The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Underprivileged children stopped to enter in shivsagar restaurant in cannaught place

इन बच्चों की शक्ल गंदी है, ये हमारे रेस्टोरेंट में नहीं घुस सकते!

दिल्ली में एक रेस्टोरेंट ने सड़क पर सामान बेचने वाले बच्चों को अपने यहां खाना खिलाने से मना कर दिया.

Advertisement
Img The Lallantop
Source- कृष्ण कुमार
pic
आशीष मिश्रा
12 जून 2016 (Updated: 12 जून 2016, 07:02 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
सोनाली शेट्टी देहरादून से अपने पति का जन्मदिन मनाने दिल्ली आईं थीं. कल आठ बच्चों के साथ, बच्चे जो कनॉट प्लेस में फूल-पंखें- गजरे बेचते दिखते हैं. एक रेस्टोरेंट में खाना खाने गईं. मकसद ये था कि बच्चों को भी ख़ुशी मिल सके. वो भी ढंग का खाना खा सकें. पर रेस्टोरेंट वालों ने उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया. वजह ये बताई कि बच्चे गंदे कपड़े पहने थे, उनके कपड़ों में धूल थी और ऐसे 'गंदे बच्चों' को वो कैसे अपने 'अच्छे' रेस्टोरेंट में खाना खाने दे सकते थे. भले सोनाली इसके लिए उन्हें पैसे दे रही हों लेकिन 'गंदे' कपड़े पहने बच्चों को वो कैसे दूसरे ग्राहकों जैसा ट्रीट कर सकते थे. बच्चे शिवसागर रेस्टोरेंट के छोले भटूरे खाना चाहते थे, लेकिन नहीं खा सके.
सोनाली का कहना है,ये फर्क क्यों है. बच्चे न अश्लील हरकतें कर रहे थे, न शराबी थे. सिर्फ गरीब होने के कारण उन्हें होटल में न घुसने देना शर्मनाक है.
सोनाली बच्चों को दूसरे रेस्टोरेंट में खाना खिलाने ले गईं, वहां से लौटीं तो उनके बताए के हिसाब से रेस्टोरेंट के मालिक के बेटे ने उन्हें डराया धमकाया. और गोली मार देने की धमकी दी. पुलिस को फोन किया लेकिन पुलिस ने भी कोई एक्शन नहीं लिया. सोनाली ने बताया कि आज रविवार को वो एक एनजीओ की मदद से 50 बच्चों को लेकर वापस आएंगीं, उन पर पैसे न देने और चोरी करने की बातें भी रेस्टोरेंट वालों ने कही तो 50 बच्चों के पैसे भी देंगी और आगे देखना ये होगा कि शिवसागर वाले उन बच्चों को घुसने देते हैं या नहीं. वीडियो देखिए, ये वीडियो मौके पर ऑफिस से लौट रहे कृष्ण कुमार ने बनाया है. https://www.youtube.com/watch?v=clXewOg1F3g लेकिन ये शर्मनाक है न? कैसे आप बच्चों को खाना खिलाने से मनाकर सकते हैं. आप अपने ग्राहकों में भेदभाव कैसे कर सकते हैं. आपको पैसे उतने ही मिलने हैं. कोई अच्छे या बुरे कैसे भी कपड़े. इस आधार पर ये तय कैसे किया जा सकता है कि वो रेस्टोरेंट में घुसे ही न. ये उस किस्म के कूढ़मगज हैं जो पैसों की वजह से खुद को एक तबके से ऊपर और अलग मानने लग जाते हैं. इस फेर में कोई दूसरा कुछ अच्छा करना भी चाहे तो नहीं कर पाता.

Advertisement