कलर्स के 'राम सिया के लव कुश' से नाराज वाल्मीकि समुदाय बंद और तोड़-फोड़ पर क्यों उतरा?
काश हम वाल्मीकि रामायण के पहले श्लोक की कहानी याद रख पाते...

- वाल्मीकि से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है. - उनका आचरण ग़लत तरीके से परदे पर उतारा गया है. - वाल्मीकि रामायण के हिसाब से नहीं दी गई है जानकारी.

वाल्मीकि समुदाय का आरोप है. कि इस सीरियल में मूल रामायण के हिसाब से कहानी नहीं दिखाई गई. समुदाय के लोग फैक्चुअल एरर की बात कर रहे हैं (फोटो: Colors TV)
आहत होने पर क्या किया? वाल्मीकि समुदाय ने मांग की. सीरियल बंद किया जाए. इसके निर्माता, निर्देशक और कलाकारों पर केस दर्ज हो. 6 सितंबर को वाल्मीकि समाज से जुड़े संगठनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. कहा, सीरियल के विरोध में 7 सितंबर को पंजाब बंद रहेगा. मकसद, सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बनाना. शांतिपूर्ण विरोध की अपील की गई. मगर ये क्लॉज़ भी जोड़ा गया कि अगर किसी तरह के जान-माल का नुकसान हुआ, तो जिम्मेदारी सरकार की. पुलिस-प्रशासन ने संगठन के लीडर्स संग मीटिंग की. प्रस्तावित बंद कैंसल किए जाने का ऐलान किया गया. मगर फिर शाम होते-होते नया ऐलान आया. कोई कैंसलेशन नहीं, बंद तय तारीख़ पर ही होगा.
शांतिपूर्ण बंद के नाम पर गुंडागर्दी 6 सितंबर की शाम. सारे ज़िला मैजिस्ट्रेट ने आदेश निकालकर सीरियल के प्रसारण पर पाबंदी लगा दी. आधार- केबल टेलिविज़न नेटवर्क्स (रेगुलेशन) ऐक्ट, 1995 का सेक्शन 19. कहा, माहौल बिगड़ने की आशंका में ये कदम उठा रहा है प्रशासन. पुलिस ने सीरियल के कलाकारों और डायरेक्टर पर केस भी दर्ज कर लिया. 7 सितंबर को बंद हुआ, मगर शांतिपूर्ण नहीं. वाल्मीकि संगठनों के सदस्यों पर हंगामा मचाने का आरोप लगा. हाथ में तलवारें, बल्ले, डंडे लेकर बाइक पर बैठे युवा जबरन दुकानें बंद करवाते दिखे.Punjab CM Captain Amarinder Singh has ordered immediate ban by respective District Commissioners on telecast of the TV serial ‘Ram-Siya Ke Luv-Kush’. The order has been issued after a person was shot at during protest held by Valmiki community against the TV serial, earlier today pic.twitter.com/CFMrCvv3BE
— ANI (@ANI) September 7, 2019
अमृतसर, जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला, लुधियाना, फिरोज़पुर सब जगह से जबरन बाज़ार बंद करवाने की ख़बरें आईं. बंद का काफी असर रहा पंजाब में. इस दौरान-In case you didn't know, there is a bandh going on in Punjab. Have been stuck outside of Jalandhar for the better part of the last hour and a half. Highways are blocked. No cops to be seen. Hate it when we forget to take our rule of law in the morning.
— Aakash Mehta (@KuchBhiMehta) September 7, 2019
- कई ट्रेनें रोकी गईं. अमृतसर से रवाना शताब्दी एक्सप्रेस को 40 मिनट तक रोके रखा गया. - जालंधर-अमृसर का नैशनल हाईवे नंबर एक ब्लॉक कर दिया प्रदर्शनकारियों ने. - कई जगहों की बस सेवाएं प्रभावित हुईं. -जालंधर का नकोदर शहर. जबरन दुकानें बंद करवाने के दौरान हंगामा. दुकानदार ने बचाव में गोली चलाई. एक युवक जख़्मी हुआ. - फजिल्का में प्रोटेस्टर्स ने दुकानदारों पर पत्थर फेंके. कुछ जगहों पर गुंडागर्दी दिखाते हुए दुकान का सामान भी फेंक दिया.

