कहानी 60 के पार पहुंच चुके उस कपल की, जिन्होंने 28 साल तक लिव-इन में रहने के बाद शादी की
लिव-इन में रहते हुए चार बच्चे हुए, सभी माता-पिता की शादी में मौजूद रहे.

28 साल पहले की बात है. एक आदमी और एक औरत को एक-दूसरे से प्यार हुआ. दोनों शादी करके साथ रहना चाहते थे. लेकिन उन्हें था समाज का डर. ऐसे में दोनों ने एक फैसला किया. घर छोड़कर भाग गए. और साथ रहने लगे. इसके बाद भी दोनों को सोसायटी का डर था. इसलिए कभी शादी नहीं की. कुछ ही बरसों में दोनों के बच्चे भी हो गए. फिर ज़िंदगी उन बच्चों को संभालने में बीत गई. दोनों रहते ज़रूर पति-पत्नी की तरह थे, लेकिन उन्होंने कभी शादी नहीं की थी. बच्चों की शादी ज़रूर करवा दी, नाती-पोते वाले भी हो गए. इन सबमें 28 साल बीत गए और अब जाकर इस कपल ने शादी की. इतने साल तक लिव-इन में रहने के बाद. इनकी शादी इस वक्त खबरों में बनी हुई है. अब ये कपल बूढ़ा हो चुका है, फिर भी ज़िंदगी को नए सिरे से जीने की तैयारी में है. क्या है इस कपल के प्यार की कहानी? लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर हमारे देश का कानून क्या कहता है? क्यों 50 से ज्यादा उम्र की किसी औरत की शादी को आज भी टैबू यानी हउआ समझा जाता है? सब बताएंगे एक-एक करके.
शुरुआत प्यारी सी कहानी से
जिस कपल का ज़िक्र हमने शुरुआत में किया, वो उत्तर प्रदेश के अमेठी के खुटहना गांव का रहने वाला है. 'आज तक' के आलोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला 60 साल की हैं, नाम है मोहिनी देवी. आदमी की उम्र 65 बरस है, नाम है मोतीलाल. 20 जून यानी रविवार की रात खुटहना गांव में जश्न का माहौल था. क्योंकि इसी शाम मोहिनी और मोतीलाल की शादी थी. बाकायदा दोनों की शादी के कार्ड भी छपवाए गए, गांव वालों को बुलाया गया. सबके खाने की व्यवस्था भी कराई गई. इस शादी में मोतीलाल और मोहिनी की बेटियां, बहुएं, बेटे, दामात और उनके सभी बच्चे बाराती बने. पूरे रीति-रिवाज के साथ इनकी शादी हुई.
मोहिनी मकदूमपुर गांव की रहने वाली थी. 28 साल पहले मोतीलाल के साथ वो खुटहना गांव आई थीं. तब से लेकर अब तक दोनों साथ हैं. मीडिया ने जब मोतीलाल से पूछा कि इतने साल तक उन्होंने शादी क्यों नहीं की, तब उन्होंने बताया कि पहले उनकी कोई मजबूरी थी. हालांकि उस मजबूरी का ज़िक्र उन्होंने नहीं किया. आगे कहा कि मोहिनी के साथ बिना शादी के रहने पर समाज को कोई दिक्कत नहीं हुई थी, सब ठीक था, उनके रिश्ते को एक्सेप्ट भी कर लिया गया था. लेकिन जब बच्चे बड़े हुए, उनकी शादी हुई, तो बच्चों ने अपने पैरेंट्स से कहा कि वो भी शादी कर लें, बच्चों की बात मानते हुए मोतीलाल और मोहिनी ने शादी की.

मोतीलाल और मोहिनी देवी अमेठी के खुटहना गांव में रहते हैं. (फोटो- आलोक श्रीवास्तव)
इस शादी की रस्म को पूरा कराने वाले पंडित तेज राम पांडे ने भी मीडिया से बात की. जब उनसे पूछा गया कि अब जाकर क्यों ये शादी हो रही है, इस पर उन्होंने एक धार्मिक नियम का ज़िक्र किया. कहा कि पैतृक नियम ये कहता है कि आदमी औरत की शादी नहीं होती, तो उनके लड़के, उनके जाने के बाद श्राद्ध और पिंडदान वगैरह नहीं कर पाते. इसलिए ये शादी करवाई गई. मोहिनी देवी अपनी इस शादी से बेहद खुश हैं और अपनी ज़ुबान से कहती हैं- "अच्छा लगत आहे". मतलब अच्छा लग रहा है.
