The Lallantop
Advertisement

बालिका वधू की दादीसा असल जीवन में भी बोलती थीं खरी-खरी

आखिरी दम तक काम करना चाहती थीं सुरेखा सीकरी.

Advertisement
Img The Lallantop
सुरेखा सीकरी 'बालिका वधू' में दादीसा के किरदार में.
pic
लालिमा
16 जुलाई 2021 (Updated: 16 जुलाई 2021, 01:35 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

छोटी सी आनंदी, जब आठ साल की थी, तभी उसकी शादी हो गई. अब शादी भले ही हो गई, लेकिन बचपना तो था. इसलिए ससुराल में भी शैतानी करती रहती. इस पर सबसे ज्यादा डांट उसे पड़ती थी उसकी दादीसा से. ऐसी दादीसा जिन्हें देख हर किसी के हाथ-पैर कांप जाएं. कड़क, गुस्सैल, घर को अपने कंट्रोल में रखने वाली दादीसा. मज़ाल कोई उनके फैसले के खिलाफ चला जाए. ये दादीसा थीं तो बड़ी सख्त, और इसी सख्ती के साथ उन्होंने हमारे और आपके दिलों में ऐसी जगह बनाई, जो शायद कभी कोई और भर नहीं पाएगा. अब तक तो आप समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी की. जो अब हमारे बीच नहीं रहीं. 75 बरस की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के चलते उनका निधन हो गया.

सुरेखा ने दादीसा का किरदार निभाया था टीवी सीरियल 'बालिका वधू' में. रोल ऐसा था कि हम कई बार असल में उस किरदार से नफरत करने लगते थे. लेकिन फिर कभी यही दादीसा की आंखों में हमें आंसू दिखते, और उनके लिए हमारे दिल में प्यार जागता. नफरत और प्यार दोनों ही दादीसा को मिला. और सुरेखा ने इतने बखूबी इस रोल में जान डाली कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि कोई और उसे प्ले कर सकता था. लगता है मानो वो रोल उनके लिए ही लिखा गया हो.

कैसे ली एक्टिंग की दुनिया में एंट्री?

सुरेखा सीकरी ने बहुत सी फिल्मों, टीवी सीरियल्स और थियेटर्स में काम किया था. उनके करियर पर हम क्या ही बात करें, उन्होंने क्या-क्या किया वो आपने देखा ही होगा. लेकिन फिर भी एक नज़र डालते हैं, बताते हैं कि वो कैसे फिल्मी दुनिया में आईं. अलीगढ़ में परिवार के साथ रहती थीं. 1965 की बात है. NSD यानी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में सुरेखा की छोटी बहन जाना चाहती थी, घर पर NSD का फॉर्म भी आ गया था. लेकिन बहन का मन बदल गया. मां ने सुरेखा से कहा कि फॉर्म तो रखा ही है, तुम ही भर दो. लिखने-पढ़ने में दिलचस्पी लेने वाली सुरेखा ने मां के कहने पर फॉर्म भर दिया. इंटरव्यू हुआ और वो NSD पहुंच गईं. एक्टिंग की पढ़ाई की, फिर 15 साल तक दिल्ली में थियेटर करती रहीं. दिल्ली में कुछ बुरे अनुभव हुए, तो शहर छोड़ने का फैसला किया. 'राज्यसभा टीवी' के प्रोग्राम 'गुफ्तगू' में सुरेखा ने बताया, मुंबई जाने की कोई प्लानिंग नहीं थी, और न फिल्मों में जाने की थी, बस बहन का फ्लैट था मुंबई में इसलिए वहां चली गईं. जाने के बाद सीरियल्स और फिल्मों के ऑफर आने लगे और यहां से शुरू हुआ सुरेखा का फिल्मों और टीवी वाला सफर.


Surekha Sikri (2)
सुरेखा सीकरी ने NSD से एक्टिंग सीखी थी.

