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मेडल के लिए अस्पताल से भागने वाले शूटर की कहानी, जिसने CWG में झंडे ही गाड़ दिए

कॉमनवेल्थ में सबसे सफल भारतीय के क़िस्से.

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Jaspal Rana. Photo: Getty Images
जसपाल राणा. फोटो: Getty Images
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28 जुलाई 2022 (Updated: 28 जुलाई 2022, 06:46 PM IST) कॉमेंट्स
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साल 1934. उस वक्त के ब्रिटिश एम्पायर गेम्स, जिन्हें आज कॉमनवेल्थ गेम्स कहा जाता है. भारत ने इसी बरस इन गेम्स में अपना डेब्यू किया. उस साल लंदन CWG में भारत के छह एथलीट्स ने हिस्सा लिया. जिन्होंने 10 ट्रैक एंड फील्ड्स और एक रेसलिंग इवेंट में हिस्सा लिया. अपने डेब्यू साल में भारत ने एक मेडल जीता. ये मेडल लेकर आए राशिद अनवर. जिन्होंने उस साल पुरुषों की 74Kg कैटेगरी में फ्रीस्टाइल रेसलिंग का ब्रॉन्ज़ मेडल जीता.

राशिद CWG में मेडल जीतने वाले भारत के पहले एथलीट थे. तबसे लेकर अब तक भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में कुल जमा 503 मेडल्स जीते हैं. शूटिंग, वेटलिफ्टिंग, रेसलिंग, बॉक्सिंग, बैडमिंडन, टेनिस, एथलेटिक्स और ना जाने कितने ही गेम्स में सैकड़ों मेडल्स आए हैं. लेकिन कोई भी खिलाड़ी उत्तराखंड के जसपाल राणा की बराबरी नहीं कर पाया. जसपाल राणा. वो शूटर, जिसे CWG में भारत की सबसे बड़ी उम्मीद कहा जाता था. वो जसपाल राणा, जिन्हें CWG के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक चुना गया.

# जसपाल राणा की कहानी

जसपाल राणा के जीवन में शूटिंग की एंट्री हुई उनके पिता नारायण सिंह राणा द्वारा. नारायण सिंह राणा इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस(ITBP) में तैनात थे. उन्होंने 10 साल की उम्र में ही जसपाल को पिस्टल और राइफल्स से रूबरू करवा दिया. जसपाल ने भी बाकी कई शूटर्स की तरह अपनी शुरुआत पिस्टल और राइफल दोनों के साथ की. लेकिन फेडरेशन ने एक शूटर के लिए एक ही चीज़ से शूटिंग का नियम बना दिया. ऐसे में उन्होंने पिस्टल को चुना.

10 साल की उम्र में शूटिंग शुरू कर वो 11-12 साल की उम्र तक स्टेट और नेशनल लेवल के कॉम्पटीशन्स में हिस्सा लेने लगे. 1988 में महज़ बारह साल की उम्र में उन्होंने अहमदाबाद में हुए 31वें नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और सिल्वर मेडल जीता और सीनियर गेम्स की तरफ बढ़ चले.

# दर्द से कराहते हुए लाए गोल्ड

वैसे तो जसपाल ने ढेरों मेडल्स जीते, लेकिन 1994 में मिलान में हुई वर्ल्ड शूटिंग चैम्पियनशिप में उनकी जीत बेहद यादगार है. उस इवेंट से ठीक एक दिन पहले जसपाल अस्पताल में थे. उनके घुटने पर एक फोड़ा हो गया. डॉक्टर्स ने उनके पैर की सर्जरी के लिए कहा और ये भी कहा कि वो उन्हें अस्पताल से छुट्टी नहीं देंगे. ऐसे में उन्होंने और उनके कोच सनी थॉमस ने ये तय किया कि वो अस्पताल से भाग निकलेंगे क्योंकि उन्हें अगले दिन शूटिंग करनी थी.

