जब कंगारुओं को एडिलेड में दिखा ईडन का भूत और पूरी हो गई द्रविड़ की यात्रा
साल 2003 के एडिलेड टेस्ट का क़िस्सा.
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Rahul Dravid ने 2003 Adelaide Test में कमाल कर दिया था, VVS Laxman और Ajit Agarkar के साथ मिलकर उन्होंने भारत को जीत दिला दी थी (गेटी फाइल)
# पॉन्टिंग का धमाल
इसमें 242 रन तो अकेले पॉन्टिंग ने बनाए थे. जस्टिन लैंगर 58, साइमन काटिच 75 और जेसन गिलेस्पी के नाम 48 रन रहे. मौज की बात ये रही कि आठवें विकेट के रूप में पॉन्टिंग के आउट होने के बाद कंगारू एक रन भी नहीं बना पाए. भारत के लिए अनिल कुंबले ने पांच विकेट निकाले, इनमें आखिरी के तीन एक ही ओवर में आए थे.अब बारी आई बैटिंग की. टीम इंडिया ने सिर्फ 85 रन पर टॉप के चार विकेट गंवा दिए. आकाश चोपड़ा, विरेंदर सहवाग और सचिन तेंडुलकर को एंडी बिकेल ने चलता किया. सौरव गांगुली रनआउट हो गए. अब क्रीज पर थे राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण. 21वें ओवर में गांगुली के आउट होने के बाद 13 गेंदों पर कोई रन नहीं बना. 14वीं गेंद, जेसन गिलेस्पी की फेंकी हुई. राहुल द्रविड़ क्रीज में थोड़ा पीछे गए और बॉल पर पूरी ताकत से बल्ला मार दिया. कॉमेंटेटर ने कहा,Rahul Dravid's Maiden Test Hundred in Australia#OnThisDay in 2003, Dravid (233) scored his maiden Test Hundred in Australia & added 303 runs for 5th wicket with @VVSLaxman281 (148)at Adelaide after being down for 85 for 4 in reply to Australia's 556! pic.twitter.com/jrdx7PlXHu
— SportsTelugu (@telugu_sports) December 14, 2020
'That's well played. He has found the gap and timing is good. the ball will reach boundary.'कट टू ओवर 26. एंडी बिकेल. पहली तीन गेंदों पर कोई रन नहीं. चौथी गेंद, थोड़ी शॉर्ट थी. द्रविड़ ने ऑफ स्टंप के बाहर की इस गेंद को पुल करके लेग साइड की बाउंड्री के बार भेज दिया. अगली गेंद फुल लेंथ थी. द्रविड़ ने इसे सीधे बल्ले से बाउंड्री के बाहर भेजा और एक बार फिर कॉमेंटेटर वाह-वाह कर उठे. दूसरे दिन का खेल खत्म हुआ. भारत का स्कोर 180 पर चार विकेट. लक्ष्मण 55 और द्रविड़ 43 रन बनाकर खेल रहे थे. दोनों के बीच 95 रन की पार्टनरशिप हो चुकी थी. ऑस्ट्रेलिया को अब एडिलेड में ईडन गार्डन्स के भूत दिखने लगे थे.
# जब पड़ा छक्का
दिखने भी चाहिए थे. दो साल पहले ही इन दोनों ने मिलकर ईडन में ऑस्ट्रेलिया को बुरी तरह से पीटा था. अब आया तीसरा दिन. भूत, वर्तमान बन गया. कल के स्कोर से आगे बढ़ते हुए द्रविड़ और लक्ष्मण ने लगभग एक स्पीड से रन बनाने शुरू किए. इस पार्टनरशिप का हाई पॉइंट उस वक्त आया जब टीम का टोटल 271 रन था. द्रविड़ 98 और लक्ष्मण 91 रन पर खेल रहे थे. अभी तक एक भी विकेट ना ले पाए जेसन गिलेस्पी ने यहां एक तीखी बाउंसर मारी. आमतौर पर द्रविड़ ऐसी गेंदों को छोड़ देते थे. लेकिन उस दिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने इस तीखी गेंद को उतने ही करारे ढंग से हुक किया और बॉल छह रन के लिए फाइन लेग बाउंड्री के बाहर तैर गई. थोड़ी ही देर में लक्ष्मण ने भी अपनी सेंचुरी पूरी की. इस सेंचुरी में थोड़ा योगदान रिकी पॉन्टिंग का भी था. 208 के टोटल पर उन्होंने लक्ष्मण का एक सीधा कैच जो टपकाया था. यह कैच ऑस्ट्रेलिया को पूरे 180 रन महंगा पड़ा. लक्ष्मण 388 के टोटल पर आउट हुए. तब तक उनके नाम पर 148 रन लिखे जा चुके थे.लक्ष्मण के साथ की अपनी पार्टनरशिप के बारे में द्रविड़ ने बाद में कहा था,India's Tour of Australia
Rahul Dravid won a Test for India for the first time in 22 years, when he scored 233 and 72* at the Adelaide Oval. He was well supported by VVS Laxman (148) and Ajit Agarkar (6 for 41).#AUSvINDpic.twitter.com/RketASU2H2 https://t.co/gVoftGpKp9 — Cricketopia (@CricketopiaCom) November 18, 2020
'प्लान सीधा था, कोशिश करके एक बड़ी साझेदारी बनाना. जब तक हो सके, बैटिंग करना. हमारे दिमाग में 2001 के कोलकाता टेस्ट की यादें थीं, जो कुछ ही साल पहले हुआ था और वहां हमने बिना आउट हुए पूरे दिन बैटिंग की थी. हमें एकसाथ लंबी साझेदारियां करने की आदत थी, हमने एक दूसरे पर यकीन किया.'लक्ष्मण के साथ 303 रन की पार्टनरशिप के बाद भी द्रविड़ नहीं रुके. वह 233 रन बनाकर आखिरी विकेट के रूप में आउट हुए. द्रविड़ की 594 मिनट की बैटिंग का कमाल था कि भारत पहली पारी में सिर्फ 33 रन ही पीछे रहा. हालांकि इन सबके बीच अब टेस्ट में बस पांच सेशन का खेल था.
