Urethritis: बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो हो सकता है ये यूरिन इन्फेक्शन
महिलाओं और पुरुषों, दोनों को ही Urethritis यानी पेशाब के रास्ते में इन्फेक्शन हो सकता है. ये एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है. डॉक्टर से जानिए यूरेथ्राइटिस से बचाव के लिए क्या करना चाहिए.
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हमारे एक पाठक हैं प्रीतम. पटना में रहते हैं. कुछ समय से प्रीतम को यूरिन से जुड़ी समस्या हो रही थी. उन्हें दिन में बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ता. ऐसा लगता कि यूरिन पास होगा पर होता नहीं. दर्द और जलन महसूस होती. दिक्कत इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि वो बाहर जाने से घबराने लगे, न मार्केट जाते और न घूमने निकलते. फिर एक दिन बुखार चढ़ने पर उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. वहां जांच हुई तो पता चला उन्हें यूरेथ्राइटिस (Urethritis) है. ये और कुछ नहीं, पेशाब के रास्ते में होने वाला इन्फेक्शन है.
यूरेथ्राइटिस कोई बहुत गंभीर बीमारी नहीं है. लेकिन, फिर भी इस बीमारी से जूझते लोग अक्सर झिझक के चलते न इसके बारे में किसी को बताते हैं और न ही जल्दी डॉक्टर को दिखाते हैं. इस वजह से दिक्कत बढ़ जाती है. प्रीतम के साथ यही हुआ था. उनका कहना है कि झिझक के चलते वो डॉक्टर के पास जाने से बच रहे थे. इस तरह उनकी तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा.
इसलिए इस आर्टिकल में हम यूरेथ्राइटिस पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि यूरेथ्राइटिस क्या है और क्यों होता है? इसके लक्षण क्या हैं? यूरेथ्राइटिस से बचाव और इलाज कैसे करें? और, अगर बार-बार इन्फेक्शन हो रहा हो तो क्या करना चाहिए?
पुरुषों में Urethritis की वजह क्या है?ये हमें बताया डॉ. प्रकाश तेजवानी ने.

पुरुषों के लिंग की स्किन पर कोई न कोई बैक्टीरिया जरूर होता है. यही बैक्टीरिया पेशाब के रास्ते में पहुंच कर इन्फेक्शन कर सकता है. पेशाब के रास्ते में हुए इन्फेक्शन को यूरेथ्राइटिस कहते हैं. अगर किसी के एक से ज्यादा सेक्शुअल पार्टनर हों, तो ये एक पार्टनर से दूसरे पार्टनर हो सकता है. लिहाजा जब भी पेशाब के रास्ते में इन्फेक्शन होता है तो मरीज की मेडिकल हिस्ट्री पूछी जाती है. पता किया जाता है कि उसे इन्फेक्शन कब से है और क्या इन्फेक्शन से पहले उसने शारीरिक संबंध बनाए थे.
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ये जानना भी जरूरी होता है कि पार्टनर को इन्फेक्शन है या नहीं. जिन्हें बार-बार इन्फेक्शन होता है, उनकी मेडिकल हिस्ट्री जानना बहुत जरूरी हो जाता है क्योंकि ऐसे में दोनों का ही इलाज करना अहम होता है. अगर एक का इलाज हो और दूसरे का नहीं तो हर 15 दिन या महीने-दो महीने में इन्फेक्शन होता रहता है. अगर लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां हैं. जैसे डायबिटीज या हाइपरटेंशन तो उसे भी ठीक करना जरूरी होता है क्योंकि इसकी वजह से इम्यूनिटी कम हो जाती है. और कमजोर इम्यूनिटी के कारण इन्फेक्शन फैलने की आशंका बढ़ जाती है.
यूरेथ्राइटिस के लक्षण- पेशाब के लिए बार-बार जाना पड़ता है
- पेशाब कंट्रोल न कर पाना
- पेशाब के रास्ते से चिपचिपा डिस्चार्ज निकलता है
- किसी-किसी को तेज बुखार भी आता है
- हमेशा ऐसा लगता है कि पेशाब करना है लेकिन होता नहीं है
यूरेथ्राइटिस से बचाव और इलाजयूरिन इन्फेक्शन हो तो मरीज को यूरोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. वो जांच करेंगे, मेडिकल हिस्ट्री पूछेंगे. कुछ जरूरी जांचें होंगी, जैसे यूरिन की जांच. यूरिन की जांच दो तरह से हो सकती है. एक है, सिंपल यूरिन रूटीन माइक्रोस्कोपी. इससे पता चलता है कि यूरिन में इन्फेक्शन है या नहीं. दूसरा, यूरिन कल्चर टेस्ट. इससे पता चलता है कि किस सूक्ष्म जीव (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) की वजह से इन्फेक्शन हुआ है. डॉक्टर के पास पहली बार ये समस्या ले जाने पर एंटीबायोटिक और पेनकिलर दिए जाते हैं. लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है ताकि थोड़ी राहत मिल सके. इसी के साथ एंटीबायोटिक दवाई भी दी जाती है. ये आमतौर पर 85 से 90 फीसदी मामलों में काम करती है.
