The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Young Scientist Gitanjali Rao Was Named TIME Kid Of The Year For The Very First Time, know who is she

15 साल की उम्र में 'किड ऑफ़ द ईयर' खिताब जीतने वाली गीतांजलि के बारे में जान लीजिए

5000 बच्चों में से चुनी गई हैं.

Advertisement
Img The Lallantop
15 साल की यंग साइंटिस्ट गीतांजलि भारतीय मूल की अमेरिकी हैं. (फोटो - इंडिया टुडे)
pic
मयंक
4 दिसंबर 2020 (Updated: 4 दिसंबर 2020, 09:55 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
गीतांजलि राव. 15 साल की हैं. भारतीय मूल की अमेरिकी हैं. टाइम मैगज़ीन ने इन्हें एक बेहद खास खिताब दिया है. किड ऑफ़ द ईयर का खिताब. यंग साइंटिस्ट गीतांजलि को ये खिताब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल दूषित पानी और साइबर बुलीइंग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने के लिए दिया गया है. 5000 नॉमिनेटेड बच्चों के बीच से गीतांजलि को इस अवॉर्ड के लिए चुना गया है. टाइम स्पेशल के लिए उनका इंटरव्यू खुद हॉलिवुड स्टार एंजेलिना जोली ने किया.

कौन हैं गीतांजलि राव?

'ध्यान से देखो, दिमाग लगाओ, शोध करो, बनाओ और लोगों तक पहुंचाओ'. इसी मंत्र को ध्यान में रखकर काम करती हैं यंग साइंटिस्ट गीतांजलि. अमेरिका के कॉलोराडो के डेनवर में रहती हैं. गीतांजलि ने टाइम को दिए इंटरव्यू में क्या कहा, देखिए-
"हमारी जेनरेशन ऐसी दिक्क्तों का सामना कर रही है, जो पहले किसी ने नहीं देखीं. लेकिन साथ ही साथ कई सारी पुरानी दिक्कतें अब भी हमारे इर्द-गिर्द मौजूद हैं. जैसे अभी हम एक महामारी से घिरे हैं, लेकिन हमें मानवाधिकार के मुद्दों का भी सामना करना पड़ रहा है. ऐसी परेशानियां हैं, जिन्हें हमने पैदा तो नहीं किया, लेकिन हमें ख़त्म ज़रूर करनी हैं. जैसे क्लाइमेट चेंज और टेक्नोलॉजी के आने के बाद की साइबर बुलइंग."

पिछले साल फ़ोर्ब्स की अंडर 30 लिस्ट में थीं

ये पहली बार नहीं है कि गीतांजलि को उनके काम के लिए प्रेस्टीजियस खिताब पहली बार मिला हो. इससे पहले 2019 में उन्हें फ़ोर्ब्स की 30 अंडर 30 लिस्ट में जगह मिली थी. वहीं 2017 में उन्होंने 'टेथिस' नाम की एक डिवाइस बनाकर डिस्कवरी एजुकेशन की तरफ से आयोजित यंग साइंटिस्ट चैलेंज जीता था. इसके लिए उन्हें 25,000 यूएस डॉलर की राशि ईनाम में मिली थी.

ऐसा क्या बनाया?

गीतांजलि ने जो टेथिस डिवाइस बनाई, वो दरअसल 9 वोल्ट की बैटरी से चलने वाला उपकरण  है. उसमें सेंसिंग यूनिट, ब्लूटूथ एक्सटेंशन और एक प्रोसेसर लगा है. ये डिवाइस पानी में लेड यानी सीसा का पता लगाने में काम आती है. बता दें कि नल या पाइपों में मौजूद लेड के संपर्क में आने के बाद पानी दूषित हो जाता है. उसे पीना सेहत के लिए ठीक नहीं रहता. इसके अलावा, गीतांजलि ने एक फ़ोन और वेब टूल 'काइंडली' बनाया. ये आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर साइबर बुलीइंग के शुरूआत में ही डिटेक्ट कर सकता है. इसके बारे में गीतांजलि ने टाइम को बताया,
"जैसे आप कोई शब्द टाइप करते हैं, और अगर उसमें ज़रा सा भी बुलीइंग का सेंस आ रहा हो तो ये टूल आपको ऑप्शंस देता है कि आप इसे तुरंत भेजना चाहेंगे या एडिट करना चाहेंगे. इसका मकसद सजा देना नहीं है. एक टीनएजर होने के नाते मैं भी ये समझती हूं कि टीनएजर्स कभी-कभार बहक जाते हैं. ऐसे में ये सजा की जगह आपको दोबारा सोचने का मौका देता है."
मई, 2019 में गीतांजलि को टीसीएस इग्नाइट इनोवेशन स्टूडेंट चैलेंज के तहत एक जेनेटिक इंजीनियरिंग का टूल बनाने के लिए हेल्थ पिलर प्राइज से भी सम्मानित किया गया था. ये टूल ओपिऑइड्स एडिक्शन के इलाज में मदद करता है. इससे नशे की लत लगने के शुरूआती स्टेज में ही इसका पता लगाया जा सकताहै.

युवाओं के लिए क्या कहा?

गीतांजलि राव ने टाइम के इंटरव्यू में युवाओं को सन्देश दिया कि अगर मैं ये कर सकती हूं तो कोई भी कर सकता है. याद रखें कि आप हर प्रॉब्लम सोल्व नहीं कर सकते, इसलिए आप सिर्फ उन्हें सोल्व करें, जो आपको विचलित करती हैं.

Advertisement