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हिटलर को थैंक्यू बोलो, उसी ने दी थी ऑल इंडिया रेडियो वाली ट्यून

ऑल इंडिया रेडियो की सिग्नेचर ट्यून बनाने वाला म्यूजिशियन हिटलर की वजह से इंडिया आया था.

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श्री श्री मौलश्री
9 जून 2016 (Updated: 9 जून 2016, 11:36 AM IST) कॉमेंट्स
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आकाशवाणी की सायंकालीन प्रसारण सेवा में आपका स्वागत है. ये आकाशवाणी का लखनऊ केंद्र है. अब से कुछ ही देर में आप सुनेंगे हवामहल. 
रेडियो सुनते हो? एफ एम वाले चैनल नहीं. ऑल इंडिया रेडियो की बात कर रहे हैं. आकाशवाणी. अगर सुना है तो उसकी वो खास वाली ट्यून भी सुनी होगी. याद भी होगी. ये खबर पढ़ते हुए दिमाग़ में बजने भी लगी होगी. अगर नही सुनी है तो पहले ये सुन लो. फिर बात करते हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=97bpv2qdvu0
तो ये जो ट्यून है. इसके लिए थैंक्यू बोलो. हमको नहीं. हिटलर को. हिटलर की वजह से ही हमको ये ट्यून नसीब हुई है.
1930 के शुरूआती साल थे. हिटलर ने खूब मारकाट मचवा रखी थी. यहूदियों को मारा जा रहा था. लोग देश छोड़ कर भाग रहे थे. उन पलायन करने वाले लोगों में एक आदमी था. वाल्टर कॉफमैन. जर्मन म्यूजिशियन था. यहूदी था. उसको डर था कि उसे भी मार दिया जाएगा. वो भी भाग निकला. भाग कर इंडिया आ गया. मुंबई में सेटल हो गया. यहां उसने एक ऑर्केस्ट्रा ग्रुप बनाया. बॉम्बे चैम्बर म्यूजिक सोसाइटी. यहीं से इंडिया में उसका म्यूजिक कैरिअर शुरू हुआ. ये ग्रुप हर थर्सडे विलिंगडन जिमखाना में परफॉर्म करता था.
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वाल्टर कॉफमैन credit: PTI

इसी बॉम्बे चैम्बर म्यूजिक सोसाइटी ने 1936 में ऑल इंडिया रेडियो की सिग्नेचर ट्यून बनाई. इस ट्यून को बनाने में वॉयलेन, वायोला, चेलो और तानपुरे का इस्तेमाल हुआ था. ये ट्यून शिवरंजिनी राग पर बनाई गई थी. 

पहले कॉफमैन को इंडियन म्यूजिक पसंद ही नहीं था. लेकिन धीरे-धीरे उसका इंटरेस्ट बढ़ने गया. फिर उसे इंडियन म्यूजिक इतना ज्यादा अच्छा लगने लगा कि उसने इसपर किताबें भी लिख डालीं. द रागाज़ ऑफ़ नार्थ इंडिया, द रागाज़ और साउथ इंडिया: अ कैटलॉग ऑफ़ स्केलर मटेरियल एंड म्यूजिकल नोटेशन्स ऑफ द ओरिएंट: नोटेश्नल सिस्टम्स ऑफ कॉन्टिनेंटल, ईस्ट, साउथ एंड सेंट्रल एशिया.
कुछ लोग कहते हैं कि ये वाली ट्यून ठाकुर बलवंत सिंह ने बनाई थी. लेकिन ज़्यादातर लोग कॉफमैन के ही फेवर में हैं. बहुत शानदार ट्यून बना दी उन्होंने. पापा मम्मी आज भी कहीं सुन लेते हैं ये वाली ट्यून तो बहुत नॉस्टैल्जिक हो जाते हैं.

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