हरियाणा सरकार ने IAS-IPS, नेताओं, जजों के रिश्तेदारों को बनाया कानून अधिकारी, विकास बराला की नियुक्ति रद्द
विकास बराला की तरह कई अन्य नियुक्त कानून अधिकारी भी VIP नेताओं, नौकरशाहों और जजों के रिश्तेदार हैं. यह उस समय हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में ही ऐसी नियुक्तियों को लेकर चेताया था और नियुक्ति प्रक्रिया को राजनीति से अलग रखने के लिए दिशा-निर्देश बनाने की सलाह दी थी.

हरियाणा सरकार ने विकास बराला को एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) के पद से हटा दिया है. कुछ ही दिन पहले उनकी नियुक्ति की गई थी, जिस पर काफी विवाद हुआ था. विकास बराला के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले के चलते उनकी नियुक्ति को लेकर हरियाणा सरकार की काफी आलोचना हुई. अब नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने यह नियुक्ति रद्द कर दी है.
विकास बराला, बीजेपी नेता सुभाष बराला के बेटे हैं. 2017 के एक मामले में विकास गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं. उनको एक IAS अधिकारी की बेटी का यौन उत्पीड़न करने, उसका पीछा करने और उसे किडनैप करने का प्रयास करने के लिए आरोपी बनाया गया है. मामले की सुनवाई अब भी चंडीगढ़ की एक अदालत में चल रही है और विकास फिलहाल जमानत पर हैं.
18 जुलाई को तत्कालीन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा मंजूर की गई 97 कानून अधिकारियों की सूची में विकास बराला को भी शामिल किया गया था. ये नियुक्तियां राज्य के एडवोकेट जनरल (AG) के कार्यालय में भर्ती प्रक्रिया के तहत की गई थीं, जिसमें 100 पदों के लिए विज्ञापन दिया गया था.
चयन प्रक्रिया और VIP कनेक्शनइस बीच इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक विकास बराला की तरह कई अन्य नियुक्त कानून अधिकारी भी VIP नेताओं, नौकरशाहों और जजों के रिश्तेदार हैं. यह उस समय हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में ही ऐसी नियुक्तियों को लेकर चेताया था और नियुक्ति प्रक्रिया को राजनीति से अलग रखने के लिए दिशा-निर्देश बनाने की सलाह दी थी.
जनवरी में हरियाणा AG कार्यालय ने 100 कानून अधिकारियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था. इसके तहत 20 एडिशनल एजी, 20 सीनियर डिप्टी एजी, 30 डिप्टी एजी, 30 असिस्टेंट एजी की नियुक्तियां निकाली गई थीं. चयन समिति की अध्यक्षता AG चौहान ने की और इसमें गृह विभाग के विशेष सचिव मनीराम शर्मा, लीगल रिमेम्ब्रेंसर ऋतु गर्ग और दो रिटायर्ड जज शामिल थे.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी जांच के बाद रिपोर्ट में बताया है कि 97 में से कम से कम 23 नियुक्त अधिवक्ता राजनीतिक या प्रशासनिक परिवारों से हैं. इनमें 7 हाई कोर्ट जजों के रिश्तेदार, 7 IAS-IPS अधिकारियों के रिश्तेदार, 7 भाजपा नेताओं और मंत्रियों के करीबी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणीनियुक्तियों में धांधली को लेकर मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था,
“अगर सही और निष्पक्ष नियुक्ति व्यवस्था नहीं होगी, तो नियुक्तियां राजनीतिक लाभ, तुष्टिकरण या सत्ता में बैठे लोगों की निजी कृपा का नतीजा बन जाएंगी.”
CJI टीएस ठाकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच ने पंजाब-हरियाणा सरकारों की मनमानी नियुक्तियों पर कड़ी टिप्पणी की थी.
वीडियो: यौन उत्पीड़न के आरोपी और BJP MP के बेटे को हरियाणा सरकार ने बनाया लॉ ऑफिसर