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उमाकांत यादव पर केस क्या था, जिसमें 27 सालों बाद पूर्व सांसद को उम्रकैद की सजा हुई है?

उमाकांत यादव का एक लंबा आपराधिक इतिहास रहा है. ड्राइवर को जेल से छुड़ाने के लिए चौकी पर हमला कर दिया था.

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Ex BSP MP Umakant Yadav
पूर्व बीएसपी सांसद उमाकांत यादव.
9 अगस्त 2022 (Updated: 9 अगस्त 2022, 20:19 IST)
Updated: 9 अगस्त 2022 20:19 IST
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उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित एक अदालत ने 8 जुलाई को 27 साल पुराने हत्या मामले में पूर्व बसपा सांसद उमाकांत यादव और छह अन्य लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई. शाहगंज पुलिस चौकी पर एक रेलवे कॉन्स्टेबल की गोली मारकर हत्या करने के मामले में उमाकांत यादव और उनके सहयोगी दोषी पाए गए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य अपराध के मामले में उमाकांत पहले से ही जौनपुर जेल में हैं. जबकि 6 अगस्त को दोषी ठहराए जाने के बाद बाकी के छह लोगों को हिरासत में ले लिया गया.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार उम्रकैद की सजा देने के अलावा एडिशनल जिला जज शरद कुमार त्रिपाठी ने उमाकांत पर 5 लाख रुपये और बाकी के छह दोषियों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

क्या है ये मामला?

ये केस 4 फरवरी 1995 को हुई घटना से जुड़ा है है. उस दिन जौनपुर जिले के शाहगंज रेलवे स्टेशन पर उमाकांत यादव के ड्राइवर राजकुमार का एक पैसेंजर से विवाद हो गया था. जब जीआरपी कॉन्स्टेबल रघुनाथ ने इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो राजकुमार ने उन्हें थप्पण मार दिया. इसके बाद ड्राइवर को जीआरपी चौकी पर ले जाया गया.

हालांकि ये मामला यही नहीं रुका. आरोप लगा कि राजकुमार को जेल से छुड़ाने के लिए उमाकांत और उनके लोगों ने जीआरपी चौकी पर हमला कर दिया और ताबड़तोड़ गोलीबारी की. इस दौरान जीआरपी कॉन्स्टेबल अजय सिंह की हत्या हो गई, जिसके बाद उमाकांत और उनके लोग ड्राइवर समेत फरार हो गए.

बाद में घटना को लेकर उमाकांत और राजकुमार के साथ धर्मराज यादव, महेंद्र प्रसाद वर्मा, सुबेदार यादव, सभाजीत पाल और गनर बच्चू लाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. इसकी शिकायत कॉन्स्टेबल रघुनाथ ने की थी.

शुरु में तो इस मामले की जांच खुद जीआरपी ने की थी, लेकिन बाद में ये केस सीबी-सीआईडी के पास चला गया और उन्होंने फिर केस में चार्जशीट दायर की. पहले ये मामला प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में चला. बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर इस केस को जौनपुर कोर्ट के पास भेज दिया गया, जहां 6 अगस्त को सजा सुनाई गई.

कई और आपराधिक केस

ये पहला मामला नहीं है. उमाकांत यादव का लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास रहा है. उन्होंने बीएसपी की टिकट पर शाहगंज सीट (पहले खुटाहन) से 1991 और 1993 में विधायकी का चुनाव जीता था. इसके अलावा 1996 में उन्होंने एसपी की टिकट पर चुनाव जीता था.

इसके बाद साल 2004 में उन्होंने मछलीशहर सीट पर बसपा की टिकट से चुनाव लड़ा था और पूर्व विधानसभा स्पीकर केसरीनाथ त्रिपाठी (बीजेपी) को मात दी थी.

साल 2007 में उन पर आरोप लगा कि उन्होंने एक घर को गिरा दिया है. इसके बाद मुख्यमंत्री मायावती ने उन्हें लखनऊ में अपने घर पर बुला कर गिरफ्तार करवा दिया था. मायावती ने आजमगढ़ जिले के फूलपुर थाना के अंतर्गत पलियामाफी गांव में चार दुकानों और कुछ घरों को तोड़ने के आरोप में उमाकांत यादव को तलब किया था.

उमाकांत के भाई और एसपी विधायक रमाकांत यादव भी इस समय आजमगढ़ जेल में बंद हैं.

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