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  • IND vs AUS: Sachin Tendulkar learnt an important lesson on his first Australian Tour in 1991

जब बॉर्डर ने सचिन से कहा था, गेंद को हाथ मत लगाना

टेस्ट सीरीज़ से पहले सचिन की ये बात ध्यान से सुन ले टीम इंडिया.

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इस मैच के एक दिन बाद ही सचिन ने 1989 में अपना डेब्यू टेस्ट खेला था. फोटो: Getty Images
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विपिन
16 दिसंबर 2020 (Updated: 16 दिसंबर 2020, 09:37 AM IST) कॉमेंट्स
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17 दिसंबर 2020 यानी गुरुवार से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर सीरीज़ शुरू हो रही है. इस सीरीज़ की सबसे खास बात है भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाला पिंक बॉल टेस्ट. भारतीय टीम विदेशी ज़मीन पर पहली बार पिंक बॉल टेस्ट खेलेगी. लेकिन इस सीरीज़ से पहले सचिन तेंडुलकर ने अपने पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे की यादें और सीख इंडियन टीम और इंडियन फैंस के साथ साझा की हैं. जब बॉर्डर ने सचिन को गेंद छूने से रोक दिया था सचिन तेंडुलकर ने 1991-92 के अपने पहले दौरे को याद करते हुए इंडिया टुडे से खास बातचीत की. उन्होंने एलन बॉर्डर के साथ हुई एक खास घटना के बारे में बताया. सचिन ने कहा,
''मैं पर्थ में मैच खेल रहा था, और ज़्यादा से ज़्यादा बैकफुट डिफेंस खेल रहा था. फील्डर भी मुझसे काफी दूर थे लेकिन गेंदबाज़ के फॉलो थ्रू की वजह से हम लोग एक रन नहीं ले रहे थे. ऐसे में मैंने देखा कि एलन बॉर्डर गेंद को लेने के लिए मेरी तरफ दौड़ते हुए आ रहे हैं. मैंने सोचा कि मैं गेंद उठाकर इस सीनियर खिलाड़ी को पकड़ा देता हूं. लेकिन बॉर्डर ने ये देखते ही तुरंत मुझे टोक दिया. उन्होंने कहा, 'डोन्ट टच दि बॉल.' यानि, गेंद को हाथ मत लगाना. ये मेरी एक बड़ी सीख थी. फिर मैंने ये सोच लिया कि अब जब भी मैं डेड डिफेंस शॉट खेलूंगा तो उन्हें गेंद उठाने के लिए आने दूंगा.''
इसके बाद सचिन ने गेंद को हाथ नहीं लगाया. सचिन ने अपने पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे की तैयारियों पर भी बात की. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड दौरे पर हुई स्लेजिंग के बाद वह मानसिक रूप से काफी तैयार हो गए थे. उन्होंने कहा,
''ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले मैं रबड़ की गेंद से बजरी की गीली पिच पर प्रैक्टिस करता था. ऐसा इसलिए ताकि गीली गेंद अच्छे उछाल और गति के साथ मेरे पास आए. मैंने अपने दोस्तों को 70 यार्ड से प्रैक्टिस करवाने के लिए भी कहा. इसने मेरी काफी मदद की.''
स्लेजिंग के लिए कैसे हुए तैयार? सचिन ने इस बातचीत में आगे कहा,
''मैं हमेशा वो चीज़ करता था, जो मुझे तसल्ली और खुशी देती थी. साथ ही अलग-अलग चीज़ों का सामना करने के लिए मैं चीज़ों को आज़माता रहता था. जब हम ऑस्ट्रेलिया दौरे की तैयारी में थे तो सभी लोग वहां के बाउंस और पिचों की बात करने लगे. इसलिए मुझे वहां के लिए खुद को तैयार करना था. हालांकि मानसिक तौर पर तो मैं पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड के दौरे पर ही काफी तैयार हो गया था. यहां तक कि जब जॉन राइट हमारे कोच बने तो मैंने उन्हें ये कहकर चिढ़ाया भी कि जब मैं बैटिंग करने आया था तो आपने मेरे साथ स्लेजिंग की थी.''
सचिन ने आगे बताया कि उनकी स्लेजिंग पाकिस्तान दौरे से ही शुरू हो गई थी. उन्होंने कहा,
''पाकिस्तान से ही ये बातें शुरू हो गई थीं कि एक स्कूल का लड़का बल्लेबाज़ी करने आया है. जब मैं ऑस्ट्रेलिया गया तो मुझे पता था कि खिलाड़ी कुछ ना कुछ तो ज़रूर कहेंगे. ऐसे में आपको ये तय करना होगा कि कब उन्हें इग्नोर करना है या फिर कब जवाब देना है. मैंने ये ऑस्ट्रेलिया के उस दौरे से ही सीखा.''
भारतीय टीम 17 दिसंबर को एडिलेड में डे-नाइट टेस्ट के साथ ऑस्ट्रेलिया से चार मैचों की टेस्ट सीरीज़ का आगाज़ करेगी. इसमें पहले टेस्ट में तो विराट कोहली खेलेंगे. लेकिन उसके बाद के बाकी तीन मैचों के लिए वो टीम के साथ नहीं होंगे. इस भारतीय टीम में पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल जैसे प्लेयर्स भी हैं. ये पहली बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए हैं. ऐसे में सचिन की ये बातें उन्हें मोटिवेट करने में मदद कर सकती हैं.

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