The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Ujjain Mahakal temple 1 8 crore given to priests from donation box complain in Lokayukta

महाकाल मंदिर में दान पेटी से 1.80 करोड़ पुजारियों को बंटे, शिकायत किससे हो गई?

मंदिर ने 'भ्रष्टाचार' के आरोपों का जवाब दिया है.

Advertisement
Ujjain Mahakal mandir
महाकाल मंदिर, उज्जैन (फोटो- फेसबुक/ Shree Mahakaleshwar Ujjain)
pic
साकेत आनंद
27 मार्च 2023 (Updated: 27 मार्च 2023, 05:31 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

उज्जैन के महाकाल मंदिर में एक दिन पहले एक महिला का वीडियो वायरल हुआ. महिला मंदिर में VIP श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए बने प्रोटोकॉल से नाराज हो गई थी. महिला ने आरोप लगाया कि सिर्फ पैसे देने वालों को ही दर्शन कराए जा रहे हैं. पुजारी और सुरक्षाकर्मियों से बहस के बाद वो बैरिकेड से कूदकर गर्भगृह में पहुंच गईं. अब महाकाल मंदिर को लेकर एक और विवाद हो गया है. ये विवाद मंदिर की दान पेटियों में आने वाले पैसों का है. मामला लोकायुक्त के पास पहुंच गया है.

हिन्दी अखबार दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, महाकाल मंदिर की दान पेटियों में आने वाले पैसों का 35 फीसदी हिस्सा 16 पुजारियों को दिया जाता है. दो साल में इन पुजारियों के हिस्से एक करोड़ 80 लाख रुपये आए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुजारियों के अलावा 22 पुरोहितों को गर्भगृह में एंट्री की फीस का 75 फीसदी हिस्सा दिया जाता है. इसके खिलाफ उज्जैन की सारिका गुरु ने लोकायुक्त में शिकायत की है.

महाकाल मंदिर में दर्शन करने वाले लोग मंदिर के भीतर लगी 5 अलग-अलग दान पेटियों में दान करते हैं. इन दान पेटियों को हर महीने खोला जाता है. इसके अलावा अलग-अलग पूजा की अलग फीस भी है. भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार दान में मिलने वाले पैसों का 65 फीसदी हिस्सा मंदिर समिति को और 35 फीसदी हिस्सा मंदिर के 16 पुजारियों को मिलता है. सारिका गुरु ने अपनी शिकायत में कहा है कि महाकाल मंदिर एक्ट में पुजारियों को 35 फीसदी पैसे देने का प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद साल 1985 से लगातार ये चल रहा है. मार्च 2019 से दिसंबर 2020 तक 10 महीने में 16 पुजारियों को 82 लाख रुपये दिये गए. वहीं साल 2020-21 में इन पुजारियों को 93 लाख रुपये मिले.

सरकार को करोड़ों का नुकसान करवा रहे- शिकायतकर्ता

सारिका के मुताबिक मंदिर प्रशासक, मंदिर समिति अध्यक्ष और पूर्व प्रशासक साठगांठ कर पद का दुरुपयोग कर रहे हैं. अवैध तरीके से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसके अलावा शिकायतकर्ता ने कहा है कि पूजा के लिए कटने वाली रसीद और गर्भगृह दर्शन के लिए मिलने वाले पैसों काा 75 फीसदी पुजारियों को दिया जाता है. इसका भी कोई प्रावधान नहीं है.

दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर प्रशासन का भी पक्ष रखा है. मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी का कहना है कि दान पेटी का 35 फीसदी प्रबंध समिति की सहमति से 16 पुजारियों को दिया जा रहा है. संदीप के मुताबिक 20 दिसंबर 2012 को मंदिर प्रबंध समिति ने यह फैसला एक्ट के अनुसार लिया. साल 2016 में हाई कोर्ट ने मंदिर प्रबंध समिति का हवाला देकर इसे जारी रखने का फैसला सुनाया था.

महाकाल मंदिर के पुजारी प्रतिनिधि ने भास्कर को बताया कि पहले पुजारियों को दान पेटी का 25 फीसदी दिया जाता था. लेकिन साल 1992 में दिग्विजय सिंह सरकार के दौरान बदलाव हुआ. इसे 35 फीसदी कर दिया गया. उन्होंने कहा कि पहले भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है. लेकिन कोर्ट ने प्रबंध समिति के फैसले को सही ठहराया था.

वीडियो: सोमनाथ मंदिर पर हमलों की ये कहानी सुन कंफ्यूज क्यों हुए सौरभ द्विवेदी?

Advertisement