जॉन एलिया अब किसी तार्रुफ़ के मोहताज तो हैं नहीं. सोशल मीडिया के उदय के बाद नए सिरे उन्हें पढ़ना-सुनना शुरू हुआ और आज बेशक उनके बारे में यह कहा जा सकता है कि वह इस माध्यम पर सबसे ज्यादा कोट किए जाने वाले शाइर हैं. जबकि उन्हें गुजरे एक अरसा हुआ. जॉन एलिया आज ही की तारीख में जन्मे थे. उन्हें याद करते हुए आज एक कविता रोज़ में पढ़िए उनकी यह ग़ज़ल :
हमारे ज़ख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए हैं
के उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं
तुम अपने चाहने वालों की बात मत सुनियो
तुम्हारे चाहने वाले दिवाने हो गए हैं
वो ज़ुल्फ़ धूप में फ़ुर्क़त की आई है जब याद
तो बादल आए हैं और शामियाने हो गए हैं
जो अपने तौर से हम ने कभी गुज़ारे थे
वो सुब्ह-ओ-शाम तो जैसे फ़साने हो गए हैं
अजब महक थी मेरे गुल तेरे शबिस्तां की
सो बुलबुलों के वहां आशियाने हो गए हैं
हमारे बाद जो आएं उन्हें मुबारक हो
जहां थे कुंज वहां कार-ख़ाने हो गए हैं