अमेठी के खुटहना गांव में हुआ ये वाकया वाकई बेहद खास है. इसलिए नहीं कि दोनों ने शादी कर ली, बल्कि इसलिए क्योंकि दोनों इतने साल तक बिना शादी किए एक-दूसरे के साथ रहे, और लिव-इन रिलेशनशिप पर सवाल उठाने वालों के मुंह पर अनजाने में ही ज़ोरदार तमाचा जड़ा.
लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता है भी या नहीं?
अब बात निकली है, तो पूरा कर ही देते हैं. बात करेंगे लिव-इन रिलेशनशिप की. इसे कुछ लोग सही बताते हैं तो कुछ लोग विरोध करते हैं. सबके अपने-अपने तर्क हैं. लेकिन सभी तर्कों से ऊपर है कानून. ये जानना ज़रूरी है कि हमारे देश का कानून बिना शादी के साथ रहने वाले कपल को लेकर क्या कहता है? क्या उनके रिश्ते को मान्यता दी भी गई है या नहीं. तो जनाब इसका जवाब है कि इस रिश्ते को कानूनी मान्यता मिल चुकी है. समय-समय पर हमारी अदालतें इसे लेकर फैसले देती रही हैं. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में ये बात कही थी कि अडल्ट कपल्स के पास शादी के बिना भी एक साथ रहने का अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट की वकील देविका बताती हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार 1978 में लिव-इन रिलेशनशिप के कॉन्सेप्ट को इंट्रोड्यूस किया था. कोर्ट के पास बद्री प्रसाद बनाम डॉयरेक्ट ऑफ कन्सोलिडेशन केस पहुंचा था, इस केस में आदमी और औरत पिछले 50 साल से एकसाथ रह रहे थे, बिना शादी के. इस मामले में कोर्ट ने इस कपल को मैरिड कपल की तरह ट्रीट किया था और माना था कि उनका रिश्ता 'इन द नेचर ऑफ मैरिज' है. 2010 में एक और फैसला सुनाया था. इसमें कोर्ट ने कहा था कि अगर दो बालिग लोग बिना शादी के अपनी मर्जी से काफी लंबे समय तक साथ रह रहे हैं, तो उनकी रिलेशनशिप को लिव इन रिलेशनशिप कंसीडर किया जाएगा. 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने एक और जजमेंट दिया. एस खुशबू बनाम कन्हैया अम्बल के नाम से इसे जाना गया. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप आर्टिकल 21 के तहत राइट टू लाइफ में कवर होता है. सबसे बड़ा जजमेंट 2013 में आया. इंद्रा शर्मा बनाम वीके वी शर्मा. इसमें सुप्रीम कोर्ट लिव इन रिलेशनशिप को डोमेस्टिक वायलेंस की सीमा में लाया था.
जब उम्रदराज़ औरतों ने की अपनी मर्ज़ी से शादी
वापस लौटते हैं अमेठी में हुई इस शादी पर. यहां महिला हैं 60 बरस की. हमने हमारे देश में ऐसे कई वाकये देखे हैं जहां 50 साल से ज्यादा के उम्र के पुरुष शादी करते हैं. लेकिन ऐसे वाकये बहुत ही कम देखने को मिलते हैं, जहां 50 साल के ऊपर की कोई महिला अपनी मर्ज़ी से शादी करे. क्यों? क्योंकि 50 के ऊपर की महिला को तो हर कोई बूढ़ी कह देता है. और उनसे उम्मीद की जाती है कि वो सांसारिक मोह-माया से दूर हो जाएं. लेकिन पिछले कुछ बरसों में ऐसे वाकये भी हमारे सामने आए हैं, जहां बुज़ुर्ग औरतों ने भी अपनी मर्ज़ी से शादी की और ज़िंदगी की दूसरी पारी की शुरुआत की. साल 2019 के मार्च के महीने में मध्य प्रदेश के हरदा में 60 साल की एक बुज़ुर्ग महिला ने 70 बरस के एक बुज़ुर्ग से शादी की. ये बुज़ुर्ग आदमी की आंखों की रोशनी जा चुकी थी. दोनों के पार्टनर्स की मौत हो चुकी थी, दोनों अकेले थे. इसलिए शादी कर एकसाथ रहने का फैसला किया. ऐसी ही घटना मार्च 2020 में महाराष्ट्र के अहमदनगर से सामने आई थी. यहां 80 साल के बुज़ुर्ग और 68 साल की महिला ने शादी की थी. अपनी मर्ज़ी से ऐसा किया था, बाकायदा कार्ड छपवाकर शादी में लोगों को इनवाइट भी किया था.
