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महाराष्ट्र: तेंदुए से बचने के लिए नदी में कूदी महिला, 13 घंटे में 70 किलोमीटर बहकर बची जान

केले के तने के सहारे बहती रही महिला. नहीं पड़ी किसी की नजर.

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leopard jalgaon maharashtra lady 13 hours in water
तेंदुए से बचने के लिए नदी में कूदी महिला. (सांकेतिक फोटो)
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ज्योति जोशी
14 सितंबर 2022 (Updated: 14 सितंबर 2022, 04:51 PM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र (Maharashtra) के जलगांव से एक महिला के जज्बे की अनोखी खबर सामने आ रही है. तेंदुए के हमले से बचने के लिए 13 घंटे पानी में रहने की कहानी. लताबाई दिलीप कोली जलगांव के कोलम्बे गांव की रहने वाली हैं. तेंदुआ देखकर लताबाई अपनी जान बचाने के लिए नदी में तो कूद गईं, लेकिन उसके बाद जो हुआ वो हैरान कर देने वाला है. लगभग 70 किलोमीटर तक पानी में बहकर नदी किनारे पहुंची लताबाई की कहानी दिलचस्प है.

तेंदुआ देखा तो नदी में कूदी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस दिन लताबाई अपने खेत से मूंगफली लेने गई थी. इस दौरान एक कुत्ता दौड़ते हुए वहां से गुजरा. जब तक लताबाई कुछ समझ पाईं पीछे से तेंदुए का एक बच्चा निकलकर आया जो कि कुत्ते पर हमला करने के लिए दौड़ रहा था. अपनी जान बचाने के लिए महिला खेत के बगल से गुजर रही तापी नदी में कूद गई. लताबाई को लगा कि नदी की दूसरी तरफ से निकल जाएंगी.

किसी की नजर नहीं पड़ी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लताबाई दूसरी तरफ तक पहुंच ही नहीं पाईं. नदी का बहाव इतना तेज था कि वो बहती चली गईं. लताबाई ने जानकारी देते हुए बताया कि नदी के बीच में उन्हें पाडलसरे बांध भी मिला जिसे पकड़कर उन्होंने निकलने की कोशिश की लेकिन तेज फ्लो के चलते वो नहीं निकल पाईं. उन्होंने बताया कि एक वक्त आया, जब वो नदी पर बने एक पुल के नीचे से गुजरीं. वहां लोग गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर रहे थे लेकिन किसी की भी नजर लताबाई पर नहीं पड़ी.

वहीं दूसरी तरफ लताबाई के घर ना लौटने पर परिवार वाले चिंता में थे. वो शाम तक वापस नहीं लौटीं, तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की, लेकिन लताबाई का कुछ भी पता नहीं चला. 
फिर उन्हें अस्पताल से फोन आया और लताबाई की खबर मिली. लगभग 13 घंटे तक नदी में 70 किलोमीटर बहकर लताबाई सुरक्षित घर लौट गईं.

केले ने तने के सहारे बहती गईं

जब लताबाई से पूछा गया कि इतनी देर तक वो पानी में कैसे रह गईं, तो उन्होंने बताया कि उन्हें नदी में केले का तना बहता मिला था जिसे उन्होंने पकड़ लिया और उसी के सहारे वो पानी के बहाव के साथ आगे बढ़ती रहीं. लताबाई के मुताबिक, भगवान और केले के तने की वजह से ही उनकी जान बची है. वो अब हर साल उस दिन केले के तने की पूजा करेंगी.

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