वो अस्पताल से भागे लेकिन उसी रात वो फोड़ा फूट गया. और उनका दर्द बढ़ गया. इस दर्द में वो अपनी जींस भी नहीं उतार पा रहे थे. उन्होंने उस जींस को बाद में फाड़कर हाफ पैंट में बदला और उसी में अगली सुबह इवेंट में हिस्सा लिया. और जूनियर सेक्शन में वर्ल्ड रिकॉर्ड स्कोर के साथ पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीतकर लौटे. उसी साल उन्होंने हिरोशिमा में हुए एशियन गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीता और 18 साल की उम्र में ही अर्जुन अवार्ड भी अपने नाम किया.

# जसपाल राणा के मेडल्स

जसपाल राणा ने भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में कुल 15 मेडल जीते हैं. जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है. क्योंकि मेडल्स के मामले में भारत में कोई भी और खिलाड़ी इस रिकॉर्ड से आगे नहीं पहुंचा. जसपाल ने 1990s से 2000s के बीच शूटिंग सर्किट में कमाल करके रखा. उन्होंने इस दौरान नौ गोल्ड, चार सिल्वर और दो ब्रॉन्ज़ मेडल जीते.

1994 CWG

जसपाल राणा को पहली बार साल 1994 में कोलंबिया में हुए CWG में मौका मिला. अपने पहले ही कॉमनवेल्थ गेम्स में राणा ने चार मेडल्स पर कब्ज़ा जमा लिया. 10m एअर पिस्टल मेन्स इवेंट में अपने डेब्यू मैच के दौरान उन्होंने सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद 10m एअर पिस्टल के पेअर्स इवेंट में उन्होंने ब्रॉन्ज़ अपने नाम किए. इसके बाद सेंटर फायर पिस्टल मेन्स इवेंट में दो गोल्ड मेडल जीते.

1998 CWG

1994 के बाद 1998 में मलेशिया के कुआललम्पुर कॉमनवेल्थ गेम्स में वो दूसरी बार हिस्सा लेने पहुंचे. यहां एक बार फिर उन्होंने 10m एअर पिस्टल मेन्स इवेंट में सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद 10m एअर पिस्टल के पेयर्स इवेंट में उन्होंने एक और सिल्वर जीता. इसके बाद उन्होंने सेंटर फायर पिस्टल मेन्स और सेंटर फायर पिस्टल मेन्स पेअर्स इवेंट दोनों में गोल्ड जीते.

2002 CWG

2002, जसपाल के करियर का सबसे सफल CWG. वो भारतीय दल के साथ मैनचेस्टर पहुंचे. यहां फिर 10m एअर पिस्टल मेन्स इवेंट में उन्होंने ब्रॉन्ज़ अपने नाम किया. इसके बाद उन्होंने 10m एअर पिस्टल पेअर्स इवेंट में सिल्वर, 25m स्टैंडर्ड पिस्टल मेन्स इवेंट में गोल्ड, फिर 25m स्टैंर्ड पिस्टल मेन्स पेअर्स इवेंट में एक और गोल्ड, इसके बाद उन्होंने सेन्टर फायर पिस्टल मेन्स और सेंटर फायर पिस्टल मेन्स पेयर्स इवेंट में दो और गोल्ड जीते.

2006 CWG

2006 में ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में जसपाल ने फिर से मेडल्स जीते. अपने करियर के आखिरी CWG में जसपाल राणा ने सेन्टर फायर पिस्टल मेन्स पेअर्स इवेंट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

जसपाल राणा के फील्ड छोड़ने के बाद भी भारतीय शूटिंग में मेडल्स की बारिश जारी रही. इसके बाद 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय शूटर्स ने कमाल का खेल दिखाया. इस कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने सारे इवेंट्स मिलाकर 39 गोल्ड, 26 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज़ मेडल की मदद से कुल 101 मेडल्स अपने नाम किए. जो कि कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में भारत का सबसे सफल गेम्स भी रहे.

जसपाल राणा इस समय कई और युवा खिलाड़ियों को तैयार कर रहे हैं. वो देहरादून में जसपाल राणा इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी भी चलाते हैं. जहां पर कई युवा प्रतिभाओं को निखारा जाता है. साल 2020 में उन्हें द्रोणाचार्य अवॉर्ड भी दिया गया.

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