अब इन दो शादियों में, दो बालिग लोगों ने अपनी मर्ज़ी से शादी की, लेकिन फिर भी ये शादियां खबरों में आईं. क्यों? क्योंकि इन्होंने समाज के तय किए गए खांचे से बाहर जाकर कुछ काम किया. हमारी सोसायटी में आदमी और औरत हर किसी का रोल उसकी उम्र के हिसाब से तय कर दिया गया है. औरतों से उम्मीद की जाती है कि वो 25 या ज्यादा से ज्यादा 30 के पहले शादी कर लें और फिर जितनी जल्दी हो सके बच्चा कर लें. हमारे यहां शादी का मकसद ही परिवार बढ़ाना, माने बच्चे को जन्म देना समझा जाता है. अगर आप मेरी बात से सहमत नहीं हैं, तो अपने आस-पास मौजूद किसी ऐसी शादीशुदा महिला से बात कीजिए, जिसकी शादी को मुश्किल से दो साल ही हुए हों. हम बिना किसी संदेह के ये बता सकते हैं कि वो महिला आपको ये ज़रूर बताएगी कि उससे अक्सर ही ये पूछा जाता है कि बच्चे कब करोगी? ऐसे में 50 के पार हो चुकी औरतें जब शादी करती हैं, तो खबर ज़रूर बनती है.
50 से ज्यादा की उम्र में शादी करने वाली एक्ट्रेस
एक एक्ट्रेस हैं सुहासिनी मूले. उन्होंने साल 2011 में 60 की उम्र में शादी की थी. उनकी शादी काफी ज्यादा खबरों में भी थी. BBC को दिए इंटरव्यू में सुहासिनी ने इस मुद्दे पर साल 2015 में कहा था-
"मैं हैरान हूं कि मेरी शादी इतने साल बाद चर्चा में कैसे आई? ये इतना बड़ा मुद्दा नहीं थी कि लोग डिस्कस करें. मुझे एक 'फेमिनिज़्म आईकॉन' बना दें. आईकॉन बनाने के लिए कई लोग हैं. यहां तो बस एक बुढ़िया है, जिसने बस ज़िंदगी के एक पड़ाव पर शादी कर ली."
सुहासिनी ने इस इंटरव्यू में कहा था कि उनके लिए करियर उनकी प्राथमिकता थी, इसलिए वो शादी नहीं करना चाहती थीं. उनका कहना है, जो कि 100 फीसद सच भी है, ये कि एक शादी के बाद भले ही पुरुष की ज़िंदगी में कोई फर्क न पड़े, लेकिन महिला की ज़िंदगी 180 डिग्री तक बदल जाती है. जब सुहासिनी प्रोफ़ेसर अतुल गुर्तु से मिलीं, तो उन्हें लगा कि उनके साथ ज़िंदगी बिताई जा सकती है.

सुहासिनी मूले ने 60 की उम्र में शादी की थी.
एक्ट्रेस नीना गुप्ता की भी अगर बात करें, तो उन्होंने भी 50 की उम्र में शादी की थी. चार्टेड अकाउंटेंट विवेक मेहरा से. साल 2008 में. नीना की पहले से एक बेटी थी, जिसे उन्होंने सिंगल मदर के तौर पर पाला था. ऐसा नहीं था कि नीना की ज़िंदगी में विवेक के पहले कोई पुरुष नहीं आया था, आए थे, लेकिन उन्होंने शादी उसी व्यक्ति से की और उसी उम्र में की, जब उन्हें सही लगा.

नीना गुप्ता ने 50 की उम्र में शादी की थी.
ये शादियां खबरें क्यों बनाती हैं?
अब एक कड़वे सच से रूबरू करवाते हैं. ये सारी घटनाएं खबरें इसलिए बनती हैं, क्योंकि ये अलग हैं. कुछ ऐसा हुआ, जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी. एक औरत की समाज में या शादी में उपयोगिता उसके मेनोपॉज़ के बाद खत्म समझी जाती है, उसका उतना सिग्निफिकेंस नहीं समझा जाता. उसका प्राइवेट पार्ट्स भी ढीले पड़ जाते हैं, वो सोकॉल्ड फिट नहीं कहलाती. इसी वजह से तो वजाइना टाइटनिंग क्रीम या जेल जैसे प्रोडक्टस आज मार्केट में हैं. क्यों? क्योंकि औरत से उम्मीद की जाती है कि अगर उसे डिज़ायरेबल रहना है, तो उसका शरीर फिट होना चाहिए. बॉलीवुड की फिट औरतों को अपवाद की तरह देखा जाता है. कोई एक्ट्रेस अगर टीनेज बच्चों की मां है और फिट है, तो उस पर खबरें बनती हैं, क्योंकि ये लोगों को अपवाद लगता है. उम्रदराज़ औरतों से अपेक्षा की जाती है कि वो संन्यास की तरफ बढ़ें, लेकिन जब ये औरत शादी करती है तो वो ये साबित कर देती है कि उसे भी जीने का उतना ही हक है जितना एक पुरुष को है.