ये 7 सितंबर को अमृतसर में ली गई तस्वीर है. बंद के दौरान भगवान वाल्मीकि समाज समुदाय के सदस्य हाथ में डंडा-रॉड लेकर शहर भर में घूम रहे हैं (फोटो: PTI)
बंद के बाद मुख्यमंत्री ने क्या किया? 7 सितंबर की रात मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आदेश दिया- तत्काल प्रभाव से सीरियल का प्रसारण रोका जाए. CM ने सीरियल पर रोक लगवाने के लिए केंद्र को भी चिट्ठी लिखी. कलर्स चैनल पहुंचा पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट. कहा, हम विवादित सीन हटा देंगे. अदालत ने बैन पर रोक लगाने से इनकार किया. मगर चैनल की याचिका पर सुनवाई को राज़ी हो गए.
आपत्ति किस बात पर है?इस मामले पर जहां भी पढ़ा, यही मिला कि सीरियल ने वाल्मीकि को आपत्तिजनक तरीके से दिखाया है. मगर ये 'आपत्तिजनक' और 'अपमानजनक' क्या है, किन बातों पर है, ये ठीक से समझाया नहीं गया. सोशल मीडिया भी खंगाला. यहां भी आपत्तियां स्पष्ट नहीं हुईं. फिर हमने बात की ओम प्रकाश गब्बर से. ये अमृतसर के वाल्मीकि आश्रम (राम तीर्थ) में धुना साहिब के चेयरमैन हैं. वाल्मीकि समुदाय के नेता हैं. इनसे हुई बातचीत का सारांश है-DCs have banned the telecast of “Ram Siya Ke Luv-Kush” throughout Punjab in wake of the hurt caused by it to the Balmiki community. I appeal to all to maintain calm and preserve the hard-earned peace, tranquility & communal harmony of Punjab. pic.twitter.com/jfjRSrLeks
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) September 7, 2019
सीरियल से आपत्ति ये है कि ये मूल रामायण के हिसाब से नहीं बना. सारा अपने मन से कर दिया है. लव और कुश सीता के पास थे. वाल्मीकि आश्रम में पढ़ते थे. सीरियल वालों ने दिखाया कि लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के बेटे भी आश्रम में ही पढ़ रहे हैं. जो कि हो ही नहीं सकता. काफी ग़लत पॉइंट्स हैं. लव और कुश को मॉडर्न कर दिया है. राम और लक्ष्मण का जो वनवासी ड्रेस था, वही लव और कुश का भी ड्रेस था. सीरियल में इन दोनों के कपड़े आधुनिक कर दिए हैं.एपिसोड: पद्मावत वर्सेज़ पद्मावती आहत वाली बात का पिछला बड़ा मामला पद्मावत था. जब करणी समुदाय के लोगों ने राजपूत सम्मान के नाम पर हद मचा दी थी. अफ़वाह फैली कि फिल्म में एक सीन है. जहां अलाउद्दीन खिलजी सपने में ख़ुद को पद्मावती के साथ देखता है. भंसाली ने इससे इनकार किया. फिर भी विरोध ख़त्म नहीं हुआ. भंसाली को फिल्म का नाम तक बदलना पड़ा. करणी सेना की महिलाओं ने जौहर करने की धमकी दी. इतने बवाल के बाद फिल्म रिलीज़ हुई और संसार अपनी गति से चलता रहा.
सीरियल चलाना है तो रामायण के हिसाब से कर दें. जो ग़लत दिखाया है, वो ठीक कर दें. वरना भारत में नहीं चलने देंगे. मूल रामायण के हिसाब से नहीं बना सीरियल. इससे वाल्मीकि की छवि खराब हो रही है.
