The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • Chandrakant Pandit admits he met Shahrukh khan before IPL 2012 but didn't agree to work under the foreign coach.

'विदेशी कोच के अंडर काम नहीं करूंगा'... जब चंद्रकांत पंडित ने ठुकराया शाहरुख़ ख़ान का ऑफर

चंद्रकांत पंडित की कहानी बिल्कुल फिल्मी रही है

Advertisement
Chandrakant pandit (PTI)
चंद्रकांत पंडित की हर तरफ हो रही तारीफ (PTI)
pic
रविराज भारद्वाज
28 जून 2022 (Updated: 29 जून 2022, 02:08 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

चंद्रकांत पंडित (Chandrakant pandit). पूर्व भारतीय खिलाड़ी. और मध्य प्रदेश रणजी टीम का इतिहास बदलने वाले कोच. ऐसे मौके कम ही आते हैं, जब किसी टीम की खिताबी जीत के बाद उसके प्लेयर्स से ज्यादा कोच की चर्चा होती है. लेकिन MP की जीत के बाद चंद्रकांत पंडित का नाम सबकी जुबां पर छाया है. एक कप्तान के तौर पर वह जो करने से चूक गए थे, बतौर कोच उन्होंने कर दिखाया. बिल्कुल कबीर खान की तरह. साल 2007 में आई फिल्म 'चक दे इंडिया' का वो कोच, जिसने सालों की मेहनत के बाद अपनी हार को जीत में बदला.

चंद्रकांत पंडित की कहानी बिल्कुल फिल्मी ही रही है. जैसे खुद खेलते हुए हार गए कबीर ने सालों बाद कोच बनकर इंडिया को चैंपियन बनाया. ठीक उसी तरह एक खिलाड़ी के तौर पर रणजी ट्रॉफी का खिताब जीतते रह गए पंडित ने कोच के तौर पर MP को ट्रॉफी दिलवा दी.

IPL कोचिंग का नहीं सोचा

बतौर कोच चंद्रकांत पंडित ने छठी बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता है. तीन बार मुंबई, दो बार विदर्भ और एक बार मध्यप्रदेश के साथ. हालांकि इस सफलता के बावजूद उनका नाम कभी किसी IPL टीम के साथ नहीं जुड़ा. लेकिन पूर्व भारतीय खिलाड़ी और MP के मौजूदा कोच को इसका कोई मलाल नहीं है.

IPL की कोचिंग को लेकर उन्होंने कहा,

‘अगर मैं किसी IPL टीम को फोन करुंगा तो कुछ मिल जाएगा ही. लेकिन वो मेरा स्टाइल कभी से था नहीं.’

शाहरुख़ का ऑफर ठुकराया

इसके साथ ही उन्होंने साल 2012 का एक वाकया भी शेयर किया. जिसमें उन्होंने कहा कि वो 2012 सीज़न से पहले KKR के मालिक शाहरुख़ ख़ान से उनके बंगले पर मिले थे. पंडित ने कहा,

‘मैं तब शाहरुख़ ख़ान से मिला था, लेकिन मैं खुद को एक विदेशी कोच के अंडर काम करने के लिए मना नहीं सका.’

1986 में किया था डेब्यू

चंद्रकांत पंडित ने साल 1986 में भारत के लिए डेब्यू किया था. 80 के दशक में सैयद किरमानी का उत्तराधिकारी बनने के इच्छुक लड़कों की लिस्ट में चंद्रकांत पंडित भी शामिल थे. उन्हें बैटिंग के दम पर इंडिया डेब्यू का मौका तो मिला, लेकिन पांच में से तीन टेस्ट में उन्हें कीपिंग नहीं करने मिली. फिर 1991-92 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर आखिरकार चंद्रकांत को दस्ताने पहनने का मौका मिला और उन्होंने 11 कैच लपकते हुए अपनी कीपिंग स्किल्स का शो ऑफ कर डाला.

चंद्रकांत का टेस्ट करियर बहुत लंबा नहीं चला, लेकिन अपनी बैटिंग के चलते वो 1986 से 1992 तक 36 वनडे मुकाबले जरूर खेल गए. हालांकि 1992 के बाद उनकी टीम में जगह नहीं बनी. जिसके बाद उन्होंने मध्यप्रदेश टीम का दामन थाम लिया और सालों तक वहां खेलते रहे. चंद्रकांत पंडित के MP से जुड़ने के बाद इस टीम की कहानी पलटनी शुरू हुई. शुरुआत से रणजी ट्रॉफी खेल रही मध्यप्रदेश की टीम साल 1998-99 में पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची. जहां एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में उनका सामना कर्नाटक की टीम से था. फाइनल तक कमाल की क्रिकेट खेलने वाली एमपी की टीम फाइनल में 96 रन से चूक गई.

Advertisement