# बॉम्बे डक का बदला
सबको लगा कि मैच ड्रॉ होगा या फिर ऑस्ट्रेलिया अब भी इसे जीत लेगी. ऑस्ट्रेलियन ओपनर आए लेकिन छा नहीं पाए. छाना तो बॉम्बे डक को था. जी हां, उसी अजित आगरकर को, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया ने ही बॉम्बे डक का नाम दिया था. आगरकर ने दूसरे ही ओवर में जस्टिन लैंगर को चलता कर दिया. थोड़ी ही देर में पहली पारी के हीरो पॉन्टिंग बिना खाता खोले वापस जा चुके थे. आगरकर ने मैच में 41 रन देकर छह विकेट निकाले. ऑस्ट्रेलिया 196 पर सिमट गया. अब भारत को जीत के लिए 230 रन बनाने थे. चौथे दिन के आखिरी 10 ओवर्स में भारत ने बिना विकेट खोए 37 रन जोड़ लिए. अब आखिरी दिन जीत के लिए 193 रन की जरूरत थी. सारे विकेट हाथ में. स्टैंड्स में तिरंगे और जीतेगा भाई जीतेगा, इंडिया जीतेगा का शोर किसी को भी शंकित कर सकता था. मितरों, ये एडिलेड है या अहमदाबाद!लेकिन टेस्ट के पांचवें दिन 193 बनाना, वो भी ऑस्ट्रेलिया में, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ... नॉट ईजी ब्रो. दिन के पांचवे ही ओवर में आकाश चोपड़ा लौट लिए. कुछ ही देर बाद द्रविड़ के खिलाफ जोरदार अपील हुई, लेकिन अब्बा, सॉरी अंपायर नहीं माने. 79 पर सहवाग भी वापस हो गए. सचिन आए, कुछ रन बनाए लेकिन 149 के टोटल पर उन्होंने भी कहा- ठीक है भाई, मैं चलता हूं. दादा भी बस आए और चले गए. फिर सारा लोड आया लक्ष्मण और द्रविड़ की जोड़ी पर. दोनों ने लोड थामा और 51 रन जोड़ दिए. 221 के टोटल पर लक्ष्मण को साइमन काटिच ने आउट किया. अब पार्थिव पटेल और द्रविड़ खेल रहे थे. 228 रन बन चुके थे. जीत के लिए दो रन चाहिए थे, ये दो रन द्रविड़ बनाते तो अंग्रेजी का Cherry on the top वाला काम हो जाता. लेकिन उनने साइमन काटिच की गेंद पर सिंगल लेना पसंद किया.Agarkar’s fine spell in Adelaide in 2003 helped India win their first Test in Australia in 22 years.
Do you think he should have played more Tests?pic.twitter.com/7jFrdZaDnv — Wisden India (@WisdenIndia) July 12, 2020
# पूरी हुई यात्रा
स्ट्राइक पर आए पार्थिव पटेल. ओवर की आखिरी बॉल. पार्थिव बोल्ड हो गए. अगले ओवर की पहली बॉल पर फिर द्रविड़ स्ट्राइक पर. स्टुअर्ट मैक्गिल की पहली तीन गेंदों पर कोई रन नहीं आया. चौथी गेंद पर चौका मार द्रविड़ ने भारत को जीत दिला दी. इसके साथ ही साल 1994 में केपलर वेसेल्स की साउथ अफ्रीका के बाद भारत ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज लीड करने वाली पहली मेहमान टीम बन गई. जाने से पहले एक बार लौटते हैं इस क़िस्से की शुरुआत पर. स्टीव वॉ ने द्रविड़ से अपनी उस मुलाकात के बारे में बाद में अपनी आत्मकथा में लिखा,'राहुल वह एक्स्ट्रा एज चाहता था जो उनके गेम को नेक्स्ट लेवल पर उठा दे. और उस दिन एडिलेड ओवल में उसने वह यात्रा पूरी कर ली.'