तीन बार नेशनल अवॉर्ड पा चुकीं सुरेखा का कहना था कि उनकी लाइफ में कभी कोई गोल नहीं था. वो तो बस आगे बढ़ते जा रही थीं. हां एक मकसद ज़रूर था, खुद को तलाशना. इस तलाश में जो काम उन्हें मिलता, उसे पूरी लगन के साथ करतीं. सुरेखा हमेशा काम करते रहना पसंद करती थीं. उन्हें अच्छे रोल्स की तलाश रहती थी. ऐसे रोल जो बॉलीवुड के घिसे-पिटे ढर्रे से अलग रहें. उन्होंने कई बार कई इंटरव्यूज़ में ये मुद्दा उठाया था कि एक उम्र के बाद एक्ट्रेस को अच्छे रोल मिलने बंद हो जाते हैं. 2018 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था-

"फ़िल्मकारों और लेखकों को थोड़ी मेहनत करने की ज़रूरत हैवयस्क ऐक्ट्रेसेज़ के लिए उन्हें ढंग के रोल्ज़ लिखने चाहिएं. वैसे, फ़िल्म इंडस्ट्री भी आख़िर हमारे समाज का ही हिस्सा है. हमारे समाज की तरह यहां भी पुरुष प्रधानता है. इसलिए सारे बढ़ियां रोल ऐक्टर्ज़ को ही मिल जाते हैं. एक ज़माना था जब फ़िल्मों में मेरी उम्र की औरतों और फ़र्निचर में कुछ ख़ास फ़र्क़ नहीं था. मगर अभी ज़माना अलग है. ज़माने के साथ हमें भी तो बदलना है."

सुरेखा को आखिरी बार हमने 'नेटफ्लिक्स' की शॉर्ट फिल्म की सीरीज़ 'घोस्ट स्टोरीज़' में देखा था. ब्रेन स्ट्रॉक का सामना करने के बाद भी उन्होंने ये रोल किया था. पिछले साल लगे लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने कहा था कि वो काम करना चाहती हैं. 'हिंदुस्तान टाइम्स' को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था-

"मुझे मेडिकल बिल्स के लिए पैसे चाहिए. लेकिन मैं चैरिटी नहीं चाहती. ये पैसे मैं अपने काम के बदले पाना चाहती हूं. मुझे काम दो."


Surekha Sikri (1)
नेशनल अवॉर्ड लेतीं सुरेखा.

सुरेखा सीकरी का नाम फिल्म जगत के उन दिग्गज कलाकारों में शामिल है, जो फिल्मों में कभी हीरो या हीरोइन नहीं बने. जो हमेशा सपोर्टिंग किरदार में नज़र आए. उनकी कभी कोई प्रेम कहानी नहीं दिखाई गई. उन्हें या तो हीरो-हीरोइन की मां या बाप, या दोस्त या किसी रिश्तेदार का रोल मिला. ये एक्टर्स उम्र के पहले ही बूढ़े हो जाते हैं. ग्लैमर की दुनिया में कुछ दिन काम बंद होने की वजह से पैसे खत्म हो जाते हैं. क्योंकि ज़ाहिर है इन्हें लीड हीरो या हीरोइन जितने पैसे नहीं मिलते. सुरेखा वो एक्ट्रेस थीं, जिन्होंने कई टीवी सीरियल्स और फिल्मों को सफल बनाया, लेकिन कभी उनके पोस्टर में दिखाई नहीं दीं. ऐसे एक्टर्स के कद्रदान बहुत मिलते हैं, लेकिन ऐसा कम ही होता है कि ये कहीं जाएं और फैन्स की भीड़ उमड़ आए. लेकिन जब ये दिग्गज कलाकार हमें छोड़कर जाते हैं, तो समझ आता है कि उनके जाने से कितना खालीपन आ गया है. पीछे देखने को मिलता है उनका शानदार करियर, तब लगता है कि वो सच में बेहद महान थे. सुरेखा का शरीर तो चला गया, लेकिन उन्होंने जो काम किया वो हमेशा ज़िंदा रहेगा. फिर चाहे दादीसा का रोल हो या फिर 'बधाई हो' फिल्म में चिड़चिड़ करने वाली दादी का, जो कहीं न कहीं आपको अपनी दादी की याद दिलाता होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि सुरेखा एक महान कलाकार थीं.


Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement