The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • the hrithik roshan starrer tra...

ऋतिक स्टारर मुअनजो दड़ो का ट्रेलर आ गया है और चिंतित होने की बात है

सिंधु घाटी सभ्यता जैसे प्राचीन व विशाल विषय की मिट्‌टी पलीत कर दी गई है. ये आशुतोष गोवारिकर की सबसे कमजोर फिल्म हो सकती है.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
गजेंद्र
20 जून 2016 (Updated: 1 अगस्त 2016, 08:44 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
हिस्ट्री की बी.सी. और ए.डी. जैसी तारीखों, हुमायूं-बाबर-अकबर के बेटों पिताओं के नामों और सिंधु घाटी सभ्यताओं के अवशेषों को याद रखना स्कूली जीवन में बहुत कष्टकारी रहा है. जरा भी रुचि न थी. लेकिन अब इच्छा होती है कि एक-एक फिर से पढ़ूं और जानूं कि मैं कहां से आया हूं. मेरे पुरखे. इस संसार के पुरखे कहां से आए? कैसे आए? और सबसे खास बात ये कि इस तरह से जानूं कि वो सत्य के बहुत करीब हो. उसमें noise कम से कम हो.
लगान (खेलें हम जी जान से  से नहीं पहचानेंगे उन्हें) वाले आशुतोष गोवारिकर ने जब ईसा मसीह और बुद्ध से भी पहले की प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता पर फिल्म बनाने की घोषणा बीते वर्षों में की तो मन प्रफुल्लित हुआ कि बॉलीवुड ने इतना कठिन विषय चुना है. कि लगान के दौरान उन्होंने संतुष्ट किया अपनी प्रोडक्शन वैल्यू से, इसमें भी करेंगे. हालांकि जब उन्होंने हीरो ऋतिक रोशन को चुना तो माथा ठनका. लेकिन फिर उसे फुसलाया कि क्या पता जोधा अकबर से थोड़ा बेहतर तक तो पहुंच ही सकते हैं, इतना भी कठिन नहीं.
लेकिन अभी कुछ मिनट पहले जब फिल्म का पहला ट्रेलर आया तो तीन-चार बार देखने के बाद चिंता हो उठी है. चीजें बहुत बेहतर नहीं लग रही हैं. इतनी जल्दी किसी फिल्म के बारे में टिप्पणी करना ठीक नहीं, वो भी निर्णायक ढंग से लेकिन जो है, वो है. फिर भी एक बार थियेटर में जाकर फिल्म देखनी ही है, ये भी तय है. लेकिन हालात चिंताजनक है. हम अपनी छोटी छोटी फिल्मों की प्रोडक्शन वैल्यू को कहां से कहां ले जा रहे हैं और इस फिल्म के जरिए हम फिर से उसी फिल्ममेकिंग की ओर लौटने वाले हैं जहां गुफा में हीरो की बहन और मां को विलेन उठाकर बंदी बना लेता था और हीरो बचाने आता था. सबको आ भिशुम आ भिशुम करके मार-पीटता था. mjd1 मैं ये नहीं कह रहा कि इस फिल्म की कहानी ऐसी है लेकिन इसमें काफी कुछ उसी ढर्रे का है और 1008 बार हम देख चुके हैं. आप ट्रेलर को ध्यान से तीन बार देख लें आपको फिल्म की वो हर बात पता चल जाएगी जो इसमें होने वाली है. इतनी Predictability एक फिल्म के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है. 1. सबसे पहले फिल्म का नाम: ये हिंदी सिनेमा में भाषा की त्रासदी वाला युग है. हम पहले किसी प्रदेश या मुल्क का कोई शब्द उठाते हैं, फिर उसे अंग्रेजी में लिखते हैं और फिर अंग्रेजी से उसके हिंदी उच्चारण का अनुमान करते हैं. जैसे राउडी राठौर बोला गया और लिखा गया, सभी के द्वारा. जबकि ये राठौड़ होता है. Even राज्यवर्धन सिंह भी राठौर नहीं राठौड़ हैं. यहां ऋतिक रोशन बोलते हैं मेरा मोहनजो दारो से कोई रिश्ता है. जबकि एनसीईआरटी की किताबें पढ़ लें या हिंदी की किसी पुस्तक को ले लें हिस्ट्री की, उसमें लिखा है मुअनजो दड़ो, यानी मौत का टीबा/टीला. mjd2 mjd3 mjd9 - Copy
2. इतना गरिष्ठ संदर्भ मिला, मार दिया: मौत का दड़ा/टीला, इतिहास का ऐसा दफन सच जिसमें न जाने कितनी विस्मयकारी कहानी छुपी है. इस पूरे ट्रेलर में कहीं भी वो संस्पेंस, थ्रिल, गरिष्ठता, रेफरेंस के पीछे छिपी कहानियों की लेयर और जिज्ञासाओं की शांति नहीं है जो इस नाम से उभरनी चाहिए. इसमें मौत की तो कहीं कोई विवेचना है ही नहीं. जो सबसे केंद्रीय थीम है.
mjd53. ये एक लव स्टोरी है: इस नगर के शासक की बेटी से ऋतिक प्यार करने लगता है. ऋतिक का नाम यहां सरवर है. अब किशोर नमित कपूर ने उन्हें उच्चारण के क्षेत्र में जो ट्रेनिंग दी है उससे तो यही सुनाई देता. एक जगह अन्य पात्र उन्हें पुकारता है तो नाम कुछ और लगता है समन जैसा कुछ. पूजा हेगड़े साउथ की फिल्मों से हैं और उनकी ये पहली हिंदी फिल्म है. वे और ऋतिक प्रेम करने लगते हैं. लिपलॉक भी है, ठीक वैसा ही जैसा सबसे पहले स्टार मूवीज की अंग्रेजी फिल्मों और स्टार वर्ल्ड पर आने वाले बोल्ड एंड ब्यूटीफुल में देखा था. पता नहीं मुअनजो दड़ो में भी लोग इतने ही precision के साथ लिप लॉप करते थे क्या? गोवारिकर की टीम ने रिसर्च तो ठीक ही की होगी. mjd8
4. दो गुंडे हैं: एक हैं अरुणोदय सिंह जो शायद नगर में किसानों से सामान खरीदते हैं लेकिन कम दामों पर और उनका शोषण करते हैं. ऋतिक का पात्र किसी दूसरी जगह से आता है अपना सामान बेचने शायद और वो एक हीरो बनकर उभरता है, हक की बात करता है. 'मोहनजो दारो' की सेवा करना चाहता है. दूसरा गुंडा है नगर का शासक महम. ये रोल कबीर बेदी ने किया है, अपनी उसी आइकॉनिक आवाज में वे डायलॉग बोलते हैं जिसमें यहां बदलाव की जरूरत थी.
mjd11mjd45. मगरमच्छ नकली है, साबित कर ही दिया: फिल्म में एक लंबे मगरमच्छ से लड़ने का सीन है ऋतिक का. लंबे समय से इतना बुरा विजुअल इफेक्ट्स का काम नहीं देखा किसी फिल्म में. वो भी उस दौर में जब हॉलीवुड की एक से एक शीर्ष फिल्म में विजुअल्स का काम भारतीय टेक्नीशियंस कर रहे हैं. भारत से ही. इसमें मगरमच्छ एक परसेंट भी असली नहीं लगता एक परसेंट भी नहीं डराता. फिर उसे ऐसे लेने की आवश्यकता नहीं थी. mjd12
6. जोधा अकबर जैसा ही लगता है: ऋतिक के कपड़े और मैदान में दूसरे लड़ाकों से भिड़ने के दृश्य और प्रस्तुति में वैसा ही फील आता है जैसा जोधा अकबर वाले पीरियड में आया था. नगर की दीवारें हों, मिट्‌टी, बाजार और अन्य ब्यौरों में कहीं कुछ breathtaking नहीं है. जो इतनी प्राचीन फिल्म में सबसे पहली आवश्यकता होती है.
mjd7mjd107. सबसे बड़ा दुख: ए आर रहमान. इतने बड़े म्यूजिक आइकन के कारण ही लगान में वो जादू आया. उनके कारण ही जोधा अकबर में प्रोडक्शन की कमियों और सतहीपन के बावजूद फिल्म में जान आई. दो वर्ष पहले ही उन्होंने मणि रत्नम की फिल्म ओके कनमनी में इतना ताज़ा संगीत दिया कि यकीन नहीं होता, लेकिन इस फिल्म में रहमान के नाम के अलावा म्यूजिक जैसी कोई चीज नहीं है. ट्रेलर में एक भी बीट ऐसी नहीं जो हमारे मन में फिल्म के लिए कोई attachment पैदा कर सके. ये सबसे बड़ा संकेत है कि अगर यही खालीपन फिल्म में भी रहना है तो मुअनजो दड़ो का क्या होगा?

ट्रेलर:

https://www.youtube.com/watch?v=5FNiUsYmG2s अंत में: फिल्म में एक भी पल ऐसा नहीं है जिसे देखकर मन में कोई ठंडक पड़ती है. या कोई संतोष होता है. मन कर रहा है कि श्याम बेनेगल का बनाया धारावाहिक भारत एक खोज देखूं. कितना सच्चा था वो सिंधु घाटी सभ्यता को लेकर. [facebook_embedded_post href=" https://www.facebook.com/UTVMotionPictures/videos/10154342465223278"]

also read:

कौनसे मोहनजोदड़ो शहर लेकर जा रहे हैं ऋतिक अौर गोवारिकर, जान लोहड़प्पा-मोहनजोदड़ो को किसने बर्बाद किया? आर्यों ने या अापदाओं ने? मोहनजोदड़ो में बड़का बाथटब ही नहीं, और भी गजब की चीजें मिली थीं हड़प्पा-मोहनजोदड़ो की लिपि हमें छका क्यों रही है? ये है योग के योगा बनने की पूरी टाइमलाइन

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement