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जिस 'रोज वैली घोटाले' में ममता की पार्टी के सांसद अंदर जा रहे हैं, वो है क्या?

कल TMC के सुदीप बंदोपाध्याय को CBI ने अरेस्ट किया था

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3 जनवरी 2017 (Updated: 4 जनवरी 2017, 07:57 AM IST) कॉमेंट्स
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कल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद और नेता सुदीप बंदोपाध्याय को CBI ने अरेस्ट किया. इनका रोज़ वैली चिट फंड घोटाले में नाम आया है. इससे पहले उन्हें CBI के दफ्तर में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. उन्होंने पूछताछ के लिए जाते हुए कहा था, ''मैं यहां अपनी पोजीशन साफ़ करने आया हूं.''
सुदीप बंदोपाध्याय
सुदीप बंदोपाध्याय

गिरफ्तारी पर ममता बनर्जी ने कहा, ''बीजेपी और अकाली दल के नेता भी पर्ल चिट फंड स्कैम में शामिल थे. बंदोपाध्याय सीनियर नेता हैं. उन्हें इस तरह गिरफ्तार नहीं करना चाहिए.''
उन्होंने ट्विटर पर अपना गुस्सा निकाला. उन्होंने कहा कि ये सब नोटबंदी का विरोध करने की वजह से हो रहा है.
MAMTA
ममता बनर्जी का ट्वीट

साथ ही ममता बनर्जी ने चेतावनी भी दी कि 9 जनवरी को कोलकाता में नोटबंदी के खिलाफ RBI ऑफिस के सामने प्रदर्शन होगा.
ROSE VALLEY

उन्होंने आगे कहा कि हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. वकीलों को धमकाया जा रहा है और जजों को प्रभावित किया जा रहा है.

अब तक क्या हुआ?

ये टीएमसी के दूसरे सांसद हैं जिन्हें रोज़ वैली स्कैम के चलते गिरफ्तार किया गया है. 30 दिसंबर को एक्टर से नेता बने सांसद तापस पाल को CBI ने अरेस्ट किया था. उन्होंने गायक से बीजेपी के सांसद बने बाबुल सुप्रियो को भी घसीट लिया. कहा, ''मैं निर्दोष हूं. मैं इस घोटाले में शामिल नहीं हूं. सच जल्द ही सामने आ जाएगा. मैंने CBI के सामने बाबुल सुप्रियो सहित कुछ और लोगों का नाम लिया है.''
तापस पाल
तापस पाल

CBI ने कहा है कि रोज वैली ने निवेशकों को लगभग 17,000 करोड़ रुपए का चूना लगाया है. इसमें 450 करोड़ रुपए सिर्फ उड़ीसा से हैं. इस कंपनी की उड़ीसा में 28 शाखाएं थीं.
CBI ने रोज़ वैली के खिलाफ 2016 की जनवरी में चार्जशीट फाइल की थी. कहा गया था कि रोज वैली ने पश्चिम बंगाल के अलावा उड़ीसा, असम, झारखण्ड, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, त्रिपुरा, आन्ध्र प्रदेश में जमकर पैसे लूटे हैं.
CBI ने कहा कि रोज वैली के 21 रीजनल ऑफिस थे और 880 ब्रांच थीं. इसने लगभग 20 लाख एजेंट भी बना रखे थे. क्या है रोज वैली चिट फंड घोटाला?
पहले पश्चिम बंगाल में कई सारी बचत योजनाएं इंडियन पोस्टल सर्विस चलाती थी. 1980-90 के दौरान इनमें गिरावट आने लगी. इंटरेस्ट रेट गिर गए. इसी दौरान बहुत ही पोंजी स्कीम आईं. संचयिता इन्वेस्टमेंट, ओवरलैंड इन्वेस्टमेंट कंपनी, वेरोना क्रेडिट एंड कमर्शियल इन्वेस्टमेंट कंपनी, इन सबका बोलबाला था. इन लोगों ने इन्वेस्ट करने वालों के तकरीबन 10 बिलियन रुपयों की हेर-फेर की.
सारधा, पर्ल की ही तरह रोज वैली भी एक पोंजी स्कीम वाली चिट फंड कंपनी है. इसमें अलग-अलग स्कीम में पैसे लगाने के बदले भारी रकम वापसी का वादा किया जाता था. यानी लुभावने ऑफर देकर इन्वेस्टमेंट करवाना और सारा माल हड़प लेना.
इसके घोटालों की जांच ED (Enforcement Directorate) ने भी की थी. उसके हिसाब से इसने 15,000 करोड़ से ज्यादा पैसे बनाए.
मार्च 2015 में ED ने इस ग्रुप के चेयरमैन गौतम कुंडू को गिरफ्तार किया गया.
गौतम कुंडू
गौतम कुंडू

सारधा चिट फंड घोटाले से ये घोटाला सात गुना ज्यादा बड़ा है. इसके पूरे देश में छोटे-छोटे कई इन्वेस्टमेंट थे, जिनका अमाउंट लगभग 40,000 करोड़ है.
ED को लगता है कि नेताओं को ये कंपनी चलाने के लिए बहुत बड़ी घूस दी गई. कागज़ पर रोज वैली बैनर की 30 कंपनियां थीं. रोज़ वैली एयरलाइंस, रोज वैली माइक्रोफाइनेंस, रोज वैली फैशन, रोज वैली कंसल्टेंसी, रोज वैली बेवरेजेज, रोज वैली इंफोटेक, रोज वैली हाउसिंग फाइनेंस वगैरह. रोज वैली होटल एंड एंटरटेनमेंट की पूरे देश में 23 प्रॉपर्टी हैं.
SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने जनवरी 2011 में रोज वैली के रियल स्टेट बिजनेस को बंद कर दिया था.
इस कंपनी के 2,600 बैंक अकाउंट थे, जिनमें लगभग 800-1000 करोड़ रुपए थे. इन अकाउंट को सरकार ने बंद करवा दिया था.
किसने शुरू की थी रोज वैली?
18 सालों में गौतम कुंडू के बड़े भाई काजल कुंडू ने रोज वैली कम्पनी खड़ी की.
रोज वैली होटल एंड एंटरटेनमेंट, रोज वैली रियल स्टेट एंड कंस्ट्रक्शन, रोज वैली चेन मार्केटिंग की शुरुआत काजल ने की. बाद में 2002 में रोज वैली LIC की कॉर्पोरेट एजेंट बन गई थी.
2003 में काजल कुंडू की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. अपनी वाइफ और बेटे के साथ. बाद में छोटे भाई गौतम कुंडू ने रोज वैली को संभाल लिया.
रोज वैली 2012 तक बड़े आराम से चल रही थी जब तक IRDAI ( Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने इस पर सवाल नहीं खड़े किए.


ये स्टोरी निशांत ने की है.

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