पति के साथ मिलकर 14,000 से ज्यादा लोगों को जमीन दिलवाई, अब पद्मभूषण पा रही हैं
कसम खाई थी, आज़ाद भारत में ही ब्याह रचाएंगी.
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बायीं तरफ कृष्णम्मल, दायीं तरफ अपने पति शंकरलिंगम के साथ कृष्णम्मल. (तस्वीर: rightlivelihood.org/विकिमीडिया)
कौन हैं ये?
लैंड फॉर टिलर्स फ्रीडम (LAFTI) नाम के एनजीओ की मुखिया हैं. 94 साल की हैं. इनका एनजीओ पिछड़ी जातियों की महिलाओं और उनके परिवारों के लिए काम करता है.

कैसे पहुंचीं यहां तक?
1926 में जन्मीं. एक भूमिहीन दलित परिवार में. माली हालत ठीक नहीं थी, फिर भी घरवालों ने उन्हें ग्रेजुएशन तक पढ़ाई कराई. उसके बाद गांधीजी के सर्वोदय आन्दोलन से जुड़ गईं. वहीं अपने पति शंकरलिंगम जगन्नाथन से मिलीं. दोनों ने कसम खाई कि शादी करेंगे, तो आज़ाद भारत में. 1950 में इनकी शादी हुई. उसके बाद से ही पति-पत्नी ने मिलकर भूमिहीन किसानों को ज़मीन दिलाने का आन्दोलन शुरू किया.

शंकरलिंगम ने विनोबा भावे के साथ मिलकर भूदान आन्दोलन में काम किया. इसमें जमींदारों से उनकी ज़मीन का छठवां हिस्सा भूमिहीन किसानों को देने की अपील की गई थी. तब कृष्णम्मल मद्रास में अपनी टीचर ट्रेनिंग की पढ़ाई कर रही थीं. फिर दोनों ने ग्रामदान आन्दोलन में भी काम किया. बाद में तंजावुर (तमिलनाडु) में इन्होंने काम करना शुरू किया.

किसलिए मिला सम्मान?
इनके NGO LAFTI ने भूमिहीन किसानों/मजदूरों और जमीन के मालिकों के बीच पुल का काम किया है. 14,000 से ज़्यादा भूमिहीन लोगों को उन्होंने ज़मीन दिलाने में मदद की. यही नहीं, LAFTI कुटीर उद्योग चलवाने में मदद करता है. जैसे रस्सी बटना, लकड़ी का काम, मछलियां पकड़ना इत्यादि. पिछड़े समूहों की (खासतौर पर दलित) लड़कियों के लिए कंप्यूटर ट्रेनिंग भी करवाई जाती है.
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