'जूनियर-सीनियर नहीं, लीडर बोलिए', सिराज ने ऐसे बनाया सबको 'मियां मैजिक' का फैन!
Anderson-Tendulkar Trophy में Team India के कप्तान Shubman Gill बेशक प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे हों, लेकिन Mohammed Siraj के 23 विकेट के बिना भारत ये सीरीज बराबर नहीं कर पाता.

मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) ने ओवल टेस्ट (Oval Test) के चौथे दिन हैरी ब्रूक को 19 रन पर जीवनदान दिया था. इसके बाद ब्रूक ने 111 रन ठोक दिए तो सबका दिल टूट गया. उस समय तो लगा था कि ये गलती भारत को सीरीज हरा देगी. लॉर्ड्स में मिली हार भी ताजा हो रही थी. लेकिन कहते हैं न, जो हार नहीं मानता, उसे दूसरा मौका मिलता है. और सिराज को मिला. ओवल टेस्ट के अंतिम दिन जब पूरा देश सांसें रोककर बैठा था, तब सिराज ने एक जादुई यॉर्कर से आखिरी विकेट उखाड़कर न सिर्फ मैच जिताया, बल्कि एंडरसन-तेंदुलकर टेस्ट सीरीज (Anderson-Tendulkar Trophy) को 2-2 से बराबर कर दिया. और फिर उनका क्रिस्टियानो रोनाल्डो (Cristiano Ronaldo) वाला ‘सिउ’ सेलिब्रेशन. उन्होंने जब जंप लगाया, पूरा देश उनके साथ हवा में झूम उठा.
सिराज कैसे बने टीम की धड़कन?5 मैचों की इस टेस्ट सीरीज में सिराज टीम की धड़कन बने रहे. ओवल में जीत के बाद कप्तान शुभमन गिल ने तो उन्हें 'कप्तान का सपना' तक कह दिया. मैच के दौरान अंतिम विकेट सिराज के सीरीज के 186वें ओवर में आया. वो एकमात्र फास्ट बॉलर थे, जिन्होंने सीरीज के सभी 5 टेस्ट मैच खेले. शरीर में दर्द था, पर हौसला नहीं टूटा. गिल बेशक प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे (754 रन), लेकिन सिराज के 23 विकेट के बिना भारत ये सीरीज बराबर नहीं कर पाता. ओवल टेस्ट की अंतिम इनिंग में एक समय 303 रन पर महज 3 विकेट गंवाने वाली इंग्लिश टीम को उन्होंने 367 पर ऑलआउट कर दिया. इंडियन पेसर ने इस मुकाबले की पहली इनिंग में 4 और दूसरी में 5 विकेट चटकाकर इंग्लिश टीम को चारों खाने चित कर दिया.
सिराज ने ओवल टेस्ट में कैसे बदला मैच?मैच के बाद सिराज ने बताया कि सुबह उठकर उन्होंने खुद से कहा कि मैं ये गेम बदलूंगा. उन्होंने गूगल खोला, ‘बीलिव’ की इमोजी डाउनलोड की और उसे अपने फोन का वॉलपेपर बना लिया. मैच के अंतिम दिन उन्होंने इसी बीलिव के साथ बॉलिंग की और वो कर दिखाया जिसे क्रिकेट इतिहास में लंबे समय तक याद रखा जाएगा. हालांकि, सिराज की बॉलिंग में एक खास बात दिखी. इस सीरीज में उनका सबसे खतरनाक अस्त्र रही, वॉबल सीम का इस्तेमाल उन्होंने अंतिम दिन शुरुआत में नहीं किया. उन्होंने वाइड आउटस्विंगर फेंकी और इसी तरह उन्होंने जेमी स्मिथ का विकेट निकाला. इस विकेट ने टीम इंडिया की जीत की उम्मीदों को फिर से जीवंत कर दिया. इस विकेट से इंग्लैंड दबाव में आ गया. सिराज ने लय में आते ही बीच-बीच में अब अपनी वॉबल सीम का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया. इसका जवाब इंग्लैंड के पास नहीं था. इसी से उन्होंने जेमी ओवरटन और गस एटकिंसन को मात दी.
