इंडियन एयर फोर्स ने हमला किया, इंडियन आर्मी ने ये कविता पोस्ट की
पढ़िए पूरी कविता.
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भारतीय सेना का प्रतीक चिन्ह
हरिवंश राय बच्चन ने 'दिनकर' के बारे में कहा था कि इन्हें एक नहीं बल्कि गद्य, पद्य, भाषा और हिंदी-सेवा के लिए अलग-अलग चार ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने चाहिए. वो दिनकर जिन्होंने हिंदी की कई विधाओं में झंडे गाड़े. जोश भर देने वाली रचनाओं के मालिक रहे हैं रामधारी सिंह दिनकर. 23 सितंबर 1908 में बिहार के बेगुसराय जिले के सिमरिया घाट में पैदा हुए. हिंदी के साथ संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू भी पढ़ डाली. लड़ाकू कवि टाइप रहे. उनकी कविता में एक तरफ क्रान्ति दिखती है तो दूसरी तरफ मुलायमियत.
'शक्ति और क्षमा'
क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ, कब हारा?क्षमाशील हो रिपु-समक्ष तुम हुये विनत जितना ही दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही

भारतीय सेना का ट्वीट
अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है पौरुष का आतंक मनुज कोमल होकर खोता है
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दंतहीन विषरहित, विनीत, सरल हो
तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिन्धु किनारे, बैठे पढ़ते रहे छन्द अनुनय के प्यारे-प्यारे
उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से
सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में चरण पूज दासता ग्रहण की बँधा मूढ़ बन्धन में
सच पूछो, तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की सन्धि-वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की
सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है
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'यह गीत सख़्त सरदर्द भुलाएगा, यह गीत पिया को पास बुलाएगा'
'एक नन्हा खरगोश लू की बौछार में हांफते-हांफते थक जाएगा'
'कुर्सी ही है जो घूस और प्रजातन्त्र का हिसाब रखती है'
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