यमुना से झाग खत्म करने के लिए पानी का छिड़काव करने के पीछे क्या लॉजिक है?
सोशल मीडिया पर लोग मजे ले रहे, पर एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं?

झाग मारने के लिए पानी का छिड़काव कर रहे हैं. दिल्ली जल बोर्ड से ऑर्डर मिला है. हमें झाग मारने के लिए लगा रखा है.
वीडियो सामने आने के बाद लोग मजाक उड़ा रहे हैं. तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं. कुछ कमेंट देखिए फिर आगे बात करते हैं.#WATCH
— ANI (@ANI) November 10, 2021
| "We are sprinkling water in the Yamuna to dissipate toxic foam," says Ashok Kumar, Delhi Jal Board employee pic.twitter.com/4waL2VsM7T
द स्कीन डॉक्टर नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा,
बिग ब्रेन मोमेंट. कैसे जहरीले झाग को खत्म करने से पानी कम खतरनाक हो जाएगा? इसके बाद वे स्मॉग को हटाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर से हवा में ऑक्सीजन का छिड़काव करेंगे.
Big brain moment! And how will dissipating toxic foam make water any less dangerous?
Next they'll spray oxygen from oxygen cylinders in the air to disperse the smog.
— THE SKIN DOCTOR (@theskindoctor13) November 10, 2021
— Keh Ke Peheno (@coolfunnytshirt) November 10, 2021ट्विंकल नाम की एक ट्विटर यूजर ने तंज कसा,
शत शत नमन. केवल एक IITian से राजनेता बने व्यक्ति ही ऐसे आइडिया दे सकता है. नफरत करने वाले कहेंगे कि ये एक घोटाला है, लेकिन हम जानते हैं कि पानी अशुद्धियों को धो देता है, तो हां केजरीवाल सही कह रहे हैं. हमें सभी नदियों को साफ करने के लिए उनमें पानी का छिड़काव करना चाहिए.
Shat shat naman. Only an IITian turned politician can have such a splendid idea. Haters will say it's a scam. But we know water washes away impurities so yes Kejriwal is right. We should sprinkle water in all the rivers to clean them. 💀💀💀
— Twinkle (@veda_padma) November 10, 2021
— Nehr_who? (@Nher_who) November 10, 2021
कपड़े डाल दो सोख लेगा झाग सारा
— Laplace😷 (@illogical_7) November 10, 2021
— Sgt Dharmendra Sinha Rtd. (@DharmenSinha) November 10, 2021कैब ड्राइवर नाम के एक ट्विटर हैंडल से ये व्यंग्य किया गया,
नदी में पानी का छिड़काव करने से न केवल जहरीले झाग को नियंत्रित किया जाएगा, बल्कि इससे जल स्तर भी बढ़ेगा जिससे दिल्लीवासियों को पानी की आपूर्ति में लाभ होगा. इस अभिनव विचार का मजाक बनाने वाले लोगों पर शर्म आती है.
झाग खत्म करने के लिए पानी छिड़काव से क्या होगा? यमुना में झाग बनना प्रदूषित नदी की निशानी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब भी शहर के कई हिस्सों का सीवर बिना ट्रीटमेंट के ही यमुना में गिर रहा है, जो झाग बनाता है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) में जल कार्यक्रम की वरिष्ठ प्रबंधक सुष्मिता सेनगुप्ता के मुताबिक, नदी में फॉस्फेट से झाग बनता है. यमुना का जलस्तर इस समय कम है. पानी का प्रवाह कम है. ऐसे में प्रदूषक कण एक परत बना लेते हैं. खास तौर पर यमुना में फास्फेट की मात्रा इस झाग की परत के लिए जिम्मेदार है.By spraying water in river not only toxic foam will be controlled but also it will rise the water level which will benefit in supply of water to Delhi residents. Shame on people making fun of this innovative idea
— Cab Driver (@gajender00) November 10, 2021
उन्होंने दी लल्लनटॉप को फोन पर बताया,
दिल्ली में 50 प्रतिशत एरिया सीवर वाला है. 50 प्रतिशत वेस्ट नदी में ऐसे ही डंप हो रहा है. क्योंकि यहां के घर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से कनेक्टेड नहीं हैं. सीवेज के कारण यमुना एकदम से प्रदूषित हो गई है. झाग फास्फेट से बन रहा है. जो हाउसहोल्ड डिटर्जेंट या कम्युनटी लेवल लॉन्ड्री या बॉयलर के पानी से फास्फेट आ रहा है. जो इंडस्ट्री से यमुना में गिरने वाला पानी है उसी से झाग बन रहा है. इस साल की शुरुआत में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने एक रिपोर्ट निकाली थी. इसमें बताया गया है कि कहां-कहां फास्फेट बढ़ रहा है.केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि झाग का निर्माण दो जगह पर होता है. आईटीओ के डाउनस्ट्रीम और ओखला बैराज. ओखला बैराज पर ऊंचाई से पानी गिरने से फास्फेट और सरफेक्टेंट पानी में घुलते हैं और झाग बनाते हैं.

