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जब गुजरात का कॉल गर्ल रैकेट हिमाचल में चुनावी मुद्दा बन गया

दोनों पार्टियों का चुनाव प्रचार कभी भी इससे निचले स्तर पर नहीं गिरा होगा.

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फोटो - thelallantop
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प्रवीण
26 अक्तूबर 2017 (Updated: 26 अक्तूबर 2017, 01:46 PM IST) कॉमेंट्स
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पंजाब के मुख्यमंत्री और 2003 में हिमाचल में कांग्रेस के चुनाव प्रचार के प्रभारी कैप्टन अमरिंदर सिंह थे. उस दौरान हिमाचल में चुनाव प्रचार करते हुए कैप्टन ने कहा था कि चुनाव लड़ने और युद्ध लड़ने में कई समानताएं हैं. सेना से राजनीति में जाने वाले कैप्टन ने अपनी पसंदीदा किताब नाइगेल हैमिल्टन की लिखी मोंटी  का हवाला देते हुए कहा था, " सैनिक की तरह ही किसी उम्मीदवार को भी अपने प्रतिद्वंदी को मात देने के लिए उससे एक कदम आगे रहना होता है."
कैप्टन अमरिंदर अति अाक्रामक थे
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2003 में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर को चुनाव प्रभारी बनाया था.

1998 में बीजेपी के हाथों शिकस्त झेलने के बाद अगले चुनाव यानी 2003 में हिमाचल में कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी थी. वहीं भाजपा भी सत्ता अपने हाथों कायम रखकर एक रिकॉर्ड बनाने की जुगत में सारी सीमाएं लांघ रही थी. 26 फरवरी 2003 को चुनाव होना था और दोनों पार्टियां अपने प्रचार में एक दूसरे पर खूब कीचड़ उछाल रहीं थी. हिमाचल की राजनीति में पहली बार इतना निचले स्तर का प्रचार देखा गया था जिसमें नेता किसी भी हद तक जाने को तैयार थे. हुआ यूं कि हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने शिमला में कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ दो मानहानि के मुकदमें दर्ज करा दिए. अमरिंदर उस साल इकलौते ऐसे मुख्यमंत्री थे जिनके खिलाफ उनके राजनैतिक विरोधियों ने पिछले एक साल में करीब आधा दर्जन मानहानि के केस दर्ज करवाए थे.
अमित शाह और मोदी ने बनाया मुद्दा
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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेताओं को खूब घेरा था.

इसकी शुरुआत 16 फरवरी 2003 को गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह के बयान से हुई थी जब उन्होंने अहमदाबाद पुलिस के पकड़े कॉल गर्ल रैकेट में कांग्रेस के तीन नेताओं- पंजाब के PWD मंत्री प्रताप सिंह बाजवा, राजस्व मंत्री अमरजीत सिंह सामरा और दिल्ली के विधायक अरविंद सिंह लवली के शामिल होने का खुलासा किया था. ये वही लवली हैं जिन्हें बाद में दिल्ली में भाजपा में शामिल कर लिया गया. इंडिया टुडे मैग्जीन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इन आरोपों पर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल मुहर लगाई बल्कि उनका इस्तेमाल भी किया. उधर कांग्रेस के नेताओं ने जालंधर में मोदी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा औऱ 100 करोड़ की नुक्सान भरपाई की याचिका दायर करने की धमकी दे दी. मगर मोदी पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा, उन्होंने हिमाचल चुनाव प्रचार शुरू करते हुए अहमदाबाद में गिरफ्तार कॉल गर्ल के साथ पंजाब के मंत्रियों की तस्वीरें जारी कर दीं.
मामला यहीं नहीं थमा
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धूमल, मोदी और मदन लाल खुराना

भाजपा और कांग्रेस में आरोपों का ये सिलसिला और आगे बढ़ा तो कैप्टन अमरिंदर ने एक हिमाचली नेता की जालंधर में पारिवारिक संपत्ति की जांच करने के लिए पंजाब विजिलेंस डिपार्टमेंट के अधिकारियों को तैनात कर दिया. इशारा धूमल की ओर था. हालांकि हिमाचल कांग्रेस ने नेताओं ने कैप्टन को आगाह किया कि ये दांव उल्टा भी पड़ सकता है मगर अमरिंदर डटे रहे.
उधर दिल्ली में भाजपा के मदनलाल खुराना ने एक और शिगूफा छोड़ दिया कि अमरिंदर के एक महिला पायलट के साथ अवैध संबंध हैं. इससे जुड़ी एक तस्वीर भी खुराना ने मीडिया में दिखाई और कहा कि अमरिंदर इस बात का खुलासा करें कि इस तस्वीर में महिला उनकी बेटी है या बहन?" इससे पहले 1992 में उस महिला के पिता ने पंजाब के तत्तकालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को पत्र लिखा अपनी बेटी को 'महाराजा' के चंगुल से छुड़ाने में मदद मांगी थी.
राजनीति में चुनाव के दौरान नेता जो आरोप लगाते हैं उनपर वे बाद में कितने कायम रहते हैं, इसके बेहद कम उदाहरण देखने को मिलते हैं. 2003 में जो मानहानि मुकद्दमे प्रेम कुमार धूमल ने कैप्टन अमरिंदर पर लगाए थे, वो 2013 में वापिस ले लिए थे.
हिमाचल चुनाव से जुड़ा वीडियो देखें-

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