वाराणसी में धमाके कर 18 लोगों की जान लेने वाले आतंकी वलीउल्लाह को फांसी की सजा
16 साल बाद आया फैसला, संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर किए थे धमाके

वाराणसी (Varanasi) सीरियल ब्लास्ट (Serial Blast) केस के मुख्य आरोपी वलीउल्लाह (Waliullah) को फांसी की सजा सुनाई गई है. बीते शनिवार 4 जून को वाराणसी डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज जितेंद्र कुमार सिन्हा ने वलीउल्लाह को दोषी करार दिया था.
साल 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर बम धमाके हुए थे. इनमें 18 लोगों की मौत हुई थी और 35 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इसके अलावा यहां के दशाश्वमेध घाट पर भी विस्फोटक मिला था.
वाराणसी ब्लास्ट की कैसे हुई जांच?इस मामले की जांच करने पहुंची फोरेंसिक लैब की टीम ने वाराणसी पहुंचकर सबसे पहले कैंट स्टेशन का दौरा किया. आरडीएक्स इस्तेमाल किए जाने के सबूत और एल्यूमिनियम के कुछ टुकड़े मिले. जिनसे पता चला कि बम बनाने के लिए कुकर का इस्तेमाल किया गया था. मौके पर मिली प्लास्टिक से साफ़ हुआ कि विस्फोट का समय तय करने के लिए टाइमर लगाया गया था. संकटमोचन मंदिर के परिसर से भी कुछ ऐसे ही सबूत मिले. जांच में पता चला कि बम की क्षमता बढाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल आयल भी यूज़ किया गया था. संकटमोचन मंदिर परिसर में बम एक पेड़ के पास रखा गया था. जिसने धमाके का प्रभाव कुछ कम कर दिया वरना धमाके में और ज्यादा लोगों की जान जा सकती थी.
दशाश्वमेध पर मिला बम जांच में अहम कड़ी बनाघटना स्थलों पर दो दिनों तक चली जांच के दौरान टीम ने दशाश्वमेध में जिंदा मिले विस्फोटक की भी जांच की. इससे फोरेंसिक टीम को विस्फोटक का नेचर, उसकी क्वांटिटी और बम बनाने का तरीका पता चल सका. ये भी पता चला कि कौन सा ग्रुप इस तरह के बम का इस्तेमाल करता है. ब्लास्ट करने के लिए विस्फोटक को कुकर में ठूंस कर भरा गया था. और इसके साथ टाइमर का इस्तेमाल किया गया था.
वलीउल्लाह कैसे आया पुलिस के हाथ?इस मामले में 5 अप्रैल 2006 को वाराणसी पुलिस ने वलीउल्लाह उर्फ़ टुंडा को लखनऊ के गोसाईंगंज इलाके से गिरफ्तार किया था. वलीउल्लाह प्रयागराज में फूलपुर स्थित नलकूप कालोनी का रहने वाला है. उस पर संकट मोचन मंदिर और वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर विस्फोट की साजिश रचने और आतंकवाद फैलाने का चार्ज लगाया गया.
वाराणसी के वकीलों ने वलीउल्लाह का मुकदमा लड़ने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केस गाजियाबाद की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. यहां सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की तरफ़ से जीआरपी कैंट धमाकों में 53, संकट मोचन धमाके में 52 और दशाश्वमेध घाट मामले में 42 गवाह पेश किए गए. मामला काफी लंबा चला, कई सुनवाईयों के बाद शनिवार 4 जून को गाजियाबाद जिला और सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा ने वलीउल्लाह को दोषी करार दिया. और फिर आज 6 जून को इस मामले में वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुना दी गई.
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