The Lallantop
Advertisement

चुनाव अगले साल, हरियाणा की BJP सरकार क्या अभी से ख़तरे में आ गई?

खट्टर vs दुष्यंत…बयानों को सुन पूरा हरियाणा असमंजस में!

Advertisement
Haryana
हरियाणा के अगले साल चुनाव होने हैं. (PTI)
font-size
Small
Medium
Large
10 जून 2023 (Updated: 10 जून 2023, 18:22 IST)
Updated: 10 जून 2023 18:22 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पहले एक नज़र इन बयानोें पर-

- 23 अप्रैल, 2023.  उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर अतीक अहमद की हत्या के बाद दुष्यंत चौटाला बयान देते हैं. उन्होंने कहा मामला गंभीर है जांच होनी चाहिए. चौटाला ने कहा कि ये कानून व्यवस्था का गंभीर उल्लंघन है.

- 4 जून, 2023. बिप्लव देव जींद की उचाना कलां विधानसभा जाते हैं. और कहते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता उचाना कलां की अगली विधायक होंगी. गौर करने वाली बात ये कि इसी सीट से दुष्यंत चौटाला विधायक हैं.

- 5 जून, 2023. बिप्लव के बयान के तुरंत बाद दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से चुनाव लड़ने का ऐलान कर देते हैं. साथ में ये भी कहते हैं कि तीन-तीन लोगों के पेट में दर्द हो रहा है लेकिन मैं चुनाव उचाना कलां से ही लड़ूगा. 

- 6 जून, 2023. दुष्यंत के बयान के बाद बिप्लव पलटवार करते हैं और कहते हैं कि गठबंधन करके जेजेपी ने कोई एहसान नहीं किया है.

- जेजेपी के महासचिव दिग्विजय चौटाला चंडीगढ़ में किसानों से मिलने जाते हैं. किसान उनसे नाराज़गी जताते हैं. तो दिग्विजय कहते हैं कि अभी हम गठबंधन में हैं. जेजेपी की सरकार बनवा दीजिए. सारी बातें मान ली जाएंगे.

- दिग्विजय चौटाला के बयान पर मनोहर लाल खट्टर पलटवार करते हैं. खट्टर कहते हैं कि ये सरकार बीजेपी की है, जेजेपी की नहीं.

क्या हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूटने वाला है? ये सिर्फ अटकलें भर हैं या इन अटकलों में वजन भी है? क्योंकि बीते कुछ दिनों के जो बयान आपने ऊपर पढ़े वो इसी ओर इशारा कर रहे हैं. लेकिन बात सिर्फ इतनी भर नहीं है. बीजेपी दो कदम आगे बढ़ चुकी है. इन बयानों को तल्खी कम भी नहीं हुई थी और बिप्लव देव हरियाणा के चार निर्दलीय विधायकों के साथ मीटिंग करते हैं.  मीटिंग के बाद बिप्लब कुमार देब ने एक बयान जारी किया और कहा, इस बैठक में हरियाणा के विधायक धर्मपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह और सोमवीर सांगवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास जताया है.

ये एक मैसेज था. बीजेपी की तरफ से, जेजेपी के लिए. दरअसल, बीजेपी के 41 विधायक हैं. जेजेपी के 10. हरियाणा लोकहित पार्टी एक और 5 निर्दलीय विधायक. इतना समर्थन बीजेपी वाले NDA के पास है. लेकिन अगर बात बिगड़ी या बिगाड़ी गई तो बीजेपी को अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए नंबर चाहिए होंगे. विधानसभा 90 विधायकों की हैं. सरकार बचाने के लिए 46 या उससे ज्यादा विधायकों की जरूरत होती है. और यही वजह है कि बीजेपी इस बात की तैयारी अभी से कर रही है कि गठबंधन टूटा तो सरकार कैसे बचानी है.

बीजेपी-जेजेपी विवाद की वजह क्या है?