कोई कानून नहीं है भारत में. सब ऐसे ही चलता है. जो प्यार से नहीं मानेगा, उसको दूसरे तरीकों से मनाना पड़ता है. पंजाब में सीरियल बंद करने से कुछ नहीं होता. भारत में बंद करवाएंगे हम.
हमारे परमपिता परमेश्वर का अपमान हुआ है. इसमें कोई हमारा सहयोग नहीं करेगा, तब हमें और तरीके अपनाने होंगे. 14 और 15 सितंबर को मीटिंग है. इसमें तय होगा कि पूरे भारत में कब बंद करवाया जाए. बाकी राज्यों के वाल्मीकि संगठनों से भी बातचीत हो रही है.

ये 2001 की जनगणना के आंकड़े हैं. 37 अनुसूचित जातियों में सबसे ज़्यादा आबादी वाले पांच ग्रुप्स में से एक हैं वाल्मीकि. 37 फीसद दलित आबादी का 11.2 पर्सेंट हिस्सा (फोटो: गवर्नमेंट ऑफ इंडिया सेंसस रिपोर्ट)
वाल्मीकि समाज: नंबर गेम वाल्मीकि समाज अनुसूचित जाति में आता है. अकेले पंजाब को लें, तो यहां कुल आबादी में 32 पर्सेंट दलित हैं. 2001 की जनगणना के मुताबिक, कुल दलितों में 11.2 फीसद वाल्मीकि हैं. ये अच्छी-खासी आबादी है. भारत में आबादी का एक ख़ास ग्रुप (जैसे- जाति, उपजाति, धर्म) राजनीति का वोट बैंक हो जाता है. 7 सितंबर को बुलाए गए वाल्मीकि समाज के पंजाब बंद में कई जगहों पर छोटी-बड़ी झड़पें हुईं. इनमें एक था फज़िल्का. यहां जबरन दुकानें बंद करवाई गईं. आरोप है कि दुकानदारों के साथ हाथापाई भी हुई. दुकानदार इसकी शिकायत लिखवाने पुलिस के पास गए. इसके जवाब में वाल्मीकि समुदाय ने उन्हें धमकी दी है.
9 सितंबर को इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के मुताबिक, वाल्मीकि लीडर्स ने कहा है.
अगर उनके समुदाय के किसी इंसान का नाम लेकर FIR लिखवाई, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. तब फिर पंजाब बंद किया जाएगा. वो भी अनिश्चित काल के लिए. जो भी होगा तब, उसके लिए दुकानदार और पुलिसवाले जिम्मेदार होंगे. व्यापार मंडल का कहना था कि हर बार दुकानदार ही नहीं सहते रहेंगे. कुछ भी होता है, पहले दुकानें बंद करवा दी जाती हैं. कारोबारियों का कहना था कि बंद के दौरान वाल्मीकि जब हिंसक हुए, तो पुलिस ने आंखें मूंद लीं.

ये पंजाब सरकार के सिड्यूल्ड कास्ट्स लैंड डिवेलपमेंट ऐंड फाइनैंस कॉर्पोरेशन की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट है. पंजाब में कुल 39 ग्रुप नोटिफाइड अनूसूचित जाति की श्रेणी में आते हैं. इन्हीं में वाल्मीकि भी हैं.