दिल्ली में यमुना नदी का मौजूदा हाल. (तस्वीर- पीटीआई)
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि फास्फेट और सरफेक्टेंट को नदी में जाने से रोकने के लिए इसी साल जून में DPCC ने राजधानी में सिर्फ बीआईएस स्टैंडर्ड के साबुन और डिटर्जेंट की बिक्री, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन को ही इजाजत दी थी. पिछले साल दिसंबर से एनजीटी द्वारा नियुक्त यमुना निगरानी समिति की पांचवीं रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि डिटर्जेंट के लिए बीआईएस मानकों में सुधार किया गया है, लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि इन मानकों को वास्तव में लागू किया जाएगा या नहीं.
सुष्मिता सेनगुप्ता के मुताबिक,
पानी का छिड़काव कर झाग को खत्म करना चाहते हैं. झाग निकालने का ये शॉर्टकट तरीका है. इससे काम नहीं चलेगा. स्थायी समाधान के लिए यमुना में जो भी सीवेज जा रहा है उसे ट्रीट होने के बाद ही नदी में जाना चाहिए. बायो टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल कर ओपन ड्रेन को ट्रीटमेंट जोन से ट्रीट कर सकते हैं. फिर गंदा पानी आगे नहीं जाएगा. फिर आप डिसेंट्रलाइज टेक्नॉलोजी से भी ट्रीट करके रीयूज कर सकते हैं. आगे कोई दंगा पानी नहीं जाएगा. ओपन ड्रेन को ट्रीटमेंट जोन के हिसाब से यूज करना चाहिए.कुछ इसी तरह की बात पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेंदु झा ने भी कही. इंडिया टुडे से जुड़ीं श्रेया चटर्जी से बातचीत में उन्होंने कहा,
वे (सरकार) बस आपकी आंखों के सामने से झाग हटाने की कोशिश कर रहे हैं. प्रदूषण फैलाने वाले कण तो नदी में मौजूद हैं. अमोनिया का स्तर काफी ज्यादा है. ये तो नदी में ही सीवेज बह रहा है. और ऐसी तकनीकों से प्रदूषण कम नहीं होने वाला.जानकारों के अलावा आम लोगों का भी यही मानना है कि पानी का छिड़काव कर झाग को खत्म करना टेंपररी सॉल्यूशन देखने वाली बात है. ये काम तो पानी की जगह हवा से भी हो जाएगा. इसमें साइंटिफिक कुछ नहीं है. पानी से झाग खत्म नहीं होगा. वो डायल्यूट हो जाएगा. सरफेस से झाग हट जाएगा. ये टेंपररी मेजर ही है.
बात तो सही है, लेकिन इस समय कोई और चारा भी नहीं है. दिल्ली जल बोर्ड ने ऐसा कहा है. द मिंट की खबर के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि यमुना में पानी इसलिए डाला जा रहा है ताकि उसमें फैले झाग को वहां से हटाया जा सके. अधिकारी के मुताबिक फिलहाल इससे बेहतर शॉर्ट टर्म उपाय बोर्ड के पास नहीं है. अधिकारी ने माना कि यमुना में झाग बनने की समस्या तब तक रहेगी, जब तक राजधानी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों को नए स्टैंडर्ड के मुताबिक अपग्रेड नही किया जाता.
यानी तब तक झाग पर पानी मारिए और बंबू वाले बैरिकेड लगाइए.