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केरल की पहली ट्रांसजेंडर महिला वकील बनकर तारीफें बटोर रहीं पद्मा लक्ष्मी के इरादे कुछ और हैं

केरल बार काउंसिल ने 1500 से ज्यादा लॉ ग्रेजुएट्स में से पद्मा लक्ष्मी को चुना था.

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Padma Lakshmi becomes Kerala first transgender lawyer enrolled as an advocate with the Bar Council of the state
पद्म लक्ष्मी. (फोटो- इंडिया टुडे)
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ज्योति जोशी
21 मार्च 2023 (Updated: 21 मार्च 2023, 02:38 PM IST) कॉमेंट्स
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केरल की ट्रांसजेंडर महिला वकील पद्मा लक्ष्मी चर्चा में हैं. उन्होंने केरल बार काउंसिल (KBC) ने सदस्यता दी है. रविवार, 19 मार्च को एक कार्यक्रम के दौरान 1,529 लॉ ग्रेजुएट्स में से केवल पद्मा लक्ष्मी को KBC ने नामांकन प्रमाण पत्र सौंपा. इसके साथ ही पद्मा लक्ष्मी राज्य की पहली ट्रांसजेडर महिला वकील बन गई हैं (Padma Lakshmi Kerala First Transgender Lawyer). खबरों के मुताबिक KBC ने 1500 से भी ज्यादा लॉ ग्रेजुएट्स में से पद्मा लक्ष्मी का चयन किया है. इसे न्याय व्यवस्था के लिहाज से देश में ट्रांसजेंडर समुदाय के महत्वपूर्ण माना जा रहा है. केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने भी इस मौके पर लक्ष्मी को बधाई दी. 

केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने अपने इंस्टाग्राम और फेसबुक पेज पर पद्म लक्ष्मी को बधाई देते हुए पोस्ट शेयर किया है. उन्होंने लिखा-

पद्म लक्ष्मी को बधाई जिन्होंने जीवन की सभी बाधाओं को पार किया और केरल में पहले ट्रांसजेंडर अधिवक्ता के रूप में दाखिला लिया. पहला बनना हमेशा कठिन होता है. लक्ष्य के रास्ते में पहले से कोई नहीं होता. बाधाएं होती हैं. लोग होते हैं आपको चुप कराने और डीमोटिवेट करने के लिए. पद्मा लक्ष्मी ने इन सब पर काबू पाकर कानूनी इतिहास में अपना नाम लिखा है.

पद्मा लक्ष्मी का सफर

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पद्मा लक्ष्मी ने फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया है. फिर एर्नाकुलम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में उन्होंने LLB के लिए एडमिशन लिया. अब वो ऐडवोकेट बन गई हैं. हालांकि पद्मा लक्ष्मी का सपना जज बनने का है और इसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है. वो न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Service Exams) क्रैक करने की तैयारी में हैं.

लक्ष्मी की कामयाबी पर मंत्री पी राजीव ने कहा कि उनका जीवन ट्रांसजेंडर समुदाय के बाकी लोगों को भी कानूनी पेशे में आने के लिए प्रेरित करेगा. लक्ष्मी की इस उपलब्धि के लिए सोशल मीडिया पर भी उनकी खूब तारीफ हो रही है.

इससे पहले 2017 में जोयिता मंडल भारत की पहली ट्रांसजेंडर जज बनीं थीं. उनको पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर की लोक अदालत में जज नियुक्त किया गया था. संघर्ष के दिनों में पैसों की कमी के चलते जोयिता ने भीख मांगकर भी गुजारा किया. उनकी जिंदगी किसी मिसाल से कम नहीं. इसके बाद 2018 में ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता विद्या कांबले को महाराष्ट्र के नागपुर में एक लोक अदालत में सदस्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. उसी साल स्वाति बिधान बरुआ देश के तीसरे ट्रांसजेंडर जज बने. 

वीडियो: कानून प्रिया: ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए बच्चा गोद लेना इतना मुश्किल क्यों है?

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