ऐसी कलेक्टिव गुंडागर्दी का कॉन्फिडेंस कैसे आता है? कोई भी आदमी, समुदाय या संगठन. इस तरह की धमकी देने, यूं गुंडागर्दी की पोजिशन में कैसे आता है? क्या इसलिए कि जमा वोटों के दम पर ये कास्ट ग्रुप्स राजनैतिक पार्टियों के साथ बारगेनिंग करते हैं. किसी टेलिविज़न सीरियल ने किसी किरदार को कैसे दिखाया, इस बात का पब्लिक ट्रांसपोर्ट से क्या लेना-देना? क्यों रोकी जाएं बस और ट्रेनें? क्यों जबरन बंद करवाई जाएं दुकानें? क्यों सड़कें और हाई-वे जाम किए जाएं? ब्लॉक किए जाएं? क्यों गाड़ियों और बाइकों पर लोग तलवार-डंडे लेकर पूरे शहर में आतंक मचाएं? क्यों स्कूल-कॉलेज बंद हों?
Protestors vandalised, robbed shops in #Jalandhar
— Tarsem Deogan (@tarsemdeogan) September 7, 2019
during government sponsored #Punjab
Bandh against a tele serial on #colors
TV on Saturday. @PunjabGovtIndia
@PunjabPoliceInd
any take sir? pic.twitter.com/VqnElijwrC
A crying shame that #PunjabPolice
— iDoc (@drvivarora) September 7, 2019
stood as mute spectators as vandals put up barricades, brandish swords and threaten violence at each and every entry point to and main crossings of #Jalandhar
#punjabbandh
The least they could do was control these lumpen elements.
सेंटिमेंट्स के नाम पर औरों को तंग तो नहीं कर सकते उंगली के मुट्ठी बन जाने की कहानी पॉज़िटिव थी. इसलिए नहीं कि मुट्ठी बांधकर घूंसा मारो किसी को. ग्रुप बनकर गुंडागर्दी करना, पब्लिक डिसॉर्डर फैलाना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, किसी और का कामकाज रुकवाना ग़ैरक़ानूनी है. जगह-जगह CCTV कैमरा लगे होते हैं. तकनीक की मदद से उपद्रव करने वालों को पकड़कर उनपर कार्रवाई की जानी चाहिए. मगर ऐसा होगा नहीं. क्योंकि सरकारें ऐसे मौकों पर अपना काम नहीं करतीं, पॉलिटिक्स देखती हैं. आनन-फानन में सीरियल पर बैन लग गया. सरकार-प्रशासन को लगा, ऐसा नहीं किया तो स्थितियां हिंसक हो सकती हैं. ये डर और ऐसे डर की वजह से किसी प्रोग्राम को बैन करना सरकार का फेलियर है. ऐसे तो आप लोगों को फॉर्म्युला बताते हैं. कोई भी आहत हो जाए और संख्या के बल पर बैन लगवा लाए. आगे बढ़ने के पहले 'राम सिया के लव कुश' की शुरुआत में आने वाला 'डिस्क्लेमर' पढ़ लीजिए-@PMOIndia
— Anmol Arora (@anmolarora999) September 7, 2019
@capt_amarinder
@aajtak
@AmitShah
@ZeeNews
@ABPNews
@republic
common people are beaten up by these supporters of Punjab Bandh and many shops are harmed in our town today and audience was police. We are not safe in our own home,town, state n country. pic.twitter.com/yJefeiFBQo
'राम सिया के लव कुश' राम और सीता के दोनों पुत्रों की स्वत: को खोजने तथा अपने माता-पिता को एक साथ लाने की गाथा है. यह एक काल्पनिक धारावाहिक है, जिसका निर्माण केवल मनोरंजन प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है. इस धारावाहिक के माध्यम से चैनल किसी भी पौराणिक चरित्र को अपमानित करने का उद्देश्य नहीं रखता है ताकि दर्शकों की भावनाएं आहत न हों, साथ ही इसमें दर्शाये गए किसी भी घटना की तथ्यात्मक सटीकता का दावा भी नहीं करता है. इस धारावाहिक को अधिक प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से सृजनात्मक स्वतंत्रता की सहायता ली गई है.