मरीज के लिए यूरिन कल्चर टेस्ट कराना जरूरी है ताकि पता चल सके कि इन्फेक्शन किस सूक्ष्म जीव की वजह से है. आमतौर पर कल्चर टेस्ट करने से पहले एंटीबायोटिक नहीं दी जाती है. पहले यूरिन का सैंपल ले लिया जाता है, फिर एंटीबायोटिक दी जाती है. कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट दो से तीन दिन में मिल जाती है. फिर मरीज को दोबारा OPD में बुलाया जाता है. वहां ये देखा जाता है कि जो दवाइयां मरीज ने खाईं, उनसे आराम है या नहीं. अगर आराम है और कल्चर टेस्ट से भी साबित होता है कि दवाइयां सही हैं, तो 4-5 दिन लगातार दवाई खाने के बाद मरीज के लक्षण खत्म हो जाते हैं. डॉक्टर मरीज को ये भी बताता है कि इसे आगे होने से कैसे रोका जाए.
इसके लिए सबसे जरूरी है हेल्दी लाइफस्टाइल. शराब न पीएं और स्मोकिंग न करें. डायबिटीज है तो उसे कंट्रोल में रखें. ब्लड प्रेशर की दवाइयां समय पर खाएं. अगर कोई कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी चल रही है तो उसका भी डोज एडजस्ट किया जाता है.

कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान या शारीरिक संबंध बनाने के बाद बार-बार यूरिन इन्फेक्शन होता है. ऐसे में उन्हें प्रिवेंटिव एंटीबायोटिक प्रोफिलैक्सिस दी जाती है. यानी जब भी महिलाओं को पीरियड्स आने वाले हों, उसके एक दिन पहले से वो एंटीबायोटिक्स खाना शुरू कर दें. फिर पीरियड्स खत्म होने तक ये दवाएं लेती रहें ताकि बार-बार यूरिन में इन्फेक्शन न हो. इसके अलावा, कुछ महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने के बाद इन्फेक्शन हो जाता है. ऐसे में डॉक्टर सलाह देते हैं कि सेक्स के बाद यूरिन जरूर पास करें. अगर फिर भी बार-बार इन्फेक्शन हो रहा है तो एंटीबायोटिक दी जाती है. इसकी एक डोज महिलाओं को संबंध बनाने के बाद लेनी होती है.
जिन्हें कब्ज की दिक्कत रहती है, उन्हें भी पेशाब से जुड़ी परेशानी होती है. यूरिन पूरी तरह पास नहीं हो पाता. थोड़ा यूरिन पेशाब की थैली में रह जाता है. ऐसे में सोनोग्राफी से देखा जाता है कि पेशाब की थैली पूरी तरह से खाली हो रही है या नहीं. बार-बार इन्फेक्शन होने पर किडनी या पेशाब की थैली में स्टोन का भी पता किया जाता है. इसके बाद इन्फेक्शन रोकने के उपाय किए जाते हैं. जैसे अगर यूरिन नहीं हो रहा तो दवा दी जाती है. फिर चेक किया जाता है कि यूरिन पास हो रहा है या नहीं. अगर पेशाब के रास्ते में कुछ रुकावट है तो उसे भी ठीक किया जाता है. अगर सोनोग्राफी में कोई स्टोन आता है तो उसका भी इलाज किया जाता है ताकि बार-बार इन्फेक्शन न हो.
यूरेथ्राइटिस यानी पेशाब के रास्ते में इन्फेक्शन महिलाओं और पुरुषों, दोनों को ही हो सकता है है. ये एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है. इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है. आप जब भी फिजिकल रिलेशन बनाएं, तो प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें. सेक्स के बाद यूरिन जरूर पास करें. इसके अलावा अगर आपकी इम्यूनिटी कमजोर है. आप बार-बार बीमार पड़ते हैं या कोई दूसरी बीमारी है तो अपनी दवाइयां समय पर खाएं. कोई भी दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. किसी भी लक्षण को हल्के में न लें. नहीं तो इन्फेक्शन गंभीर रूप ले सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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