The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • INDvsNZ: Rahul Dravid talks about declaration time and Kanpur Pitch

राहुल द्रविड़ ने मैच के बाद बताया क्यों नहीं मिला आखिरी विकेट

देर से पारी घोषित करने वाले सवाल पर भी द्रविड़ ने कुछ कहा है.

Advertisement
Img The Lallantop
राहुल द्रविड़ की बतौर भारतीय कोच ये पहली टेस्ट सीरीज़ है. फोटो: AP/PTI
pic
विपिन
30 नवंबर 2021 (Updated: 29 नवंबर 2021, 03:54 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच कानपुर में खेला गया टेस्ट मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ. हालांकि मैच के आखिरी दिन पहले सेशन के बाद किसी भी पल ऐसा नहीं लगा कि ये मैच भारत जीतने से चूक जाएगा. लेकिन आखिरी के कुछ ओवर में रचिन रविन्द्र और एजेज़ पटेल ने शानदार बल्लेबाज़ी कर मैच को ड्रॉ करा दिया. ये मैच जब ड्रॉ हुआ तो किवी टीम को जीतने के लिए लगभग 120 रन चाहिए थे. इस ड्रॉ के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारतीय टीम ने चौथे दिन अपनी दूसरी पारी घोषित करने में देर कर दी? पारी घोषित करने पर द्रविड़ का जवाब: भारतीय टीम के कोच राहुल द्रविड़ इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. उन्होने कहा है कि नहीं हमने पारी घोषित करने में कोई देरी नहीं की. भारत ने किवी टीम के सामने दूसरी पारी में 284 रनों का लक्ष्य दिया था. मैच के बाद जब राहुल द्रविड़ से पूछा गया कि क्या ऋद्धिमन साहा और अक्षर पटेल उस साझेदारी में थोड़ी तेज़ बल्लेबाज़ी कर सकते थे. तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया. द्रविड़ ने कहा,
''नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता. खेल को देखने का ये मेरा नज़रिया नहीं है. जब हमने अपनी पारी घोषित की, उससे आधा घंटा पहले तक हम दबाव में थे. उस वक्त तीनों ही परिणाम संभव दिख रहे थे. मैं ईमानदारी से कहूं तो अगर हम ऑल-आउट हो जाते तो फिर क्या होता? साहा ने गर्दन में परेशानी के बावजूद मैदान पर उतरकर जो बल्लेबाज़ी की उन्होंने बेहतरीन जज़्बा दिखाया है.''
द्रविड़ ने इसी बात का जवाब देते हुए आगे कहा,
''अगर हम तीन विकेट जल्दी खो देते और न्यूज़ीलैंड की टीम 110 ओवर के आसपास 240-250 चेज़ कर रही होती तो वो 2.2 या 2.3 रन प्रति ओवर के हिसाब से चेज़ करने जाते. इसलिए मेरा खेल को देखना का नज़रिया अलग है, हमें उस वक्त उस पार्टनरशिप की सख़्त ज़रूरत थी.''
हालांकि राहुल द्रविड़ ने ये भी कहा कि अगर चौथे दिन चाय से ठीक पहले श्रेयस अय्यर आउट नहीं होते तो हमारा टेस्ट में आगे जाने का नज़रिया कुछ और होता. उन्होंने कहा,
''हमने श्रेयस का विकेट चाय से ठीक पहले गंवा दिया. जिसके बाद हमने एक पार्टनरशिप निभाई जो कि हमारे लिए बेहद ज़रूरी थी. 167/7 से 230/7 तक जाना बेहद ज़रूरी था. अगर ये विकेट स्क्वेयर से टर्न और बाउंस करती. और साथ ही बल्ले के दोनों तरफ के किनारे लगते तो मैच की कहानी कुछ और होती.''
पिच से नहीं मिली मदद: इस बातचीत में राहुल द्रविड़ ने मैच ड्रॉ होने का एक बड़ा कारण कंडीशन्स को बताया. उन्होंने कहा,
''पिच धीमी और नीची थी, इस पर ना तो बहुत ज़्यादा बाउंस था और ना ही टर्न. भारतीय कंडीशंस में पांच दिन के टेस्ट में आप पिचों से थोड़ी ज़्यादा उम्मीद करते हैं. आमतौर पर चौथे और पांचवें दिन स्पिनर्स बल्लेबाज़ को बाहरी किनारों पर कैच के लिए गेंद करता है. जबकि अंदरूनी किनारों से बचाते हुए वो LBW के लिए जाता है. ईमानदारी से कहूं तो इस मैच में बाहरी किनारे जैसी चीज़ तो थी ही नहीं.''
द्रविड़ ने आगे कहा,
''यहां तक की मैच के आखिरी दिन भी बल्ले का बाहरी किनारा नहीं दिखा. मुझे याद नहीं आता कोई कैच विकेट के करीब से निकली हो. विकेटकीपर भरत ने ज़रूर कुछ कैच पकड़े लेकिन इसके अलावा कुछ भी ऐसा नहीं दिखा. आखिरी दिन के आखिरी सेशन में तो ऐसा लग रहा था जैसे बल्लेबाज़ों को आउट करने का एक ही तरीका है. या तो LBW या फिर बोल्ड.
राहुल द्रविड़ ने मैच के बाद अपने गेंदबाज़ों की तारीफ़ की. उन्होंने कहा,
''विकेट कैसी भी हो हमने फिर भी गेंद से कमाल का प्रदर्शन किया. ये विकेट काफी मुश्किल था. हालांकि हम कानपुर के विकेट को लेकर पहले से तैयार थे. ईमानदारी से कहूं तो मैं पहले भी यहां खेला हूं. यहां पर विकेट मुश्किल होती है. लेकिन ये विकेट कुछ ज़्यादा ही धीमी और नीची थी.''
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच खेली जा रही टेस्ट सीरीज़ वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का भी हिस्सा है. इस सीरीज़ में दो टेस्ट मैच खेले जाने हैं. पहला टेस्ट कानपुर में ड्रॉ पर खत्म हुआ है. जबकि दूसरा टेस्ट तीन दिसंबर से मुंबई के वानखेड़े क्रिकेट मैदान पर खेला जाएगा.

Advertisement