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HC के जज को ट्रेन में सुविधा छोड़िए कोई सुनने वाला नहीं मिला, अब सब उल्टे टांगे जाएंगे

जज ने रेलवे को नोटिस जारी कर दिया है.

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‘Train Delayed, No GRP or Pantry Staff’: Allahabad HC Judge Seeks Explanation from Rlys
जीएम नार्थ सेंट्रल रेलवे को लिखे पत्र में कहा गया कि इस घटना से जज को बड़ी असुविधा और नाराजगी हुई. (फोटो- allahabadhighcourt.in/आजतक)
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प्रशांत सिंह
18 जुलाई 2023 (Updated: 18 जुलाई 2023, 12:02 AM IST)
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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी ने रेल यात्रा के दौरान होने वाली असुविधाओं को लेकर नोटिस जारी कर रेलवे से स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने किसी याचिका पर सुनवाई करते हुए नहीं, बल्कि खुद यात्रा करते हुए पेश आई असुविधाओं के चलते रेलवे को नोटिस जारी किया है. खबर के मुताबिक जस्टिस गौतम चौधरी नई दिल्ली से प्रयागराज का सफर कर रहे थे. अव्वल तो उनकी ट्रेन तीन घंटे लेट हो गई. फिर घंटों इंतजार के बाद जब ट्रेन पर चढ़े तो अंदर की असुविधाओं ने उन्हें घेर लिया. कहने का मतलब ट्रेन में मिलने वाली कई सुविधाएं मौजूद नहीं थीं.

आजतक से जुड़े पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल आशीष कुमार श्रीवास्तव ने जीएम नार्थ सेंट्रल रेलवे को इस संबंध में एक पत्र लिखा. इसमें बताया गया है कि जस्टिस गौतम चौधरी अपनी पत्नी के साथ नई दिल्ली से प्रयागराज की यात्रा कर रहे थे. ट्रेन नंबर 12802. पुरुषोत्तम एक्सप्रेस. वे ट्रेन के एसी फर्स्ट कोच में थे. पत्र में रेलवे पर आरोप लगाया गया कि जज को बुनियादी सुविधाएं नहीं दी गईं.

पैंट्री कार मैनेजर नेे फोन नहीं उठाया

पत्र के अनुसार ट्रेन तीन घंटे से अधिक लेट थी. टीटीई को बार-बार सूचित करने के बावजूद जज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोच में कोई भी जीआरपी स्टाफ नहीं था. इतना ही नहीं, बार-बार कॉल करने के बावजूद ट्रेन की पैंट्री कार का कोई भी कर्मचारी उनकी जलपान की व्यवस्था के लिए नहीं आया. बताया गया कि जब पैंट्री कार मैनेजर राज त्रिपाठी को फोन किया गया, तो फोन नहीं उठाया गया.

इस सबसे निराश न्यायाधीश ने रेलवे को नोटिस जारी कर दिया. जीएम नार्थ सेंट्रल रेलवे को लिखे पत्र में कहा गया कि इस घटना से जज को बड़ी असुविधा और नाराजगी हुई. आगे लिखा गया, 

‘इस संबंध में माननीय जज ने चाहा है कि रेलवे के दोषी अधिकारियों, GRP स्टाफ और पैंट्री कार के मैनेजर से उनके व्यवहार और कर्तव्य के संबंध में स्पष्टीकरण  मांगा जाए.’

नोटिस मिलने के बाद संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा गया है और उसे कोर्ट में दाखिल करने को कहा गया है.

वैसे इस मामले में शायद जवाब भी दाखिल हो जाएगा. क्योंकि मामला हाइलाइट हो गया है. और खास बात, मामले एक जज से जुड़ा हुआ है.

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