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कौन हैं शार्दुल विहान, जिन्होंने 15 साल की उम्र में एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीता है

इस लड़के ने जब अपना पहला मेडल जीता तब उसपर बैन लग गया था. 3 साल का.

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एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के बाद तिरंगें के साथ शार्दुल विहान(फोटो-ट्विटर).
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मनदीप
24 अगस्त 2018 (Updated: 24 अगस्त 2018, 02:03 PM IST) कॉमेंट्स
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साल था 2011. मेरठ शहर का एक 8 साल का छोरा बैडमिंटन कोचिंग की क्लास में 2 मिनट लेट हो जाता है. बैडमिंटन कोच उस छोरे को घर वापस घर भगा देता है. फिर हुआ यूं कि छोरे के घरवाले बैडमिंटन कोच के पास पहुंच जाते हैं और उस कोच को धमकाकर कोचिंग से हटा लेते हैं.

छोरे का मन बैडमिंटन से भरा तो शूटिंग में लगा. वह जब शूटिंग की प्रैक्टिस करने के लिए गया तो वहां खड़े लोग उसको देखकर हंसने लगे. लोग हंसते हुए कह रहे थे, पिद्दी से इस लड़के से राइफल तक तो उठेगी नहीं, निशाना क्या लगाएगा. छोरे के मन में अजीब सी चिड़ मची. उसने एकाएक वहां रखी राइफल उठाई और धांय से कर दिया फायर. बन्दूक से निकली गोली सीधी निशाने पर लगी. ठहाके मारने वाले सभी चुप. ठहाके मारकर हंसने वाले ये सारे लोग आज खड़े होकर ताली बजा रहे होंगे. क्योंकि इस छोरे ने एशियन गेम्स के डबल ट्रैप शूटिंग इवेंट में सिल्वर जीत लिया है. छोरे का नाम - शार्दुल विहान.


शार्दुल विहान(फोटो-फेसबुक)
बैडमिंटन से जी उतरा तो शूटिंग में हाथ आज़माया शार्दुल विहान ने.(फोटो-फेसबुक).

3 साल तक बंदूक तक उठाने की इज़ाज़त नहीं मिली

वापस चलते हैं 2011 में. छोरे की गोली को निशाने पर लगे डेढ़ साल बीता. 2012 में नई दिल्ली में 32वीं नार्थ जोन शूटिंग इवेंट चल रही थी. घर से दिल्ली आते वक़्त शार्दुल का हाथ कार की खिड़की में आ गया. जिसके चलते घरवालों को उसकी थोड़ी चिंता हुई और उसे खेलने की बजाय आराम करने के लिए कहने लगे. लेकिन जिद्दी छोरा नहीं माना और दिल्ली पहुंचा. पहुंचकर चांदी पर निशाना लगाया. शूटिंग फेडरेशन वाले जब उसे सम्मानित करने लगे तो उन्हें उसकी उम्र का पता लगा. उसकी उम्र साढ़े नौ साल की थी और राइफल चलाने के लिए उम्र 12 साल होनी चाहिए. 3 साल कम उम्र होने के कारण राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन ने उस पर तीन साल का बैन लगा दिया.


कट टू 2012

इंडोनेशिया में चल रहे 18वें एशियन गेम्स में डबल ट्रैप शूटिंग इवेंट में सभी को भारत के स्टार शूटर अंकुर मित्तल से मेडल की उम्मीदें थीं. मगर अफ़सोस वे फ़ाइनल तक नहीं पहुंच पाए. इसी इवेंट में 15 साल के शार्दुल विहान भी थे, जिनको शायद इक्का-दुक्का लोग ही जानते थे. शार्दुल शानदार प्रदर्शन करते हुए क्वालीफाइंग राउंड में 141 अंकों के साथ नंबर एक पर रहे. फ़ाइनल राउंड में उन्होंने 34 वर्षीय कोरियाई खिलाड़ी के ह्यून वू शिन के साथ कड़े मुकाबले में सिल्वर पर निशाना लगाया. मेडल मिलने के बाद प्रधानमंत्री से लेकर खेलमंत्री तक ने उन्हें ट्वीट कर बधाई दी.


प्रैक्टिस करते हुए शार्दुल विहान(फोटो-फेसबुक)
प्रैक्टिस करते हुए शार्दुल विहान(फोटो-फेसबुक)

अब तक कितने पदक झटके हैं?

2012 में लगे 3 साल के बैन के बाद शार्दुल जब 12 साल के हुए तो उन्हें दोबारा खेलने का मौका मिला. शार्दुल का पुराना अंदाज़ बरकरार रहा. उन्हें 2015 के बाद अब तक जिस भी अंतराष्ट्रीय इवेंट में खेलने का मौक़ा मिला, उसी में पदक झटके. उन्होंने अंतराष्ट्रीय स्तर पर कुल मिलाकर 5 मेडल देश की झोली में डाले हैं, जिनमें 3 गोल्ड और 2 ब्रोन्ज मेडल हैं. शार्दुल की पिछले 3 साल से राष्ट्रीय स्तर पर भी तूती बोली. उन्होंने कुल आठ मेडलों में से 6 सोने और 2 चांदी के मेडल झटके हैं.


खाना तक गाड़ी में खाना पड़ता था

शार्दुल रातों-रात स्टार नहीं बने बल्कि उन्होंने इसके लिए सालों मेहनत की है. वो प्रैक्टिस करने के लिए सुबह चार बजे घर से गाड़ी में बैठते था और लगभग 120 किलोमीटर का सफ़र तय कर दिल्ली के डॉ करणी सिंह शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस करने आते थे. दिल्ली में वह पूर्व एशिया चैंपियन अनवर सुल्तान के पास निशानेबाज़ी के गुर सीखते हैं. सुबह घर से जल्दी निकलने के कारण उन्हें नाश्ता भी गाड़ी में ही करना पड़ता था. उनके पिता दीपक विहान का मानना है कि शार्दुल के मेडल जीतने के पीछे बहुत बड़ा हाथ उनके छोटे भाई धर्मेन्द्र और उनके ड्राईवर का है, जो हमेशा शार्दुल के साथ होते थे.



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