लड़कियों को 15 की उम्र में 'प्रजनन' लायक मानने वाले सज्जन सिंह को डॉक्टर-वकील का जवाब
शिवराज का विरोध करने के चक्कर में कांग्रेस नेता लॉजिक बेच आए.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. आजकल खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. बहुत सारे मुद्दों पर अपनी राय रख रहे हैं. हाल ही में उन्होंने शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र पर भी बात की. कहा- "महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 कर दिया जाना चाहिए."
शिवराज के इस बयान के बाद कई लोगों के रिएक्शन्स आए, लेकिन जिस रिएक्शन पर सबसे ज्यादा ध्यान गया, वो था सज्जन सिंह वर्मा का बयान. सज्जन, मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री हैं. देवास से विधायक हैं. कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल हैं. उन्होंने 13 जनवरी (बुधवार) के दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें कहा-
"शिवराज कौन-से बड़े वैज्ञानिक हो गए. कौन-से डॉक्टर हो गए, जो 21 साल करने वाले हैं. भई, डॉक्टरों की रिपोर्ट है ये बच्चियों के बारे में कि 15 की उम्र में प्रजनन के उपयुक्त पाई जाती हैं. तो बच्ची 18 की उम्र में परिपक्व हो गई, ये माना जाता है. तो उसे रहना चाहिए. तो फिर शादी की उम्र 21 साल करने का क्या लॉजिक है?"
समाचार एजेंसी ANI ने सज्जन सिंह के बयान का वीडियो ट्वीट किया. ये वीडियो तेज़ी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. सज्जन सिंह के बयान पर लोगों ने सवाल खड़े किए. अब राजनीति कह लीजिए या सच में चिंता कह लीजिए, कई राजनेताओं ने विरोध जताया. इधर 14 जनवरी यानी गुरुवार को नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने सज्जन सिंह के नाम एक नोटिस भी जारी कर दिया. उनसे पूछा गया है कि नाबालिग बच्चियों के खिलाफ उन्होंने पब्लिक प्लेटफॉर्म में इस तरह का बयान क्यों दिया? क्या मकसद था? साथ ही ये भी कहा कि इस तरह के बयान बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं.
सज्जन सिंह ने क्या सफाई दी?National Commission For Protection of Child Rights issues notice to Congress leader Sajjan Singh Verma, requesting him to "provide an explanation within 2 days giving reasons and justifying his intention for making such discriminatory statement against minor girls and law..." https://t.co/llPjYyQa40
— ANI (@ANI) January 14, 2021
अब सज्जन सिंह के इस बयान ने इतना हंगामा खड़ा कर दिया, तो हमने सोचा कि क्यों न उनसे सीधे तौर पर बात की जाए. कांग्रेस नेता ने 'दी लल्लनटॉप' से फोन पर हुई बातचीत में अपने बयान पर सफाई देने की कोशिश की. कहा,
"18 साल की लड़की और लड़कों को वोटिंग का अधिकार है. इसका मतलब हुआ कि परिपक्व हैं. दूसरा पॉइंट- शिवराज सिंह चौहान 21 साल की पैरवी क्यों कर रहे हैं? मैं बताता हूं. इन्होंने दो योजनाएं चलाई थीं. एक- लाडली लक्ष्मी योजना. ये योजना के परिपक्व होने का वक्त आ गया है. बच्चियां 18 साल की होने वाली हैं, डेढ़-डेढ़ लाख रुपए इन बच्चियों को देना होगा. इसलिए ये ज़िम्मेदारी न आए, करके 21 साल की उम्र करने की बात की. दूसरी योजना थी- कन्यादान योजना. इनके कार्यकाल को ढाई साल बचे हैं. 18 साल की बच्ची की शादी होगी, तो इनको कन्यादान में 50-50 हज़ार रुपए देने होंगे. इससे भी बचना चाहते हैं. संविधान में भी हम ये मानते हैं कि 18 साल की लड़की और 21 साल के लड़के परिपक्व माने जाते हैं. बौद्धिक स्तर अच्छा माना जाता है."
