राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई तेलंगाना सरकार, दिक्कत बहुत पहले से चल रही है
फिलहाल मामला विधानसभा में पारित हो चुके विधेयकों को मंजूरी ना मिलने का है. हालांकि, राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव बहुत पहले से चल रहा है.

तेलंगाना सरकार और राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन (Telangana Governmet Governor Tussle) के बीच टकराव इतना बढ़ गया है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर एक याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल विधानसभा में पारित 10 विधेयकों पर अपनी सहमति के दस्तखत नहीं कर रही हैं. याचिका में आगे कहा गया है कि ये विधेयक पिछले साल सितंबर से लंबित हैं. राज्य सरकार ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल को आदेश दे कि इन विधेयकों को तुरंत मंजूरी दी जाए.
इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने अपनी याचिका में जिन 10 विधेयकों की बात की है उनमें से 7 पिछले साल 14 सितंबर से राज्यपाल के ऑफिस में लंबित हैं. वहीं 3 विधेयकों को विधानसभा का बजट सत्र समाप्त होने के बाद 13 फरवरी को राज्यपाल के पास भेजा था.
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार की तरफ से ये याचिका मुख्य सचिव ए शांति कुमारी के माध्यम से डाली गई है. याचिका में मांग की गई है कि राज्यपाल की तरफ से हो रही देरी को अवैध, अनियमित और असंवैधानिक घोषित किया जाए. याचिका में आगे कहा गया है कि संविधान के अनुसार राज्यपाल को विधेयकों को मंजूरी देनी होगी और ऐसा करने में अगर किसी भी तरह की अड़चन पैदा होती है तो इससे अराजकता का माहौल बनेगा.
पहले भी हुआ टकरावइससे पहले पिछले महीने तमिलनाडु सरकार हाई कोर्ट पहुंची थी. हाई कोर्ट में सरकार ने राज्यपाल को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्य के बजट को मंजूरी देने के लिए निर्देश देने की मांग की थी. हाई कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद राज्यपाल ने बजट को मंजूरी दी थी.
इस साल गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भी राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी. दरअसल, एक याचिका पर सुनवाई करते हुए तेलंगाना हाई कोर्ट ने सरकार को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राजभवन में पुलिस परेड आयोजित करने का आदेश दिया था. हालांकि, सरकार ने इसमें एकदम आखिर में बदलाव कर दिया. वहीं, मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री भी समारोह में शामिल नहीं हुए. राज्यपाल ने इसके लिए सरकार की आलोचना की थी.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन साल 2022 के अप्रैल महीने में नई दिल्ली आई थीं. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से कहा था कि तेलंगाना की सरकार राज्यपाल के ऑफिस का अपमान कर रही है और अगर राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों का सम्मान नहीं होता है, तो यह तय करना लोगों का काम है कि राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव उनके साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं.
2021 से शुरु हुआ विवादसाल 2022 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री राजभवन में आयोजित समारोह में शामिल नहीं हुए थे. इस दौरान राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने अपने संबोधन में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना में कई मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए फंड दिया है. उनके इस बयान के राज्य सरकार के मंत्रियों ने खूब विरोध किया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलिसाई सुंदरराजन ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए मुख्यमंत्री तानाशाह बनने की कोशिश कर रहे हैं और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के साथ काम करना बहुत मुश्किल है. उनकी इस रिपोर्ट पर भी के चंद्रशेखर राव की पार्टी की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई थी.
कई राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि तेलंगाना सरकार और राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन के बीच टकराव अगस्त 2021 से शुरु हुआ. खासकर हुजूराबाद उपचुनाव के एक दिन पहले. इस दिन राज्यपाल ने अपने कोटा के तहत कांग्रेस के पूर्व नेता पी कौशिक रेड्डी के नाम को विधान परिषद के सदस्य के तौर पर मंजूरी देने से मना कर दिया था. जबकि मुख्यमंत्री ऐसा चाहते थे.
साल 2022 की शुरुआत में तमिलिसाई सुंदरराजन ने राजभवन में शिकायत और सुझाव वाले डिब्बे लगवाए थे. सरकार को उनका ये कदम पसंद नहीं आया था. इसी साल मार्च में बजट सत्र से पहले विधायिका की संयुक्त बैठक में राज्यपाल को नहीं बुलाया गया था.
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