राजनीति में जो दिखता है वो होता नहीं है और जो असल में होता वो कभी बताया नहीं जाता. दरअसल, ये पूरा खेल सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. हरियाणा की राजनीति को नज़दीक से समझने वाले बताते हैं कि बीजेपी ने हरियाणा में एक सर्वे कराया. इस सर्वे में पता चला है कि जाट दुष्यंत चौटाला की जेजेपी से उतने ही नाराज़ हैं जितने बीजेपी से. यानी जेजेपी जब चुनाव में उतरेगी तो नॉन जाट ही उसका वोट होगा. और यही फंसता है पेच. क्योंकि बीजेपी के पास भी नॉन जाट वोट ही बचता है. यानी जेजेपी दूसरे वोट बटोरने के बजाए बीजेपी के वोट बैंक में ही सेंध लगा सकती है. और यही वजह है कि बीजेपी ने जेजेपी से किनारा करने का मूड बना लिया है.

बताया जाता है कि हरियाणा का जाट समाज बीजेपी से खासा नाराज़ है. लंबे समय से हरियाणा की राजनीतिक को कवर कर रहे आजतक के एडिटर सतेंद्र चौहान कहते हैं कि 

पहले किसान आंदोलन और अब पहलवानों का प्रदर्शन, इन दोनों विवादों ने जाट समाज को बीजेपी से लगभग पूरी तरह दूर कर दिया है. यहां जाट समाज के लोग कहते हैं कि हम नोटा दबा देंगे लेकिन बीजेपी को वोट नहीं देंगे.

और यही वजह है कि बीजेपी के साथ गठबंधन में रहने से जेजेपी के लिए भी जाट समाज में पर्याप्त नाराज़गी है.

दूसरी ओर विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के पास भूपिंदर हुड्डा जैसा कद्दावर नेता है. राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि जाट समाज के अलावा किसानों में भी हुड्डा के लिए सॉफ्ट कॉर्नर देखा जा रहा है. ऐसे में अगर जेजेपी, बीजेपी का साथ छोड़ती है और कुछ जाट वोट अपने खेमें में ले जाती है तो नुकसान कांग्रेस और फायदा बीजेपी का होगा. अगर जेजेपी, कांग्रेस और INLD अगर अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो आपस में वोट बंट सकता है. ऐसी परिस्थिति में बीजेपी मौका भुनाने की कोशिश करेगी.

आजतक के वरिष्ठ संवाददाता हिमांशु मिश्रा अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि बीजेपी, जेजेपी पर दबाव बना रही है ताकि लोकसभा चुनाव के दौरान जेजेपी सीट बंटवारे में ज्यादा बड़ा मुंह ना खोल पाए. हिमांशु सूत्रों के हवाले से बताते हैं कि जेजेपी लोकसभा चुनाव में तीन सीटें मांगना चाहती है. हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं. 2019 में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. और बीजेपी इस बार भी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है.

इस बीच कहा ये भी जा रहा है कि बीजेपी हर तरह से जेजेपी पर दबाव बना रही है लेकिन जेजेपी घुटने टेकने को तैयार नहीं है. इसकी वजह ये कि 10 विधायकों के साथ जेजेपी सरकार में शामिल है. गठबंधन टूटेगा तो जेजेपी के नेताओं का नुकसान होना तय है.

हरियाणा की राजनीति को करीब ढाई दशक से कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र श्योरान कहते हैं कि-

आज नहीं तो कल ये गठबंधन टूटेगा जरूर. दोनों पार्टियों की भलाई इसी में है कि अलग-अलग चुनाव लड़ें. जेजेपी अगर बीजेपी के साथ लड़ेगी तो जाट वोट मिलना मुश्किल है. अगर अलग लड़ेगी मिलेगी तो जाट वोट बंटेंगे. इससे फायदा बीजेपी को भी होगा. और यही वजह है कि बीजेपी गठबंधन तोड़ना चाहती. 

इस बीच आज, 10 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री खट्टर गठबंधन के सवाल को टालते नजर आए. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक खट्टर ने गेंद बिप्लव देव के पाले में डाल दी. उन्होंने कहा कि भविष्य का फैसला राज्य के प्रभारी करेंगे. 

 

वीडियो: हरियाणा के CM खट्टर को गांववालों ने 4 घंटे तक बंदी बनाया, फोर्स आ गई तब भी नहीं जाने दिया!

thumbnail

Advertisement

Advertisement