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चोट लगने पर बैंडेज लगाते हैं तो ये स्टोरी मिस ना करें, कैंसर तक का खतरा है

हाल ही में एक स्टडी से पता चला है कि कई बैंडेज में ऑर्गेनिक फ्लोरीन नाम का केमिकल होता है. यह एक तरह का PFA यानी पर-एंड पॉली-फ्लोरो अल्काइल सब्स्टेंस है जिसे हमारे शरीर के लिए बहुत घातक माना जाता है. इससे हमें कैंसर होने तक का खतरा है.

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Are bandages linked to cancer what is cancer causing chemical found in bandages
बैंडेज खरीदते समय ध्यान रखें कि उसमें ऑर्गेनिक फ्लोरीन न हो
18 जून 2024 (Updated: 23 जून 2024, 15:27 IST)
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सिचुएशन वन. दाल में छौंका लगाने के लिए आप प्याज़ काट रहे हैं. अचानक चाकू हाथ से फिसल जाता है और आपके अंगूठे में चोट लग जाती है. अंगूठे से थोड़ा खून निकल आता है. आप तुरंत अपना फर्स्ट एड बॉक्स उठाते हैं. उससे बैंडेज निकालते हैं और अपने अंगूठे पर लगा लेते हैं.  

अब आते हैं सिचुएशन टू पर. आपका बच्चा बाहर खेल रहा है. दौड़ रहा है. अचानक गिर जाता है. उसके घुटने में खरोंच लग जाती है. आप तुरंत उस पर बैंडेज लगा देते हैं.

जब भी हमें खरोंच या चोट लगती है, तब सबसे पहले हम उस पर बैंडेज चिपकाते हैं. ये घाव को धूल-मिट्टी से बचाकर रखता है. चोट भी जल्दी ठीक होती है. मार्किट में अलग-अलग कंपनियां इसे अलग-अलग ब्रांड नेम से बेचती हैं. लेकिन, हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चला है कि कई बैंडेजेस में कैंसर पैदा करने वाले केमिकल पाए गए हैं. इस स्टडी को Mamavation ने Environmental Health News के साथ मिलकर किया है.

स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने 18 ब्रांड्स के 40 बैंडेजेस की जांच की. पता चला कि करीब 65 फीसदी यानी 26 बैंडेजेस में ऑर्गेनिक फ्लोरीन नाम का PFA मौजूद था. PFA यानी पर-एंड पॉली-फ्लोरो अल्काइल सब्स्टेंस. इनका इस्तेमाल कई प्रोडक्ट्स में सालों से किया जा रहा है. जैसे खाना बनाने के बर्तनों में, ख़ासकर नॉन स्टिक बर्तनों में, फूड पैकेजिंग में, मेकअप के सामान में, कॉन्टैक्ट लैंस में और यहां तक कि पीने के पानी में भी. हालांकि इस केमिकल को हमारे शरीर के लिए बहुत घातक माना जाता है.

रिसर्च की मानें तो बैंडेज में ऑर्गेनिक फ्लोरीन का इस्तेमाल उसको वाटर प्रूफ बनाने के लिए किया जाता है.

लेकिन स्किन पर इसका इस्तेमाल खतरनाक है, ऐसा ये शोध कहता है. इसके मुताबिक ये केमिकल खुले घावों के ज़रिए खून में पहुंच सकता है. फिर वहां से हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में. इससे कई बीमारियां हो सकती हैं. जैसे इम्यूनिटी कमज़ोर होना, वैक्सीन का कम असर होना, बच्चों में एलर्जी और अस्थमा का रिस्क बढ़ जाता है. कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है. मोटापा, डायबिटीज़ और किडनी से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. मेल फर्टिलिटी घट जाती है. और तो और, यह शरीर में कैंसर का जोखिम भी बहुत बढ़ा सकता है.

फ्लोरीन जैसे PFA जल्दी नष्ट नहीं होते. ये सालों तक पर्यावरण और हमारे शरीर में मौजूद रह सकते हैं. लिहाज़ा इनसे खतरा और भी ज़्यादा है. इसलिए, आज इसी पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे उस केमिकल के बारे में, जिससे कैंसर का ख़तरा होता है? साथ ही जानेंगे इससे बचाव के तरीके. 

इस केमिकल से कैसे बढ़ता है कैंसर का ख़तरा?

