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तालिबान का शिकार बन रहे 'प्रतिबंधित' हेयरस्टाइल रखने वाले, बाल काटने वालों को भी नहीं बख्शा

Taliban ने अगस्त 2024 में नया कानून बनाया था. इसके तहत नियमों का उल्लंघन करने पर Morality Police किसी को भी हिरासत में ले सकती है.

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taliban morality police arrests men for skipping mosque and keeping hairstyle
तालिबान ने हेयरस्टाइल से लेकर दाढ़ी के मानक तय किए हुए हैं (PHOTO-AP)
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मानस राज
11 अप्रैल 2025 (Published: 11:43 AM IST) कॉमेंट्स
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अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में कथित ‘नैतिकता’ सुनिश्चित करने वाली मोरैलिटी पुलिस (Morality Police) ने महिलाओं के बाद अब पुरुषों पर भी क्रैकडाउन (Men detained For Hairstyle) शुरू किया है. मोरैलिटी पुलिस ने पुरुषों को उनके हेयरस्टाइल की वजह से हिरासत में लेना शुरू किया है. पुलिस के मुताबिक उनका हेयरस्टाइल 'असभ्य' और नियमों के खिलाफ है. न सिर्फ लोगों को बल्कि उनके बाल काटने वालों को भी इस ‘अपराध’ में उठा लिया गया है. इसके अलावा ऐसे लोगों पर भी कार्रवाई की जा रही है, जो नमाज के समय पर मस्जिद नहीं पहुंच रहे.

तालिबान के वाइस एंड वर्च्यू मंत्रालय (Vice and Virtue Ministry of Taliban) ने अगस्त 2024 में रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े कुछ कानून बनाए थे. इसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट, संगीत, शेविंग और किसी समारोह को आयोजित करने या शामिल होने के तरीके बताए गए थे. मंत्रालय ने सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की आवाज और चेहरा दिखाने पर भी प्रतिबंध जारी किया था.

एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2024 में ही संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई थी कि ये महिलाओं के अधिकारों का हनन करने वाला कानून है. हालांकि तालिबान सरकार के अधिकारियों ने नैतिकता कानूनों (Morality Laws) के बारे में संयुक्त राष्ट्र की सभी चिंताओं को सिरे से खारिज कर दिया था. इसके बाद अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन द्वारा 11 अप्रैल को एक और रिपोर्ट जारी की गई. इस रिपोर्ट में कहा गया कि

कानून के लागू हुए 6 महीने हो चुके हैं. इन 6 महीनों में हिरासत में लिए गए लोगों में ऐसे पुरुष थे जिनकी दाढ़ी की लंबाई या हेयर स्टाइल नियमों के अनुरूप नहीं थी, या फिर ऐसे बाल काटने वालों थे जो नियमों के अनुरूप दाढ़ी नहीं बना रहे थे या बाल नहीं काट रहे थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मोरैलिटी पुलिस नियमित रूप से लोगों को बिना किसी प्रक्रिया और कानूनी सुरक्षा के बिना मनमाने ढंग से हिरासत में ले रही है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान नमाज में पुरुषों की मौजूदगी पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी. जो लोग इबादत में नहीं आते थे, उन्हें मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया जाता था.

(यह भी पढ़ें: अफगानिस्तान के कप्तान ने महिला क्रिकेटर्स के हक में उठाई आवाज, तालिबान को बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा)

संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कहा कि तालिबान के फैसलों का असर लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ रहा है. निजी शिक्षा केंद्र, बाल काटने वालों, दर्जी, शादी के केटरर और रेस्तरां जैसे छोटे व्यवसाय चलाने वाले लोगों, चाहे वो महिलाएं हों या पुरुष, दोनों पर इसका गलत असर हुआ है. इस वजह से कमाई के साधन और रोजगार के अवसरों में कमी आई है.

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