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बीरेन सिंह ने खुद जो SoO समझौता तोड़ा था, अब वो उसके पालन की बात क्यों कर रहे हैं?

जलता मणिपुर: सरकार ने उग्रवादियों को भत्ता दिया. फिर समझौता खत्म किया. अब फिर समझौते के पालन की बात हो रही है.

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CM Biren singh talk about SoO in Manipur.
मणिपुर हिंसा में SoO का जिक्र एक बार फिर. (फोटो क्रेडिट - Twitter/PTI)
28 जून 2023 (Updated: 28 जून 2023, 10:30 PM IST) कॉमेंट्स
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मणिपुर में कुकी बनाम मैतेई हिंसा जारी है. कम से कम 131 लोग मारे गए हैं और 60 हज़ार से ज़्यादा विस्थापित हैं. इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह की एक बैठक हुई, जिसके बाद उन्होंने अंग्रेज़ी अखबार द हिन्दू से कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री ने उन्हें राज्य के पहाड़ी इलाकों में कुकी समुदाय के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस(SoO) समझौते को लागू करवाने का आश्वासन दिया है. 

बीते दिनों में बीरेन सिंह ने लगातार कुकी गुटों और उग्रवादियों पर निशाना साधा है. उन्होंने SoO समझौतों को खत्म भी किया था. ऐसे में वो अब इन्हें लागू करने में केंद्रीय मदद की बात क्यों कर रहे हैं? आइए समझें. 

क्या है SoO समझौता?

पड़ोसी नागालैंड और मिज़ोरम की तरह ही मणिपुर में भी उग्रवाद का लंबा इतिहास रहा है. घाटी में बसे मैतेई और पहाड़ी इलाकों में बसे नागा और कुकी - तीनों समुदायों के लोगों ने उग्रवादी गुट बनाए, जिन्होंने सशस्त्र विद्रोह किया. और इनसे निपटने के लिए सेना को लगाया गया. सेना की कार्रवाई हिंसा को तो काबू कर सकती है, लेकिन राजनैतिक समाधान नहीं दे सकती. ऐसे में सरकार समय-समय पर उग्रवादी समूहों से ऑन रिकॉर्ड/ऑफ रिकॉर्ड बातचीत करती रहती है. ऐसी ही बातचीत का एक तरीका है सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन SoO एग्रीमेंट. 

इसे आप एक तरह का सीज़फायर एग्रीमेंट कह सकते हैं. कि न आप सुरक्षा बलों पर हमला करेंगे, और न सुरक्षा बल आपके खिलाफ कोई अभियान चलाएंगे. मणिपुर में करीब 32 विद्रोही समूह थे. इनमें से 25 संगठनों ने सरकार के साथ SoO समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. समझौते में तीन पक्ष थे - भारत सरकार, मणिपुर सरकार और उग्रवादी समूह. 

समझौते के तहत मणिपुर के विद्रोही समूहों को भारत के संविधान का पालन करना था. साथ ही उन्हें मणिपुर के कानून और उसकी क्षेत्रीय अखंडता के हिसाब से चलना था. अवैध वसूली (जिसे उग्रवादी टैक्स की संज्ञा देते थे) सहित किसी भी तरह की हिंसा बंद करनी थी. समझौते के तहत समूहों के काडर (लड़ाकों) को केंद्र सरकार के बताए शिवरों में रहने की हिदायत मिली. इनके हथियारों को तालों में बंद किया गया, जिसपर सुरक्षा बल और संबंधित समूह संयुक्त रूप से निगरानी रखते हैं. लड़ाकों को केवल अपने शिवरों और नेताओं की रक्षा करने के लिए हथियार दिए गए थे. लड़ाकों के पुनर्वास के लिए हर महीने 5000 रुपए की मदद दी जाती है. शिवरों को चलाने के लिए भी फंड मिलता है.  

22 अगस्त 2008 को कुकी उग्रवादी समूहों के साथ SoO अग्रीमेंट पर दस्तखत हुए. छोटे-छोटे समूहों के साथ अलग-अलग बातचीत करने की जगह सरकार ने दो अंब्रेला ऑर्गनाइज़ेशन्स - कुकी नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट (UPF) के साथ समझौता किया. इन दो संगठनों के तहत कई छोटे उग्रवादी गुट आते हैं. समझौते के तहत कुकी संगठनों ने कुकीलैंड क्षेत्रीय परिषद बनाने की बात मानी थी. इस परिषद को मणिपुर विधानसभा और सरकार से अलग वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार मिले. वे इससे पहले अलग कुकी राज्य की मांग कर रहे थे. ये एक साल के लिए लागू था. 2009 के बाद से इसे साल दर साल बढ़ा दिया जाता है. SoO का पालन तीनों पार्टियां करें, इसकी निगरानी के लिए एक जॉइंट मॉनिटरिंग ग्रुप(JMG) बनाया गया है. इसमें तीनों पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल हैं. 