ये हमें बताया डॉ. दिनेश पेंढारकर ने.

डॉ. दिनेश पेंढारकर, डायरेक्टर, ऑन्कोलॉजी, सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद

कई ऐसी चीज़ें हैं जिनके संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है. इनमें से एक है बैंडेज. बैंडेज समेत कई दूसरी चीज़ों में कुछ केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं. ये केमिकल शरीर के संपर्क में आने के बाद कैंसर की संभावना बढ़ा देते हैं. फ्लोरीन इसी तरह का एक केमिकल है. इसे बहुत सारे सिंथेटिक सामान के ऊपर लगाया जाता है ताकि वो लंबा चलें. जैसे बैंडेज में इसका इस्तेमाल किया जाता है. फिर जब हम ऐसे बैंडेज लगाते हैं तो ये पॉलीफ्लोरीन, जो बैंडेज के कवर पर चिपका होता है, हमारे शरीर के संपर्क में आता है. इससे कैंसर होने का खतरा बढ़ता है. 

ये पॉलीफ्लोरीन सिर्फ बैंडेज पर ही चिपका नहीं होता. कई प्लास्टिक के सामानों पर भी होता है. जैसे प्लास्टिक की बोतलों पर. हमारे खाना बनाने के बर्तनों में भी यह होता है. जैसे नॉन स्टिक फ्राइंग पैन के ऊपर भी इसे चिपकाया जाता है. ये केमिकल हमारे शरीर में सिर्फ बैंडेज ही नहीं, बल्कि कई दूसरी चीज़ों से भी आ सकता है. इसकी मात्रा धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. फिर शरीर में घुसने के बाद ये अलग-अलग अंगों में पहुंच जाता है. खासकर लिवर और किडनी में. अगर ये इन दो अंगों में जाकर बैठ जाए तो फिर खत्म नहीं होता और नुकसान करता है.

बैंडेज हमेशा किसी अच्छे ब्रांड का ही खरीदें
बचाव

पानी पीने के लिए हम प्लास्टिक की बोतल इस्तेमाल करते हैं. खाना बनाने के लिए नॉन स्टिक फ्राई पैन भी इस्तेमाल होता है. बाहर से खाना आता है तो प्लास्टिक की पैकेजिंग में आता है. ये हमारी ज़िंदगी की कुछ आम चीज़ें हैं. इन सबमें फ्लोरीन केमिकल इस्तेमाल होता है. बैंडेज में भी फ्लोरीन का इस्तेमाल होता है. यानी कई चीज़ें जो हम इस्तेमाल कर रहे हैं, उनकी कोटिंग में फ्लोरीन होता है. ये हमारे शरीर में जाएगा, इसलिए ध्यान रखें कि इन चीज़ों का कम से कम इस्तेमाल करें. ऐसा करना मुश्किल है लेकिन फिर भी कोशिश करनी चाहिए.

अगर बैंडेज की बात करें तो हम आमतौर पर इसका बहुत कम इस्तेमाल करते हैं. आप कोशिश करें कि बैंडेज किसी अच्छी कंपनी का ही खरीदें. बैंडेज उस कंपनी का लें जो प्रमाणित हो. जिसके ऊपर स्टीकर लगा हो कि उसमें PFA नहीं है. जो भी दवाइयां या केमिकल बनते हैं, उनके ऊपर यह लिखा जाता है कि उसमें PFA इस्तेमाल हुआ है या नहीं. जिनमें नहीं हुआ है, ऐसी चीज़ें इस्तेमाल करें.

देखिए, आप जब भी कोई बैंडेज या नॉन स्टिक बर्तन खरीदें तो हमेशा अच्छे ब्रांड और बेहतर क्वालिटी का ही लें. प्रोडक्ट की उम्र बढ़ाने के लिए, उसे लंबा चलाने के लिए कंपनियां अक्सर इस केमिकल का इस्तेमाल करती हैं. इसलिए, अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरतें. हमेशा चेक करें कि जो प्रोडक्ट आप खरीद रहे हैं, उसमें कोई हानिकारक केमिकल तो नहीं है. अगर हो, तो उस प्रोडक्ट को न खरीदें. इसी तरह जिस प्रोडक्ट पर फ्लोरीन-फ्री न लिखा हो, उन्हें खरीदने से बचें.

वीडियो: सेहत : गर्मियों में ये चीज़ें खाने से बचना चाहिए

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