साल 1989. सचिन तेंडुलकर नाम का लड़का मैदान पर उतरने को तैयार था. इंडिया के लिए पहली बार. सामने पाकिस्तान की टीम. कमेंट्री पर मौजूद आवाज़ कहती है, "जो आ रहा है, मुझे लगता है कि शायद तेंडुलकर है..." यहां उसकी आवाज़ में संदेह है. उस वक़्त तकनीक इतनी आगे नहीं पहुंची थी कि 72 कैमरे एक ही चेहरे पर चिपके हों. इसलिए माइक हाथ में थामे जेंटलमैन को कुछ संदेह था. वो लड़का सचिन ही था. वही सचिन आने वाले सालों में जब मैदान में बल्ला पकड़कर उतरता है तो उठने वाले शोर से मैदान के बाहर बैठा रिक्शे वाला भी समझ जाता था कि बैटिंग पर कौन आया है.
सचिन अ बिलियन ड्रीम्स. सचिन के जीवन पर बनी फ़िल्म. उनके क्रिकेट करियर और मैदान से इतर उनके जीवन के बारे में बताती फ़िल्म. ये एक डॉक्यूमेंट्री-नुमा ड्रामा है.
फ़िल्म पूरी तरह से कैलेंडर को ध्यान में रखकर बनाई गई है. उनके बचपन से शुरू होती है और उनके बल्ला पकड़ने से लेकर उनके रिटायरमेंट पर जाकर ख़तम होती है. 24 साल का क्रिकेट करियर और इसी बीच घटी घटनाएं ही इस फ़िल्म का हिस्सा हैं. सचिन जब इंडिया के लिए क्रिकेट खेलने को आये थे, दूरदर्शन 5 लाख रुपये बीसीसीआई से लेकर मैच को टीवी पर दिखाता था. लेकिन साल 94 आते-आते बीसीसीआई ने साढ़े 6 लाख डॉलर में मैच के टेलीकास्टिंग राइट्स ईएसपीएन को बेचे. जानकारों का कहना है कि इस बिकवाली में सचिन का बड़ा हाथ था. साल-दर-साल बीसीसीआई ने टेलीकास्टिंग राइट्स की रकम बढ़ाई. फ़िल्म का भी यही हाल है. जनता सचिन के नाम पर ही गच्च होकर पहुंच जायेगी. पहुंच रही भी है. मुझे 9 बजे की बजाय साढ़े 9 का शो देखना पड़ा क्यूंकि 9 बजे वाले शो में मात्र 4 सीट्स खाली थीं. वो भी एकदम पहली रो में.
आप सोचकर जाते हैं कि क्रिकेट और सचिन से जुड़ी वो बातें जो हमें नहीं मालूम हैं, उनके बारे में कुछ तो पता चलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यहां आप थोड़ा निराश हो जाते हैं. मतलब, सचिन ऐसा नाम है कि उसने जितने रन नहीं बताये हैं उतने तो उसके किस्से घूम रहे हैं. आदमी एक बार सचिन से मिलता है तो 20 बातें बताता है. ऐसा आदमी जिसके बारे में भयानक जानकारी तैर रही हैं, आप कुछ और चाहते हैं. लेकिन वो नहीं मिलता है. सचिन पूरे नेरेशन के दौरान सिर्फ 'अच्छा लगा', 'बुरा लगा' में निपट जाते हैं.
अंदरूनी बातें कम ही पता लगती हैं. लगती भी हैं तो उनसे जिसने कतई अपेक्षा नहीं थी - अंजली तेंडुलकर, सचिन की पत्नी. अंजली उस वक़्त के बारे में बताती हैं जब सचिन की कप्तानी कुछ ख़ास नहीं चली थी और एक दिन उन्हें बिना बताये कप्तानी से हटा दिया गया था और कहा गया कि कप्तानी की वजह से उनकी बल्लेबाजी पर दबाव पड़ रहा है. उस वक़्त सचिन की परेशानी, उनका परिवार और बाहरी दुनिया से कट-ऑफ़ आदि सब अंजली ने झेला. उस वक़्त की तमाम शंकाएं और बाकी सभी बातें अंजली बताती हैं. साथ ही अंजली जब अपनी शादी तय होने का किस्सा बताती हैं तो बहुत मज़ा आता है. शादी की बात करने से लेकर शादी के बारे में फ़िल्म में बताने का काम भी उन्हीं के हिस्से आया.
फ़िल्म पूरी तरह से भूतकाल में एक ट्रिप है. आप जैसे अपने घर की पुरानी एल्बम पलटते वक़्त महसूस करते होंगे, वैसा ही ये फ़िल्म देखते वक़्त महसूस करेंगे. बस फ़र्क ये होगा कि एल्बम सचिन का है. इससे ज़्यादा उम्मीदें न लगाई जायें कि यहां आपको वो मिलेगा जो कहीं और नहं मिला. यहां आपको वही माल मिलेगा जो यूट्यूब वीडियो में आप सैकड़ों बार देख चुके हैं. बस एक दो फैमिली वीडियोज़ हैं जो आपके चेहरे पर मुस्कान ला देंगे और वो वीडियो आपने पहले नहीं देखे होंगे. लेकिन आप सिर्फ इसी के लिए तो फ़िल्म देखने नहीं जायेंगे. हां, दोस्तों के साथ बैठकर उस वक़्त को फिर से ज़रूर जी सकेंगे जब आप मैच की अगली सुबह मैच के बारे में और सचिन की इनिंग्स के बारे में बात करते नहीं थकते थे.
फ़िल्म में कुछ भी ख़ास नहीं है. ख़ास जो भी है वो फ़िल्म के नाम में ही है - सचिन. नोस्टेल्जिया के ट्रिप के लिए यार-दोस्तों, घरवालों के साथ देखें. खोजी पत्रकारिता वाले निराश होंगे.
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सचिन की फ़िल्म में उनसे जुड़ी ये तीन अहम बातें गायब मिलती हैंअंजलि ने कुछ ऐसा किया कि ब्लश करने लगे सचिनसचिन के इस वीडियो को देखकर भीतर कुछ न हो तो खुद को मरा हुआ समझ लेनाजब पूरा स्टेडियम सचिन के लिए हैप्पी बड्डे गा रहा था