फिर समझौते में दरार पड़ने लगी

समझौते को समझौता कहा ही इसलिए जाता है कि उसमें दोनों पक्ष अपनी ज़िद में थोड़ी-थोड़ी ढील देते हैं. SoO के आलोचक कहते थे कि सरकार उन लोगों को बैठाकर क्यों खिला रही है, जो कल तक सुरक्षा बलों पर गोलियां दाग रहे थे. फिर कुछ घटनाएं ऐसी भी हुईं, जिनके बाद आरोप लगा कि उग्रवादी वादाखिलाफी कर रहे हैं. इसकी एक मिसाल जुलाई 2017 में देखने को मिली. मोरेह ज़िले में एक बच्ची को उसके घर में घुसकर गोली मार दी गई, जिससे उसकी मौत हो गई. इल्ज़ाम लगा कुकी नेशनल आर्मी KNA के एक उग्रवादी पर. इसक बाद सूबे के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने कहा कि अगर उग्रवादियों ने शर्तों का पालन नहीं किया, तो सरकार SoO को खत्म कर देगी.

इससे दो महीने पहले भी बिरेन सिंह कह चुके थे कि SoO फेल हो चुका है. क्योंकि सुरक्षा बल अपनी ज़िम्मेदारियों को ''सीरियसली'' नहीं ले रहे. उग्रवादी कैंप से बाहर घूम रहे हैं और बार बार SoO का उल्लंघन कर रहे हैं.

आखिरकार मार्च 2023 में बिरेन सिंह सरकार ने KNA और ज़ूमी रेवोल्यूश्नरी फ्रंट ZRF के साथ SoO खत्म करने का ऐलान कर दिया. उन दिनों चुराचांदपुर, मोरेह और कांगपोकपी मे भारी हिंसा हुई थी. आदिवासी गुटों द्वारा अलग अलग जगह मणिपुर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे थे. बिरेन सिंह सरकार का मानना था कि इस सब के पीछे वही उग्रवादी गुट थे, जो SoO के तहत सरकार से पैसा ले रहे थे.

मैतेई क्यों SoO रद्द कराना चाहते हैं?

इंडिया टुडे से जुड़ी आफरीदा हुसैन के मुताबिक, मैतेई गुटों ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर SoO हटाने की मांग की है. पीपल्स अलायंस फॉर पीस एंड प्रोग्रेस ने लिखा कि, उनके अनुसार SoO आतंकवादियों को मजबूत होने में मदद करता है. ये कुकी प्रवासियों को राज्य में लाने के लिए जिम्मेदार है. उनके कैंप्स में भाषा और युद्ध की ट्रेनिंग देने की छूट देता है. इसके जरिए हथियारों, ड्रग ट्रैफिकिंग और पोस्त की खेती में गैरकानूनी प्रवासियों का मजदूरों की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.

मैतेई गुटों ने ये भी दावा किया कि SoO के कारण म्यांमार से गैरकानूनी प्रवासी मणिपुर आ रहे हैं. ये सालों से हो रहा है. कुकी नेताओं ने इन्हें शरण दी है. इसके चलते उनकी जनसंख्या बढ़ती गई है. ये कुकीलैंड के लिए सैनिक के तौर पर लड़ते हैं. और इसी के चलते रिजर्व और प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट, संरक्षित स्थलों और वॉइल्डलाइफ सेंचुरीज में खाली जगहों पर अतिक्रमण, वनों की कटाई और दूसरी गैरकानूनी गतिविधियां बढ़ी हैं.

बीरेन सिंह अब SoO के पालन की बात इसीलिए कह रहे हैं, क्योंकि तभी कुकी गुटों की तरफ से हिंसा थमेगी. वैसे गृहमंत्री ने उन्हें घाटी में मैतेई समुदाय द्वारा की जा रही हिंसा को भी काबू करने के निर्देश दिए हैं.

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