आगे सज्जन सिंह ने गरीब मां-बाप का हवाला देने की भी कोशिश की. कहा,
"मैंने कहा था कि एक डॉक्टर भी ये कहता है कि 15 साल की बच्चियों में मातृत्व के गुण आ जाते हैं, उसमें बस ये हो गया कि मैंने 'प्रजनन' शब्द बोल दिया. मैंने ये कहा कि 13-13 साल की बच्चियों का गैंगरेप हो रहा है राज्य में, शिवराज उन बच्चियों की रक्षा तो कर नहीं पा रहे हैं. एक गरीब बच्ची के मां-बाप... अमीर लोग तो संभाल लेंगे, पाल लेंगे. लेकिन गरीब बच्ची के मां-बाप बेचारे मज़दूरी करने बाहर जाते हैं. बच्ची को घर में छोड़कर. आधी जान उनकी घर में रहती है आधी काम में. वो ये सोचते रहते हैं कि मेरी बच्ची सुरक्षित है कि नहीं है. इसलिए आदमी ये सोचता है कि बच्ची 18 साल की हो जाए तो उसकी शादी कर दूं. ये गरीब के मनोभाव को ही नहीं समझे. और मैंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यही कहा कि बच्चियों की शादी की उम्र 18 होनी चाहिए, 15 हो ऐसा नहीं कहा, अगर ऐसा कहा होगा तो मैं आज ही मर जाऊं."
डॉक्टर्स क्या कहते हैं?
सज्जन सिंह वर्मा ने किसी तरह अपने बयान को लेकर खुद का बचाव करने की पूरी कोशिश की. उन्होंने डॉक्टर्स का हवाला देने की भी कोशिश की. इसलिए हमने सोचा कि क्यों न इस मुद्दे पर डॉक्टर से ही बात कर ली जाए. 'दी लल्लनटॉप' ने बात की डॉक्टर उर्वशी प्रसाद झा से. ये गायनॉकलॉजिस्ट हैं. उनसे सवाल किया गया कि क्या 15 साल की बच्ची खुद अपने बच्चे को संभाल पाएगी, बच्चा पैदा करने की शारीरिक और मानसिक तौर पर सही उम्र क्या होगी. डॉक्टर उर्वशी का कहना है,
"15 बरस की उम्र में लड़की प्रेगनेंट होने के काबिल तो हो जाती है. लेकिन इतनी कम उम्र में प्रेगनेंट होना लड़की के लिए सही नहीं होता. उसका उम्र में थोड़ा बड़ा होना ज़रूरी है. 15 की आयु में बच्ची का खुद शारीरिक विकास होता है. वो खुद परिपक्व हो रही होती है. ज़ाहिर सी बात है कि एक बार लड़की को जब पीरियड्स आ जाते हैं, तो उसके बाद वो गर्भवती हो सकती है, लेकिन ये सही नहीं है. ये आइडियल नहीं है. ये रेकेमेंड नहीं किया जा सकता. इस वक्त प्रेगनेंट होना बिल्कुल भी ठीक नहीं है. और बच्चे के जन्म के बाद भी मां को बच्चे की पूरी देखरेख करनी होती है. इस काम के लिए भी उसे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर परिपक्व होना ज़रूरी है. 15 बरस की बच्ची के अंदर ये सब नहीं होता. कानूनी तौर पर वैसे न्यूनतम आयु तो 18 है. लेकिन अगर ये आयु 21 हो जाए तो और सही रहेगा. क्योंकि 15 की उम्र में प्रेगनेंट होना, बहुत ही ज्यादा जल्दी है, 18 की उम्र में प्रेगनेंट होना भी जल्दी ही है, 21 या उसके बाद की उम्र अगर कर दी जाए तो बेहतर होगा. इस दौरान वो एजुकेटेड भी हो जाएगी. इंडिपेंडेंट हो जाएगी."