ये डिस्क्लेमर सीरियल की शुरुआत में आता है. ये तो ख़ुद ही काल्पनिक बता रहे हैं अपनी कहानी (फोटो: कलर्स टीवी)
सरकार पर पब्लिक का दबाव हो, मगर ऐसा दबाव नहीं कहां इस डिस्क्लेमर में दावा है कि हम बिल्कुल ऑथेंटिक दिखा रहे हैं? अभी तक जो आपत्तियां गिनाई गई हैं, वो मूल रामायण से मिलान कर फैक्चुअल मिस्टेक्स की तरफ इशारा करती हैं. मगर सीरियल तो ख़ुद ही लिख रहा है कि वो अपने प्रोग्राम में तथ्यात्मक सटीक होने का दावा नहीं करता. यहां तो हमारे कई नेता और जन प्रतिनिधि इतिहास और पुराण में अंतर नहीं कर पाते. कितनी ही फिल्में बनती हैं, जिनमें सच्ची घटना पर आधारित बताकर रचनात्मक छूट ली जाती है. आपत्तियां भी (जितनी मालूम हैं, बताई गई हैं) ऐसी नहीं कि ऋषि वाल्मीकि का अपमान करती हों. अपमान वैसे भी बड़ा शब्द है. घटनाक्रम का जो अंतर बताया जा रहा है, वो क्या इतना बड़ा और गंभीर मसला है कि समुदाय भड़क उठे? हिंसा करे? जबरन दुकानें-बाज़ार बंद करवाई जाएं? 'भारत बंद' करने की बातें हों?
आप प्रोग्राम नहीं देखना चाहते, तो मत देखिए. बहुत हुआ तो अदालत जाइए. वैसे तो अथॉरिटीज़ मुहर लगाती हैं, तब ही प्रसारित होता है प्रोग्राम. वही चाक-चौबंद हो, तो दिक्कत ही न रहे. यहां विज्ञापनों से लेकर फिल्मों-सीरियलों में लैंगिक भेदभाव, कल्चरल और सोशल स्टीरियोटाइप दिखाते हैं. उनपर कोई आपत्ति नहीं आती. आती भी है, तो भूले-भटके ही सुधार होता है. ऐसे धार्मिक और सामुदायिक भावनाओं के आहत होने की प्रथा और इसपर किताबें-फिल्में क्रिएटिव कॉन्टेंट (भले वो बेकार हो) बैन करने की परंपरा बेहद बुरी है. एक नरेशन का जवाब दूसरा नरेशन हो सकता है. कई नरेशन, कई इंटरप्रेटेशन के लिए जगह हो सकती है. जब तक कि एकदम साफ-साफ ब्लैक ऐंड वाइट में सही-ग़लत का मसला न हो. अलग-अलग कहानियों के लिए जगह होनी चाहिए. सरकार पर जनता का प्रेशर अच्छी बात है. मगर ऐसा प्रेशर नहीं.
जिसका मूल है करुणा वाल्मीकि आदि कवि हैं. रामायण जैसा महाकाव्य लिखा उन्होंने. जिसका मूल है करुणा. प्रेम करते क्रौंच के जोड़े का नर बहेलिये के तीर से मर जाता है. मादा शोक करती है. ये देखकर वाल्मीकि इतने दुखी हो जाते हैं कि बहेलिये को शाप देते हुए कहते हैं-
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्ये संस्कृत का पहला श्लोक माना जाता है. यही श्लोक राम की कहानी का फाउंटेन सोर्स है. अगर वाल्मीकि न होते तो राम को हम तक कौन लाता? वाल्मीकि हम सबकी साझा विरासत हैं. ऐसे अद्भुत क्रिएटिव व्यक्ति के नाम पर हिंसा-हंगामा करका उनका अपमान है. वैसे ये मसल गेम सम्मान जताने के लिए होता भी नहीं. ये विशुद्ध पॉलिटिक्स है. फिर चाहे जिस भी समुदाय का हो.
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नियम तोड़ने वालों का चालान नहीं काटा, मगर ऐसा सबक दिया कि कोई नहीं भूल पाएगा