The Lallantop
Advertisement

एक दूसरे की गोद में बैठकर फोटो क्यों खिंचा रहे ये लड़के-लड़कियां?

लड़के-लड़कियों के पार्क में बैठने से लोगों को दिक्कत थी, कुर्सियां ही हटा दीं.

Advertisement
keral-thumb
कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग त्रिवेन्द्रम के छात्र/ तस्वीर: सोशल मीडिया
22 जुलाई 2022 (Updated: 22 जुलाई 2022, 17:54 IST)
Updated: 22 जुलाई 2022 17:54 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सोशल मीडिया पर कुछ छात्र-छात्राओं की तस्वीरें वायरल हैं, जिनमे वो एक बस स्टॉप की बेंच पर एक दूसरे की गोद में बैठे नज़र आ रहे हैं. तस्वीरों में दिख रहे स्टू़डेंट केरल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के हैं. इन छात्रों ने मॉरल पुलिसिंग के विरोध में इस तरह की तस्वीरें खिंचाईं और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दीं.

छात्र केरल के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग त्रिवेन्द्रम के हैं. कॉलेज के नज़दीक एक बस स्टैंड है. उस स्टैंड पर एक बेंच बनी हुई थी जिस पर कॉलेज के छात्र-छात्राएं एक साथ बैठते थे. ये बात  बस स्टॉप के करीब की कॉलोनी में रहने वाल कुछ लोगों को अच्छी नहीं लगती थी. इन लोगों ने बस स्टॉप के बेंच को तीन अलग-अलग हिस्सों में कटवा दिया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि लड़के-लड़कियों को एक साथ बैठने से रोका जा सके. 

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में जब पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया तो छात्रों ने अपनी नाराज़गी जाहिर करने के लिए दूसरे की गोद में बैठकर तस्वीरें खिंचाईं .विरोध कर रहे कुछ स्टूडेंट्स का कहना है कि वो लोग इस तरह की समस्या का सामना काफी वक्त से कर रहे हैं. लड़के-लड़कियों के एक साथ बैठने पर स्थानीय लोग उनके बारे में अभद्र टिप्पणी करते हैं. इस बारे में सोशल मीडिया पर काफी चर्चा की जा रही है. छात्रों की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर करते हुए एक यूज़र ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए लिखा-

'त्रिवेंद्रम में कुछ असमाजिक तत्वों ने बस स्टॉप पर स्टील की बेंच को इसलिए काट दिया ताकि लड़के और लड़कियां एक दूसरे के बगल में ना बैठ सकें'

 

एक यूज़र ने छात्रों के विरोध जताने के तरीके को मॉरल पुलिसिंग पर जोरदार तमाचा बताया

सोशल मीडिया पर मामला बढ़ने के बाद तिरूवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) की मेयर आर्या राजेंद्रन ने इलाके का दौरा किया और यहां बस स्टॉप पर बैठने के लिए जेंडर न्यूट्रल सिस्टम करने का वादा किया. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक मेयर ने कहा,

'जिस तरह बेंच को काटकर तीन सीटों में बांट दिया गया, वह केरल जैसे प्रगतिशील समाज के लिए 'अनुपयुक्त' और 'अशोभनीय' है. केरल में लड़के-लड़कियों के साथ बैठने पर कोई रोक नहीं है. जो लोग अब भी रोक को सही मानते हैं, वे पुराने जमाने में जी रहे हैं. वे अब भी नहीं समझते हैं कि समय बदल गया है'

20 जुलाई से ये मामला सोशल मीडिया पर छाया हुआ है कई नेताओं समेत छात्रों को समर्थन भी मिल रहा है.

म्याऊं: लेयर शॉट ऐड और हैदराबाद गैंगरेप केस में बहुत सी चीज़ें कॉमन हैं!

thumbnail

Advertisement

Advertisement