1 अगस्त 2016 (Updated: 1 अगस्त 2016, 07:38 AM IST) कॉमेंट्स
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"ये खेल कौनो मौज मनोरंजन के लिए नहीं है कि खेल लिए और खुस हो गए!"
भुवन का कहा ये डायलॉग बहुत कुछ फिल्मों पर भी अप्लाई होता है. फिल्में भी खाली मौज-मनोरंजन के लिए ही नहीं होतीं. फिल्मों को देख कर भी काफ़ी कुछ सीखने-समझने को मिल जाता है. कई-कई लोग तो इंस्पायर भी हो जाते हैं.
सलमान भाई की फ़िल्म आई. नाम था सुल्तान. था क्या, है और रहेगा. अब हुआ ये है कि कानपुर में चंदू अखाड़ा के कुछ पहलवान ऐसे हैं जो सुल्तान से इंस्पायर हुए हैं. उनकी तोंदें निकल आई हैं और वो अन-फ़िट हैं, लेकिन अब वो अपनी पहलवाणी की सेकण्ड इनिंग्स खेलने को तैयार हैं. सलमान का पोस्टर लगाकर उसे पूजते हैं और साथ ही उसके सामने ही पहलवानी की तैयारी करते हैं.