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हालांकि, सीरीज में भारत ने जो दो मैच जीते, वो जसप्रीत बुमराह की गैर-मौजूदगी में आए. और इन दोनों ही जीत में सिराज ने खुद को साबित किया. अगर आंकड़ों पर भी गौर करेंगे तो यही दिखता है कि बुमराह के बिना सिराज का प्रदर्शन बेहतर हो जाता है. बुमराह के साथ खेले गए 25 टेस्ट में सिराज ने 74 विकेट ही लिए हैं. लेकिन जब वो मुख्य गेंदबाज की भूमिका में होते हैं, तो 17 मैचों में उनके नाम 53 विकेट हैं. इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट भी बेहतर हो जाता है और औसत का तो क्या ही कहना.
दिनेश कार्तिक ने भी जब इस पर गौर करते हुए उनसे पूछा कि क्यों बुमराह की गैर-मौजूदगी में वो इतने प्रभावशाली हो जाते हैं. इस पर सिराज ने कहा,
मुझे लगता है कि जिम्मेदारी मुझे काफी पसंद है. मैं जस्सी भाई को मिस कर रहा हूं क्योंकि वो सीनियर बॉलर हैं. लेकिन, जब आपको एक्सट्रा जिम्मेदारी मिलती है तो आपको काफी अच्छा लगता है. मुझे ये काफी पसंद है और मैं इसे एंजॉय करता हूं. मैं बहुत प्रेशर नहीं लेता. अपने सिंपल प्लान को फॉलो करना मुझे पसंद है.
इससे पहले, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में वो बुमराह के सहायक बॉलर थे, लेकिन इंग्लैंड में वो खुद नायक बनकर उभरे. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को लेकर उन्होंने कहा,
मेरा काम जसप्रीत भाई के साथ पार्टनरशिप में बॉलिंग करना था. वहां, वो कितनी शानदार बॉलिंग कर रहे थे. लेकिन मुझे हमेशा लगता है कि मैं किसी भी स्थिति में विकेट ले सकता हूं. यहां तक कि मैं अपने स्पेल का आठवां ओवर भी कर रहा होता हूं, तो भी मैं 100 प्रतिशत देता हूं.
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बुमराह की छवि से कैसे निकले बाहर?सिराज ने एंडरसन-तेंदुलकर सीरीज में इसे करके दिखाया है. उन्होंने लंबे स्पेल डाले और दूसरे छोर पर प्रसिद्ध कृष्णा के लिए विकेट सेट किए. मैच को लेकर अपनी प्लानिंग को लेकर उन्होंने बताया,
मेरा प्लान सिर्फ एक ही जगह पर लगातार बॉलिंग करना और बॉल को अंदर-बाहर मूव करना था. मैं ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहता था, क्योंकि इससे दबाव हट जाता.

सिराज की बॉलिंग में सबसे बड़ी कमी कंसिस्टेंसी की दिखती थी. वो बहुत प्रयोग करते दिखते थे. लेकिन, इस सीरीज में उन्हें देखकर लगा कि उन्होंने सीख लिया है कि जीत के लिए खुद पर विश्वास और लगातार एक जगह पर बॉलिंग करना काफी होता है.
ओवल टेस्ट में जो हुआ, वो सिर्फ एक मैच की नहीं बल्कि एक लीडर के बनने की कहानी है. रोहित शर्मा की कप्तानी में सिराज के ऊपर नई गेंद से सिर्फ इफेक्टिव दिखने वाले बॉलर का टैग लग गया था. इसी टैग ने चैंपियंस ट्रॉफी में उन्हें टीम में जगह नहीं बनाने दी. हालांकि, इस सीरीज में वह जितने इफेक्टिव नई बॉल से दिखे, उतने ही पुराने बॉल से भी दिखे. ओवल टेस्ट में उनके लगभग सारे विकेट इसी का उदाहरण हैं.
सिराज ने हाल ही में अपनी बॉलिंग में इंप्रोवाइजेेशन किए हैं. उनकी स्क्रैम्बल्ड सीम डिलीवरी अब उनका सबसे घातक विकेट-टेकिंग ऑप्शन बन गई है. एंडरसन-तेंदुलकर सीरीज के लीडिंग विकेट टेकर मोहम्मद सिराज इससे पहले, जसप्रीत बुमराह की परछाई से बाहर नहीं निकल पाते थे. उनके आंकड़े भले ही ये दर्शाते हों कि बुमराह के बिना उनका प्रदर्शन बेहतर होता हो, पर उन्हें कभी पूरा क्रेडिट नहीं मिला. इस सीरीज में मोहम्मद सिराज ने पहली बार टीम के मुख्य बॉलर के रूप में अपनी पहचान बनाई है.
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