अब 7 तेंदुओं की मौत से हड़कंप, वजह कौन सा 'वायरस' निकला?
15 दिन में 7 तेंदुआ शावकों ने दम तोड़ दिया. बेंगलुरु की घटना...
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कूनो नैशनल पार्क में चीतों की मौत की खबरों के बाद अब 7 तेंदुओं की मौत की खबर आई है. मामला बेंगलुरु (Bengaluru) के बन्नेरगट्टा (Bannerghatta) जैव उद्यान का है. जहां फैले एक वायरस ने सात तेंदुओं की जान ले ली. अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि ये वायरस घरेलू बिल्लियों से फैला है. इस वायरस का नाम पार्वोवायरस है. जो बिल्लियों की एक वायरल बीमारी है. उन्होंने बताया कि सभी शावकों की उम्र तीन से आठ महीने के बीच थी. इन सभी को टीका भी लगाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
क्या है फेलिन पैनेलुकोपेनिया वायरस?इंडिया टुडे से जुड़े सगय राज की रिपोर्ट के मुताबिक पार्क के अधिकारी ने बताया कि, ये बिल्लियों से फैलने वाला वायरस है. इससे सबसे अधिक बिल्ली के बच्चे संक्रमित होते हैं. पार्क में भी ये वायरस घरेलू बिल्लियों से ही पहुंचा. एक बार फेलिन पैनेलुकोपेनिया वायरस से संक्रमित होने पर जानवर की आंत पूरी तरह से प्रभावित होती है. उन्हें दस्त, उल्टी और डिहाइड्रेशन हो जाता है, जिसके बाद जानवर चार से पांच दिनों के भीतर मर जाता है.
15 दिन में 7 शावकों ने दम तोड़ दियाबायोलॉजिकल पार्क के कार्यकारी निदेशक एवी सूर्या सेन ने कहा कि इस बीमारी के मामले 22 अगस्त को सामने आए थे. जिन 7 तेंदुआ शावकों की जान गई है, वे तीन से आठ महीने के थे. उन्हें टीका दिया गया था, लेकिन इलाज के दौरान वे मर गये. उन्होंने कहा,
‘अब स्थिति नियंत्रण में है और पिछले 15 दिनों में किसी भी शावक की मौत की खबर सामने नहीं आई है. हमने सभी जरूरी कदम उठाये हैं, सभी जरूरी प्रक्रिया का पालन किया है और अपने वरिष्ठ पशु चिकित्सकों से भी चर्चा की है. हमने पूरे चिड़ियाघर में स्वच्छता सुनिश्चित की है तथा बचाव केंद्र का संक्रमणरोधन भी पूरी तरह किया गया है. वायरस और ज्यादा न फैले इसके लिए कई पिंजरे को ब्लीचिंग पाउडर से साफ किया गया है. इनमें तेंदुआ, बाघ और शेर के पिंजरे शामिल हैं.'
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इसी पार्क में 5 हिरण भी मर गएइस पार्क में एक और मामला सामने आया है, 28 हिरणों को अलग-अलग हिस्सों से लाया गया था. जिनको सेंट जॉन्स अस्पताल में जांच के बाद बैनरघट्टा नेशनल पार्क में लाया गया. सामान्यतः जब अन्य क्षेत्रों से जानवरों को लाया जाता है, तो उन्हें एक महीने के लिए क्वारंटाइन में रखा जाता है, लेकिन इन हिरणों को केवल 10 दिन के बाद ही सफारी में रख दिया गया था.

इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि “नर (Male) हिरण अधिक थे और यह मौसम नर और मादा हिरण का संबंध बनाने का होता है. इसके लिए उन्हें पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही थी, जिस वजह से 5 हिरणों की मौत हो गई”.
(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे सचेंद्र प्रताप सिंह ने लिखी है)