यानी डॉक्टर्स भी ये बात मानते हैं कि 15 की उम्र में प्रेगनेंट होना, लड़की के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है. हमारी सरकार अभी लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 21 करने पर विचार कर रही है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी 15 अगस्त 2020 के दिन ये कहा था कि लड़कियों की शादी की उम्र पर विचार करने के लिए एक कमिटी बनाई गई है, उस पर रिपोर्ट आने के बाद केंद्र फैसला करेगा. वहीं इस मुद्दे पर पिछले ही साल दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोटिस भी जारी किया था.

डॉक्टर्स का कहना है कि 15 साल की बच्ची प्रेगनेंट तो हो सकती है, लेकिन ये उसके और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
वकील क्या कहते हैं?
खैर, सज्जन सिंह के बयान का बायोलॉजिकल पक्ष तो हमने जान लिया, जो कि कतई 15 बरस की उम्र में प्रेगनेंट होने के सपोर्ट नहीं करता. अब बारी है कानूनी पक्ष जानने की. इसके लिए हमने बात की सुप्रीम कोर्ट की वकील विजया लक्ष्मी से. उन्होंने भी शादी की उम्र 21 बरस करने पर सहमति जताई. विजया लक्ष्मी का कहना है,
"कोई भी कानून सोसायटी की भलाई को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. ये जो न्यूनतम आयु वाला नियम बनाया गया है, वो भी मेडिकल बातों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. 14-15 की उम्र में भले ही आप शारीरिक तौर पर परिपक्व हो जाएं, लेकिन जो मानसिक तौर पर परिपक्वता की ज़रूरत होती है, वो इस उम्र में नहीं आती है. पहले हमारे यहां बाल विवाह बहुत होते थे. ऐसे में कई बार तो पीरियड्स आने के पहले ही बच्चियों का वर्जिनिटी चली जाती थी. हम तब मेडिकली भी ज्यादा अपडेटेड नहीं थे. तब ऐसे कई केसेज आते थे, जहां मां और बच्चे, दोनों की जान पर खतरा बन जाता था. इसलिए इन सब चीज़ों को ध्यान में रखते हुए शादी की न्यूनतम आयु 18 की गई. ताकि फर्टिलिटी की उम्र तक पहुंचने के बाद भी लड़कियों को मानसिक तौर पर परिपक्व होने का वक्त मिले."
विजया लक्ष्मी ने 21 बरस की न्यूनतम आयु को सपोर्ट करते हुए कहा कि समय पहले से काफी बदल गया है. लड़कियां अब प्रोफेशनली भी आगे आ रही हैं. करियर ओरिएंटेड बन रही हैं, तो ऐसे में उन्हें वक्त भी चाहिए. ताकि वो इंडिपेंडेंट बन सकें. इसलिए 21 की उम्र अगर करने का फैसला हो रहा है, तो ये सही है, ये होना चाहिए.
क्या कहता है कानून?
इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872, पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1936, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, और हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, सभी के अनुसार शादी करने के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होनी चाहिए. इसमें धर्म के हिसाब से कोई बदलाव या छूट नहीं दी गई है. फिलहाल बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है. जिसके मुताबिक़ 21 और 18 से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाएगा. ऐसा करने और करवाने पर 2 साल की जेल और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है.
अब इसी उम्र को बढ़ाने पर बात चल रही है. जो कि ज्यादातर लोगों की नज़रों में सही फैसला है. सज्जन सिंह वर्मा को छोड़कर. इस फैसले से उन लड़कियों को स्कूल से आगे पढ़ने का मौका मिल जाएगा, जिनके परिवार वाले बस इसी कोशिश में होते हैं कि लड़की जैसे ही 18 की हो, उसकी शादी कर दी जाए. अब जब कानून खुद 21 के पहले शादी करने को गलत कहेगा, तो बहुत सी लड़कियों को कॉलेज करने का मौका मिल जाएगा. ऐसे में वो इंडिपेंडेंट भी हो जाएंगी. सही-गलत की समझ भी उनमें ज्यादा अच्छे से आ जाएगी.
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