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सीरिया में आजादी के जश्न में जलाए बुर्के और मर्दों ने कटवा दी दाढ़ी

आतंकियों ने 2014 से कैद कर रखा था.

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ISIS का विरोध जताने के लिए दाढ़ी कटवाई. image Reuters
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पंडित असगर
15 अगस्त 2016 (Updated: 15 अगस्त 2016, 08:15 AM IST) कॉमेंट्स
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बात हिजाब की हो या फिर दाढ़ी की, दोनों ही बहुत संवेदनशील हैं. इन दोनों पर ज़बान से कुछ निकला नहीं कि हर शाख पर उल्लू बैठे हैं, टाइप झपट पड़ते हैं. भावनाएं आहत होने लगती हैं. लेकिन हम बात कर रहे हैं सीरिया की, जहां ISIS की कैद से रिहा होकर आजादी का जश्न मनाया गया. वो भी बुर्के जलाकर और दाढ़ी मुंडवाकर.
औरतें सड़कों पर निकल आईं और जश्न मनाया. Image Reuters
औरतें सड़कों पर निकल आईं और जश्न मनाया. Image Reuters

ISIS खूंखार है, ये तो पता ही है. इस ISIS ने नॉर्थ सीरिया के मानबिज शहर पर अटैक किया और वहां के लोगों को अपनी कैद में ले लिया था. अमेरिका की अगुवाई में ISIS पर हवाई हमले किए गए और उसके लड़ाकों को मानबिज से खदेड़ दिया गया.
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अमेरिका की अगुवाई में ISIS पर हवाई हमले किए गए. image Reuters

अमेरिका के साथ इस लड़ाई में 'सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF)' भी शामिल रही. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कुछ लोग वहां से भाग निकले और बाकियों को ISIS के चंगुल से छुड़ा लिया गया.
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2014 से मानबिज शहर आतंकियों के कब्जे में था. image Reuters

आतंकियों की कैद से रिहा होने के बाद मानबिज शहर में खुशी की लहर दौड़ गई. आदमी, औरतें और बच्चे सड़कों पर निकल आए. औरतों ने अपने बुर्के उतार दिए और उनमें आग लगा दी. आदमी भी अपनी खुशी जाहिर करने के लिए दाढ़ी मुंडवाने लगे. पब्लिक प्लेसमें औरतें अपना चेहरा दिखाते हुए नजर आईं. उन्होंने ऐसा ISIS का विरोध जताने के लिए किया. क्योंकि ISIS दाढ़ी मुंडवाने वालों और बुर्का न पहनने वालों पर जुल्म करता था.
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औरतों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब वो लाल कपड़े पहन सकेंगी. आतंकी उन्हें काले कपड़ों में रखते थे. उनका कहना न मानने पर मौत की सजा दी जाती थी.
बच्चों को कैद में रोने भी नहीं दिया जाता था. image Reuters
बच्चों को कैद में रोने भी नहीं दिया जाता था. image Reuters

मानबिज 2014 से आतंकियों के कब्जे में था. इस दौरान बच्चों को बाल काटने तक की इजाजत नहीं थी. बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती थी कि उनके मां-बाप काफ़िर हैं. जुल्म की इंतेहा ये थी कि बच्चों को रोने भी नहीं दिया जाता था.

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